अमेरिका में जो बाइडेन की नई सरकार आते ही चीन और यूएस के बीच एक बार फिर टकहराट बढ़नी शुरू हो गई है. इस बार ये तकारर ताइवान को लेकर शुरू हुआ है.
पहले तो चीन के 12 लड़ाकू विमान ताइवान के एयर डिफेंस टेरिटोरी में पहुंच गए, अब इसके जवाब में अमेरिका ने भी अपने लड़ाकू युद्धपोत का बेडा दक्षिण चीन सागर में भेज दिया है. अमेरिकी सेना ने रविवार को बताया कि यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट के नेतृत्व में कई अमेरिकी युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में पहुंच गए हैं. अमेरिका का कहना है कि उसके ये युद्धपोत 'समुद्र की स्वतंत्रता' मिशन को बढ़ावा देने के लिए आए हैं.
विस्तारवादी चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और वह अक्सर ताइवान की सीमा का उल्लंघन करते रहता है. शनिवार को चीन के बार फाइटर प्लेन ताइवान की एयर स्पेस के अंदर दिखे. इनमें से कुछ विमान तो परमाणु हमला करने में भी सक्षम थे. इस घटनाक्रम के तुरंत बाद अमेरिका के युद्धपोत दक्षिण चीन सागर में पहुंच गए.
बता दें कि दक्षिण चीन सागर के भी ज्यादातर हिस्सों पर चीन अपना दावा जताता है. अमेरिका ने कहा है कि उसके युद्धपोत रूटीन ऑपरेशन के तहत गश्त पर निकले हैं ताकि समुद्र की स्वतंत्रता बनी रहे.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अमेरिकी नौसेना के अधिकारी और समंदर में मौजूद स्ट्राइक ग्रुप के कमांडर रियर एडमिरल डाउग वेरीसिमो ने अपने सहयोगियों की सुरक्षा का भरोसा देते हुए कहा कि इस समंदर में हम रूटीन ऑपरेशन कर रहे हैं और समंदर की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के अलावा अपने साझेदारों और सहयोगियों को भरोसा दिला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि दुनिया का दो तिहाई व्यापार इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम अपनी मौजूदगी यहां बरकरार रखें और कानून का राज कायम रखें , जिसकी वजह से हम सभी समृद्ध हुए हैं.
बता दें कि चीन की हमेशा शिकायत रहती है कि अमेरिकी नौसेना दक्षिण चीन सागर में अक्सर उसके कब्जे वाले क्षेत्र में घुसपैठ करती रहती है. इस क्षेत्र में वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान अपने अपने इलाके पर दावा प्रतिदावा करते रहते हैं.