अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस अब्राहम लिंकन को अरब की खाड़ी में तैनात किया है. इस तैनाती को ईरान के साथ अमेरिका के बिगड़े संबंधों से जोड़ कर देखा जा रहा है. दोनों देशों के बीच हाल के कुछ महीनों में तनातनी की खबरें हैं. ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड की तरफ से युद्ध न भड़क जाए, इससे बचने के लिए अमेरिका ने यूएसएस अब्राहम लिंकन को तैनात किया है.
यूएसएस अब्राहम लिंकन पर तैनात अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एपी से कहा कि उनके सामने कोई भी चुनौती आएगी तो वे इसका करारा जवाब देंगे. अमेरिका की नौसेना ने इस बारे में बात करने से मना कर दिया है कि वे अरब की खाड़ी में हॉर्मूज के पास से क्यों नहीं गए? उन्होंने कहा कि वे उस जगह किसी भी तरह के मिशन के लिए तैयार हैं. हालाकि लिंकन के कप्तान पुत्नम ब्राउन ने एसोसिएटेड प्रेस को कहा "आप अनजाने में तो कुछ बढ़ाना नहीं चाहेंगे."
बता दें कि हॉर्मूज पर ईरान बार-बार इसलिए दम भरता है क्योंकि यह ऐसी जगह है जहां से तेल सप्लाई का रास्ता खुलता है. अगर ईरान हॉर्मूज का रास्ता बंद करता है तो तेल के लिए दुनिया भर में हाहाकार मच जाएगा. मई में व्हाइट हाउस ने यूएसएस लिंकन और उसके पूरे बेड़े को मिड ईस्ट की तरफ बी-52 और सैन्य बल के साथ जाने को कहा था. इससे पहले ईरान के सर्वोच्च अध्यात्मिक नेता रहे अयातुल्ला खुमैनी की 30वीं पुण्यतिथि के दिन यूएसएस लिंकन पर कई एपी और अन्य मीडिया कंपनियों के पत्रकारों ने चार घंटे बिताए. उसके एक दिन पहले अमेरिका की वायु सेना ने बी -52 युद्धपोत को यूएसएस लिंकन युद्धपोत के साथ एक प्रशिक्षण अभ्यास आयोजित करने की घोषणा की जिसमें सिम्युलेटेड स्ट्राइक ऑपरेशन भी शामिल था. इस बीच रिपोर्टें आई थीं कि ईरान ने अमेरिकी हवाई हमले की स्थिति में हॉक विमानों से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्लानिंग भी की थी. हॉक अमेरिकी मिसाइलें हैं जो जमीन से हवा में निशाना लगाने में सक्षम हैं.