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'रूस को फायदा पहुंचाने के लिए...' ओपेक प्लस पर क्यों भड़का अमेरिका?

तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस ने हाल ही में तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था. ओपेक प्लस में सऊदी अरब का दबदबा है और रूस भी इसका सदस्य है. इस ऐलान के बाद अमेरिकी सरकार सऊदी अरब पर भड़क गई. यहां तक कि अमेरिका अब सऊदी अरब से अपने रिश्ते को लेकर फिर से विचार करने पर सोच रहा है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन

तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के तेल उत्पादन में कटौती के फैसले से अमेरिका भड़का हुआ है. अमेरिका ने ओपेक प्लस के इस फैसले को गलत बताते हुए कहा है कि इससे रूस को फायदा पहुंचाया गया है.

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व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन पियर ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडियो को बताया कि ओपेक प्लस ने पिछले हफ्ते यह फैसला लिया. हमारा मानना है कि यह फैसला रूस को लाभ पहुंचाने के लिए लिया गया था. यह फैसला दुनियाभर में रह रहे अमेरिकी लोगों और परिवार के हितों के खिलाफ है. 

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, हमारा मानना है कि इस फैसले से कम आय वाले देशों को नुकसान होगा. ओपेक प्लस का यह फैसला सरासर एक गलती है और बेहद संकीर्ण सोच से लिया गया निर्णय है.

सऊदी अरब के साथ रिश्ते पर दोबारा विचार करेगा अमेरिका

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन इस फैसले के बाद सऊदी अरब के साथ अपने संबंधों का दोबारा मूल्यांकन करने जा रहे हैं. 

उन्होंने कहा, इस बारे में राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के शुरुआत में ही बात की थी. वह इस बारे में कदम कुछ इस तरह से उठाने चाहते हैं, जिसमें रिपब्लिक के साथ-साथ डेमोक्रेटिक पार्टी भी शामिल हो. हमने समय-समय पर सऊदी अरब के साथ संबंधों के बारे में बात की है.

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प्रेस सचिव ने कहा, वह रणनीतिक तरीके से ऐसा करेंगे और इसके लिए बेशक वे दोनों पार्टियों के सदस्यों से इनपुट लेंगे. 

ओपेक प्लस ने क्यों किया तेल उत्पादन में कटौती का फैसला?

बता दें कि तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक प्लस ने पांच अक्टूबर को तेल उत्पादन में कटौती का ऐलान किया था. ओपेक प्लस समूह में सऊदी अरब का दबदबा है और रूस भी इसका सदस्य देश है. ओपेक प्लस के इस ऐलान के बाद अमेरिकी सरकार सऊदी अरब को तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए मनाने में जुट गई, लेकिन सऊदी अरब ने इसे अनसुना कर दिया.

दरअसल ओपेक प्लस ने वैश्विक बाजारों मे उथल-पुथल का हवाला देकर तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों को बनाए रखने के लिए उत्पादन में कटौती को जरूरी बताया था. इस फैसले के तहत ओपेक प्लस देश 20 लाख बैरल प्रतिदिन की दर से तेल उत्पादन में कटौती करने जा रहे हैं. इससे यकीनन वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें बढ़ेगी.

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