पाकिस्तान में लोग इस खौफ को अब कई नाम से जानने लगे हैं. 'अज्ञात किलर' , 'अननोन गनमैन' या 'साइलेंट किलर' कहें या फिर इसे 'मोटरसाइकिल सवार बंदूकधारी' या फिर फिदायीन दस्ता का नाम दिया जाए. पाकिस्तान में चोटी के मौलानाओं को निशाना बनाने वाले इस 'रहस्यमयी फिगर' ने पाकिस्तान में सिहरन पैदा कर दी है. ये कौन है, किसके लिए काम करता है, कोई नहीं जानता. लेकिन इसका वॉर इतना घातक है कि इसकी चर्चा ही पाकिस्तान में झुरझुरी पैदा कर देती है.
इन अज्ञात बंदूकधारियों ने कई ऐसे लोगों को ठिकाना लगाया है जो घोषित रूप से भारत विरोधी थे. मसलन जहूर मिस्त्री नाम का आतंकवादी, जो दिसंबर 1999 में IC-814 प्लेन हाइजैकिंग में शामिल पांच अपहरणकर्ताओं में से एक था. 7 मार्च 2022 को इसकी हत्या दो हथियारबंद मोटरसाइकिल सवारों ने कराची में कर दी गई थी.
पाकिस्तान में पिछले एक-डेढ़ सालों में भारत के कई विरोधियों को इन अज्ञात बंदूकधारियों ने ठिकाना लगाया है. इनमें कुछ बड़े नाम ख्वाजा शाहिद, मौलाना रहीमुल्ला तारीक, लखबीर सिंह रोडे, जियाउर रहमान, बशीर अहमद पीर, हंजला अदनान शामिल हैं.
यूं तो ये लिस्ट बहुत लंबी है. लेकिन कुछ दिनों की चुप्पी के बाद पाकिस्तान में 'अज्ञात किलर' का खौफ फिर से शुरू हो गया है. 25 दिनों में ही इन अज्ञात बंदूकधारियों ने पाकिस्तान के 5 चोटी के मौलानाओं को मौत के घाट उतार दिया है. इनमें वैसे लोग शामिल थे जिन्होंने भारत के रिटायर्ड नेवी कमांडर कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी में अहम रोल निभाया था. आइए इन सनसनीखेज हत्याओं पर एक नजर डालते हैं.
मौलाना हमीदुल हक हक्कानी
पाकिस्तान में हाल ही में हुई हत्याओं में मौलाना हमीदुल हक हक्कानी सबसे हाई प्रोफाइल फिगर है. 57 साल का मौलाना हमीदुल हक हक्कानी 28 फरवरी 2025 को खैबर पख्तुनखवा में तब मारा गया था जब एक मदरसे में जुमे की नमाज के बाद लोग मौजूद थे. इसी दौरान एक फिदायीन ने खुद को उड़ा लिया था.
मौलाना हमीदुल हक हक्कानी दार उल उलूम हक्कानिया सेमिनारी का चीफ था. यह मदरसा लंबे समय से तालिबान से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इसके कई सदस्यों ने, जिनमें समूह का संस्थापक मुल्ला उमर भी शामिल है, यहीं प्रशिक्षण प्राप्त किया है. बीबीसी ने इसे अपने एक लेख में 'यूनिवर्सिटी ऑफ जिहाद' कहा है.
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मौलाना हमीदुल हक हक्कानी प्रभावशाली पाकिस्तानी मौलवी मौलाना समी उल-हक के बेटे थे, जिन्हें व्यापक रूप से "तालिबान के पिता" के रूप में जाना जाता है.
2018 में हमीदुल हक हक्कानी के पिता की भी हत्या हो गई थी. इसके बाद वे मदरसा के कुलपति बने और धार्मिक जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-S) राजनीतिक दल के एक गुट के प्रमुख बने. हक के पिता के मुल्ला उमर सहित अफगान तालिबान के नेतृत्व के साथ लंबे समय से संबंध थे.
मुफ्ती शाह मीर
28 फरवरी के बाद एक और शुक्रवार आया. तारीख 7 मार्च 2025. एक हाई प्रोफाइल किलिंग से पाकिस्तान हिल गया. अज्ञात बंदूकधारियों ने 7 मार्च 2025 को बलूचिस्तान के तुरबत में मुफ्ती शाह मीर की गोली मारकर हत्या कर दी.
मोटरसाइकिल सवार हथियारबंद लोगों ने मुफ्ती शाह मीर पर गोलियां चलाईं, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.
मानव तस्करी में संलिप्त माने जाने वाले मीर, तरावीह (रात) की नमाज के बाद स्थानीय मस्जिद से बाहर निकल रहा था, तभी बाइक सवार हमलावरों ने उस पर घात लगाकर हमला कर दिया और नजदीक से उन्हें कई बार गोली मार दी.
मुफ्ती शाह मीर के बारे में जो सबसे अहम बात है वो यह है कि उसने भारत के पूर्व नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव को किडनैप करने में ISI की मदद की थी.
मानव और हथियार तस्कर मीर मुफ्ती की आड़ में काम करता था और वह इस्लामी कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम का सदस्य था.
अब्दुल्ला नदीम
अगले शुक्रवार को पाकिस्तान में एक और मौलाना अज्ञात हमलावरों के निशाने पर था. तारीख थी 14 मार्च 2025.
पाकिस्तान की पुलिस ने बताया कि खैबर पख्तूनख्वा के दक्षिण वजीरिस्तान जिले में शुक्रवार को एक मस्जिद में विस्फोट हुआ, जिसमें जमीयत उलेमा इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के जिला अमीर सहित कम से कम चार लोग घायल हो गए.
दक्षिण वजीरिस्तान के जिला पुलिस प्रमुख डीपीओ आसिफ बहादुर ने बताया कि माना जा रहा है कि जेयूआई-एफ के नेता अब्दुल्ला नदीम विस्फोट का निशाना था. उसे गंभीर चोट आई है और उसे अस्पताल में में भर्ती कराया गया है. पुलिस को इस हमले की कोई जानकारी नहीं है.
अबू कताल
जुमे के महज एक दिन बाद एक और हाई प्रोफाइल किलिंग पाकिस्तान में हुई. अज्ञात बंदूकधारियों का अगला टारगेट एक खूंखार आतंकवादी और भारत में कई केस का वांटेड अबू कताल. लश्कर-ए-तैयबा टॉप आतंकवादी अबू कताल, जिसे कताल सिंधी के नाम से भी जाना जाता है को शनिवार रात पाकिस्तान के झेलम सिंध में अज्ञात हमलावरों ने मार गिराया.
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुसार, आतंकी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता 2002-03 से शुरू होती है, जब उसने भारत में घुसपैठ की और पुंछ-राजौरी रेंज में काम किया. NIA ने उसे वांटेड घोषित किया था. आर्मी समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये आतंकी बड़ा सिरदर्द बन गया था. आतंकी अबु कताल, हाफिज सईद का भी बेहद करीबी था. हाफिज सईद मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है.
कई रिपोर्ट में ये भी खबर आई थी कि हाफिज सईद पर भी उस रोज हमला हुआ था. लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है. हालांकि ISI ने इस हमले के बाद हाफिज सईद की सुरक्षा बढ़ा दी है.
मुफ्ती अब्दुल बाकी नूरजई
पाकिस्तान के क्वेटा में एक और हाई प्रोफाइल हत्या को अंजाम दिया गया है. अज्ञात हमलावरों ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI) के एक वरिष्ठ नेता की गोली मुफ्ती अब्दुल बाकी नूरजई की रविवार (16 मार्च) रात को अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी. मुफ्ती अब्दुल बाकी मस्जिद जा रहा था तभी उस पर अज्ञात हमलावरों ने गोली चलाई.
क्वेटा पुलिस मामले की जांच कर रही है. इस तरह से 28 फरवरी से लेकर 17 मार्च के बीच पाकिस्तान में 5 बड़े मौलानाओं की हत्या हो चुकी है.
हत्याओं का पैटर्न
दरअसल 2021-22 से ही पाकिस्तान में कई आतंकवादी कमांडरों और धार्मिक नेताओं की हत्याएं हुई हैं, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के सदस्य शामिल हैं. इन हत्याओं का पैटर्न आमतौर पर एक समान है. इसमें मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात बंदूकधारी आतंकवादियों या नेताओं को नजदीक से गोली मारकर फरार हो जाते हैं और जांच एजेंसियों को कुछ पता नहीं चल पाता है. इन हत्याओं का पैटर्न एक संगठित अभियान की ओर इशारा करता है, लेकिन इसके पीछे कौन है, यह स्पष्ट नहीं है. पाकिस्तानी एजेंसियां 2 साल से इस मामले की जांच कर रही है. लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.
अपनी नाकामी छिपाने के लिए पाकिस्तान इन हत्याओं का आरोप भारत पर लगाता रहता है. लेकिन आजतक उसने कभी भी जुबानी जमा के अलावा कोई सबूत नहीं दिया. भारत के विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को मनगढंत, बेबुनियाद और बकवास बताया है.