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अमेरिकी दूत की ताइवान यात्रा पर भड़का चीन, दी भारी कीमत चुकाने की धमकी

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिकी दूत केली क्राफ्ट की ताइवान यात्रा पर चीन बिफर गया है. चीन ने अमेरिका को धमकी दी है कि अगर केली क्राफ्ट आने वाले दिनों में ताइवान की यात्रा करती हैं, तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.

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संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिकी दूत केली क्राफ्ट (File Photo)
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिकी दूत केली क्राफ्ट (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ताइवान जाने वाली हैं अमेरिकी दूत केली क्राफ्ट
  • केली क्राफ्ट की यात्रा पर भड़का चीन, दी धमकी

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में अमेरिकी दूत केली क्राफ्ट की ताइवान यात्रा पर चीन बिफर गया है. चीन ने अमेरिका को धमकी दी है कि अगर केली क्राफ्ट आने वाले दिनों में ताइवान की यात्रा करती हैं, तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. संयुक्त राष्ट्र के चीनी मिशन ने कहा, 'चीन, अमेरिका से उकसावे को रोकने के लिए दृढ़ता से आग्रह करता है.'

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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बुधवार (6 जनवरी) को ऐलान किया था कि संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत केली क्राफ्ट ताइवान की यात्रा करेंगी. हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों की सामूहिक गिरफ्तारी पर माइक पोम्पिओ ने कहा था कि अमेरिकी "मूर्खतापूर्ण तरीके से" देखते नहीं रहेंगे, क्योंकि हांगकांग चीनी उत्पीड़न का शिकार हो रहा है.

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने यह भी कहा कि वाशिंगटन "हांगकांग के लोगों पर हमले" में किसी पर या किसी भी इकाई पर प्रतिबंधों पर विचार करेगा. उन्होंने कहा कि अमेरिकी, हांगकांग के लोगों के साथ है, जो स्वतंत्रता के लिए तरस रहे हैं.

आपको बता दें कि पिछले साल सितंबर में अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने न्यूयॉर्क में ताइवान के शीर्ष अधिकारी के साथ मुलाकात की थी. उन्होंने इसे ‘ऐतिहासिक’ करार दिया था और कहा था कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के स्व-शासित द्वीप के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक और कदम है, जिसे चीन अपने क्षेत्र का हिस्सा बताता है.

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अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा था कि ताइवान के 2.4 करोड़ लोगों को यह सुनने की जरूरत है कि बीजिंग उन्हें हाशिए पर धकेल रहा है. यह काफी शर्मनाक बात है क्योंकि उन्हें भी बाकियों की तरह संयुक्त राष्ट्र के मामलों में हिस्सा लेने का अधिकार होना चाहिए.

अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा था कि अगर अमेरिका चीन के खिलाफ खड़ा नहीं होगा तो कौन होगा, केवल ताइवान के लिए नहीं बल्कि हांगकांग और अन्य के लिए भी?

 

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