अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय असैन्य परमाणु व्यापार की मुख्यधारा में प्रवेश करने के लिए अपने परमाणु दायित्व कानून अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी (आईएईए) से मशविरा करना चाहिए ताकि उसके उद्देश्य की पूर्ति सुनिश्चित हो सके.
दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के लिए अमेरिका के सहायक उप विदेश मंत्री जियोफ्रे पैयट ने कहा, ‘हम समझते हैं कि भारत के कानून की अदालत द्वारा समीक्षा की जा रही है, हमारा मानना है कि आईएईए के साथ मशविरे से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि यह दायित्व कानून भारत को अंतरराष्ट्रीय असैन्य परमाणु व्यापार की मुख्यधारा में प्रवेश कराने के हमारे साझा उद्देश्य को पूरा करता हो.’
पैयट ने वाशिंगटन में पिल्सबरी एनईआई परमाणु निर्यात नियंत्रण सम्मेलन में परमाणु दायित्व कानून की पहचान भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को लागू करने में एक प्रमुख चुनौती के रूप में की. उनकी टिप्पणी की एक प्रति शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी की गई.
पैयट ने कहा, ‘भारत का दायित्व कानून अंतरराष्ट्रीय परमाणु दायित्व नीतियों के अनुरूप नहीं है जो कि परमाणु क्षति के लिए पूरक मुआवजा करार में प्रतिबिंबित होती हैं.'
उन्होंने आगे कहा, ‘वर्तमान दायित्व कानून एवं नियमन उन उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर भारी भरकम वित्तीय बोझ का खतरा उत्पन्न करता है जो भारत के बाजार में प्रवेश को इच्छुक हैं. इससे ऐसी कंपनियों पर परमाणु दुर्घटना की दशा में उल्लेखनीय आर्थिक दंड का खतरा उत्पन्न करता है जो कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है.’
पैयट ने कहा, ‘करार के अनुरूप एक कानून के बिना अमेरिका एवं अन्य देशों की कंपनियों को भारत के परमाणु उर्जा विस्तार योजनाओं में शामिल होने में दिक्कत होगी.’