अमेरिकी चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन की ओर से अपने साथ बतौर ‘रनिंग मेट’ सीनेटर कमला हैरिस को चुना जाना ऐतिहासिक है. वो पहली अश्वेत और भारतीय वंशावली से जुड़ी महिला हैं जिन्हें अमेरिका में एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी ने अपने टिकट पर उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है.
यह भी अहम तथ्य है कि हैरिस आने वाले कल के अमेरिका की नुमाइंदगी करती हैं, जो नस्लीय और जातीय तौर पर अधिक मिश्रित होगा. 2045 तक अमेरिका के "अल्पसंख्यक बहुमत" वाला देश होने की उम्मीद की जा रही है जिसमें श्वेत आबादी 50% से कम होगी. देश के परिदृश्य और राजनीति को बदलते देखते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी आगे की सोच रही है. भारत सहित अन्य देश भी इन गहरे बदलावों का असर महसूस कर सकते हैं, खास तौर पर अमेरिकी विदेश नीति पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर.
कोविड-19 महामारी के शुरू होने से पहले बिडेन ने डेट्रायट में आखिरी रैली को संबोधित किया था. इसमें उन्होंने कहा था कि वे उन नेताओं की अगली पीढ़ी, जो देश का "भविष्य" है, के लिए ''पुल'' का काम करेंगे. बिडेन कई बार संकेत दे चुके हैं कि वे सिर्फ एक कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति होंगे. अगर बिडेन चुनाव जीतते हैं तो वे 78 वर्ष की उम्र में अमेरिका के अब तक के सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे जो राष्ट्रपति पद संभालेगा. ये सब बातें बिडेन की उपराष्ट्रपति के लिए पसंदीदा व्य़क्ति यानि कमला हैरिस के चुनाव को और खास बनाती हैं. यानि वो शख्स जिसे आगे चलकर बैटन मिल सकता है.
अगर बिडेन 2020 चुनाव जीतते हैं तो हैरिस के नाम के साथ और भी बहुत कुछ महत्वपूर्ण जुड़ सकता है. वो 2024 में राष्ट्रपति उम्मीदवार भी बन सकती हैं और फिर संभवत: अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति. जहां तक रिपब्लिकन पार्टी का सवाल है तो वो पूर्व गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र दूत निक्की हेली को भारतीय अमेरिकी उम्मीदवार के तौर उपराष्ट्रपति के लिए उतार सकती है.
हैरिस अपनी अफ्रीकी अमेरिकी पहचान के साथ पली बड़ी हैं, लेकिन बिडेन के साथ बुधवार को वो पहली बार मंच पर अवतरित हुईं तो उन्होंने भारत और जमैका से अपने प्रवासी माता-पिता का हवाला दिया. कहा- “उन्होंने इंसाफ के संघर्ष के लिए मार्च किया जो आज भी जारी है.”
कमला हैरिस (AP)
हैरिस की मां श्यामला गोपालन (ब्रेस्ट कैंसर रिसर्चर) 19 साल की उम्र में भारत से अमेरिका आई थीं. उन्होंने बर्कली में एंडोक्रिनोलॉजी और न्यूट्रिशन का अध्ययन किया. श्यामला गोपालन ने अर्थशास्त्र के छात्र डॉनल हैरिस से 1963 में शादी की. उनकी मुलाकात नागरिक अधिकारों को लेकर एक प्रदर्शन के दौरान हुई थी. 1970 में दोनों का तलाक हो गया.
गोपालन ने कमला हैरिस समेत अपनी दो बेटियों को भारतीय और अफ्रीकी विरासत को गले लगाए रखने के लिए बढ़ावा दिया. साथ ही कहा कि उन्हें ये साबित करने की जरूरत नहीं है कि दोनों विरासत उनमें समाई हैं. लेकिन गोपालन को पता था कि वह "दो अश्वेत बेटियों की परवरिश कर रही है", वो भी एक ऐसे देश में जो हमेशा उन्हें अश्वेत के तौर पर देखेगा. कमला हैरिस ने अपने संस्मरण, ''द ट्रुथ वी होल्ड: एन अमेरिकन जर्नी'' में लिखा है- समय बदल गया है और भारतीय और अश्वेत, दोनों 21वीं सदी के अमेरिका में स्वीकार्य हैं. संयोग है कि हैरिस के पति यहूदी हैं.
लेकिन ये साफ कर दिया जाए- ये अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय, खास तौर पर महिलाओं, की ताकत है, हैरिस को टिकट मिला है. कई अश्वेत नेता, खास तौर पर बिडेन के दोबारा चुनावी उभार के रचयिता और दक्षिण कैरोलिना के कांग्रसमैन जेम्स क्लाइबर्न इसी मत के हैं कि कमला हैरिस सबसे बेहतर चयन होंगी.
बिडेन ने मंगलवार दोपहर जब से हैरिस के नाम का ऐलान किया है, अश्वेत समुदाय का उनके लिए समर्थन बढ़ गया है. हैरिस की मौजूदगी अश्वेत मतदाताओं को और लामबंद करेगी.
When I called @KamalaHarris yesterday to ask her to be my running mate, I wanted to make sure Jill and Doug got to say hello.
You’re honorary Bidens now! pic.twitter.com/IILUjB6WfY
— Joe Biden (@JoeBiden) August 13, 2020
हैरिस का भारतीय वंशावली से जुड़ाव बिडेन के लिए बोनस की तरह होगा. क्योंकि बैटलग्राउंड राज्यों में भारतीय अमेरिकी लोगों के वोट मायने रखते हैं. आठ बैटलग्राउंड राज्यों में 12 लाख संभावित भारतीय अमेरिकी मतदाता हैं जो जीत और हार के बीच अंतर का कारण बन सकते हैं.
रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों ही इस बार भारतीय अमेरिकी समुदाय को लुभाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. कारण कई हैं - यह चुनाव असामान्य है, क्योंकि महामारी के कारण स्वास्थ्य चिंताओं की वजह से मतदाता घर पर रह सकते हैं. इसके अलावा डाक मतपत्रों को लेकर भी कांटे की लड़ाई है, क्योंकि नतीजों को चुनौती दी जा सकती है. कहने का अर्थ है कि "हर वोट मायने रखता है" यह जुमला आगामी अमेरिकी चुनाव में सही मायने में चरितार्थ होगा.
यही काफी नहीं है तो भारत की घरेलू राजनीति भी 2020 अमेरिकी चुनाव में अनेक भारतीय अमेरिकी वोटरों के लिए मुद्दा बन गई है. खास तौर पर बुजुर्ग पीढ़ी में सवाल उठाए जा हे हैं. पहली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी लोगों में से कुछ बिडेन, बड़े परिप्रेक्ष्य में डेमोक्रेटिक पार्टी को ही ‘भारत के लिए अमित्रवत” मानते हैं.
इसका कारण है अमेरिकी कांग्रेस में कई डेमोक्रेट्स, जिनमें सीनेटर कमला हैरिस भी शामिल हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की आसोचना कर चुके हैं. खास तौर पर कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर, वहां संचार साधन ठप किए जाने पर और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पास किए जाने को लेकर.
मोदी की नीतियों को लेकर प्रतिक्रिया कुछ भारतीय अमेरिकियों के लिए एक प्रकार से अग्नि परीक्षा जैसी बन गई है. लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि यह एक रिपब्लिकन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश थे जिन्होंने गुजरात हिंसा को लेकर 2005 में मोदी के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
आलोचकों का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी, वामपंथियों और प्रगतिवादियों की अधिक बंधक होने की तरह है जो कुछ मुस्लिम ग्रुप्स के इशारे पर "भारत को कोस" रही है. सवाल तब से शुरू हुआ जब बिडेन ने "मुस्लिम अमेरिकी समुदायों के लिए एजेंडा" प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने कश्मीर में उठाए भारतीय कदमों और CAA मुद्दे को लेकर आलोचना की. तब एक युवा भारतीय अमेरिकी, अमित जानी को बिडेन अभियान में एक वरिष्ठ पद से हटा दिया गया था क्योंकि कुछ मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने उनके परिवार की पृष्ठभूमि को एक मुद्दे के रूप में उठाया था. अमित जानी के पिता बीजेपी के एक समर्थक हैं.
इसके विपरीत राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने मोदी को गले लगा लिया. दोनों एक एक साथ रैलियों में दिखाई दिए. ह्यूस्टन में "हाउडी, मोदी" कार्यक्रम में, मोदी ने समुदाय को स्पष्ट नारा दिया कि पुराने नारे ‘अब की बार, ट्रम्प सरकार” को दोहराकर इस बार भी ट्रम्प का समर्थन करें.
वजह साफ है, बीजेपी ट्रम्प और रिपब्लिकन पार्टी को अपने प्रोजेक्ट के लिए एक सुरक्षित शर्त के रूप में देखती है. ट्रम्प प्रशासन ने कश्मीर के घटनाक्रम पर धीमे सुर में सवाल उठाने के अलावा भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से परहेज किया. पिछले प्रशासनों की ओर प्रतिबंधित हथियारों की पेशकश भारत को की गई और चीन के साथ हालिया सीमा गतिरोध में नई दिल्ली का समर्थन किया है.
बिडेन के साथ हैरिस (AP)
कई बुजुर्ग भारतीय अमेरिकी इंगित करते हैं कि ट्रम्प की ओर से ‘मोदी के भारत’ की ओर झुकाव की वजह से उनके रिपब्लिकन पार्टी की ओर शिफ्ट का बड़ा कारण है. हैरिस का नामांकन से कुछ को पुनर्विचार के लिए मजबूर करेगा. डेमोक्रेटिक जहाज को ऐसे वक्त पर छोड़ना मुश्किल होगा जब उसकी कप्तानी एक भारतीय अमेरिकी की ओर से की जाएगी.
रिपब्लिकन, संपत शिवांगी का कहना है कि हैरिस पार्टी के दृष्टिकोण से एक "महान पसंद" थीं, लेकिन वह भारतीय वोटों को विभाजित कर सकती है- भारतीय विरासत की ओर झुकाव रखने वालों और ट्रम्प के स्पष्ट भारत समर्थक रुख के बीच. इसके अलावा, चीन के लिए ट्रंप की तुलना में बिडेन अधिक सख्त नहीं हो सकते.
लेकिन युवा भारतीय समुदाय के नेता हैरिस के बारे में स्पष्ट रूप से उत्साहित हैं. भारतीय अमेरिकी उम्मीदवारों की भर्ती और फंडिंग के लिए काम करने वाले संगठन IMPACT के कार्यकारी निदेशक नील मखीजा ने हैरिस के नामांकन को "इतिहास में असाधारण लम्हा" बताया है. उन्होंने कहा, समुदाय इतना प्रेरित है कि हम उन्हें कार्यालय में पहुंचाने के लिए संगठित होने, फोन करने और वोट करने जा रहे हैं."
I grew up in an immigrant family in Pennsylvania's coal country. I am most excited about a Vice President @KamalaHarris because she will be a natural leader on two critical issues of our time: climate change and immigration.
She has a global mindset. She gets it. Here's why: https://t.co/QI8GUVTqr4
— Neil Makhija (@NeilMakhija) August 12, 2020
>एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीप समूह (AAPI) के विक्टरी फंड के अध्यक्ष शेखर नरसिम्हन का कहना है कि ये "अमेरिकी राजनीति में भूचाल लाने वाला बदलाव" है. उन्होंने कहा, "यह गूंज जोर से सुनाई दे रही है कि भारतीय अमेरिकी और कमला हैरिस कितनी दूर तक आ चुके हैं. ये अविश्वसनीय यात्रा और क्षमताओं का प्रतीक है. समुदाय जोश में है और बिडेन-हैरिस के लिए मतदान करने को तैयार है." AAPI एक ऐसा संगठन है जो अधिक से अधिक एशियाई अमेरिकियों के चुने जाने के लिए काम कर रहा है.
यह पूछे जाने पर कि हैरिस के नामांकन का अमेरिका-भारत संबंधों के लिए क्या मायने हैं, नील मखीजा ने कहा, “हैरिस ने हमारे दो लोकतंत्रों के बीच सहयोग को गहरा महत्व दिया है. वह कोई भी मुद्दा हो, निष्पक्ष रहेंगी और इस रिश्ते की अहमियत को पहचानेंगी.” शायद ये काफी कुछ सटीक भविष्यवाणी हो सकती है कि आगे क्या हो सकता है.I said her candidacy would be "seismic" for the Indian-American community. "She's a woman, she biracial, she will help win the election for Biden, she appeals to various communities and she's really smart."
"It’s a sign the community ...is coming of age." https://t.co/tqSTRBvfwq
— Shekar Narasimhan (@ShekarNara) August 11, 2020