अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए अल कायदा चीफ अल जवाहिरी की मौत के बाद से तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं. जहां एक ओर एयरस्पेस के इस्तेमाल की आशंका को लेकर पाकिस्तान पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं तालिबान के नेता भी सवालों के घेरे में है. कहा ये जा रहा है कि अफगानिस्तान में बिना तालिबान की मदद से अमेरिका इतने बड़े ऑपरेशन को अंजाम नहीं दे सकती.
दरअसल, अमेरिका ने शनिवार को काबुल में ड्रोन हमले में अल जवाहिरी को ढेर कर दिया था. अमेरिका का दावा है कि इस हमले के दौरान कोई भी अमेरिकी अधिकारी या सैनिक काबुल में मौजूद नहीं था. आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका ने पाकिस्तान या ईरान के एयरस्पेस का इस्तेमाल कर जवाहिरी पर ड्रोन हमला किया. अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज के लौटने के बाद ये पहला बड़ा हमला था.
किस एयरबेस से हुआ ड्रोन हमला
उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि अमेरिका ने जवाहिरी पर हमले के लिए किर्गिस्तान के एक एयरबेस से ड्रोन लॉन्च किया था. इस रिपोर्ट को लेकर पाकिस्तान की पीटीआई नेता शिरीन मजारी ने ट्वीट कर कहा कि अमेरिका के ड्रोन ने गल्फ क्षेत्र की ओर से उड़ान भरी. अगर ये मान लें कि पाकिस्तान ने अपने एयरबेस का इस्तेमाल नहीं करने दिया, लेकिन ड्रोन ने किस एयरस्पेस का इस्तेमाल किया? ईरान ने अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं करने दिया, तो क्या अमेरिका ने पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया.''
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ये हमला उत्तरी किर्गिस्तान के मानस में गान्सी एयरबेस से किया गया. किर्गिस्तान के गान्सी में अमेरिका का एयरबेस था. जून 2014 में इसे किर्गिस्तान की सेना को सौंप दिया गया. हालांकि, बाइडेन प्रशासन ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी कि ड्रोन ने कहां से उड़ान भरी और कौन से रूट का इस्तेमाल किया.
पाकिस्तान या तालिबान किसकी रही भूमिका
जानकारों का मानना है कि इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता. हालांकि, यह एयरस्पेस और इंटेलिजेंस के तौर पर भी हो सकती है. दरअसल, जिस तरह से कहा जा रहा है कि गल्फ स्थित अमेरिका के बेस से ड्रोन हमला किया गया. उस स्थिति में अमेरिका ने या तो ईरान या फिर पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया होगा. लेकिन ईरान से मौजूदा समय में अमेरिका के रिश्ते अच्छे नहीं है, ऐसे में संभव है कि इस ड्रोन हमले के लिए पाकिस्तान के एयरस्पेस का इस्तेमाल किया गया हो.
अमेरिका ने दावा किया है कि जवाहिरी के खिलाफ इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए कई महीनों तक तैयारी की गई. खुफिया जानकारी जुटाई गई. क्या यह संभव है कि यह सब अमेरिका ने अकेले किया हो, वह भी काबुल में बिना किसी को भेजे. ऐसे में जानकारों का मानना है कि अगर पाकिस्तान ने खुफिया जानकारी नहीं दी, तो हो सकता है कि तालिबान के कुछ अन्य लोगों ने अमेरिका को यह जानकारी दी हो.