अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन रविवार सुबह चीन दौरे पर बीजिंग पहुंच गए. वह अमेरिका के पहले विदेश मंत्री हैं, जो 2018 के बाद पहली बार चीन पहुंचे हैं. चीन और अमेरिका के संबंधों में जारी तनाव की वजह से ब्लिंकन का यह दौरा कई महीनों की देरी के बाद हुआ है. उन्होंने इस साल फरवरी महीने में चीन जाने की इच्छा जताई थी लेकिन अमेरिका के आसमान में चीन का जासूसी गुब्बारा होने की घटना के बाद इस दौरे की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.
ब्लिंकन और अमेरिका के अन्य अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि चीन की यह यात्रा कूटनीति के एक और महत्वपूर्ण युग की शुरुआत कर सकती है. लेकिन बीते कुछ हफ्तों से चीन ने टकराव संबंधी रुख अपनाया हुआ है, जिससे यह चिंता भी बढ़ गई है कि चीन में होने वाली ये बैठकें मैत्रीपूर्ण होने के बजाए विरोधाभासी भी हो सकती हैं. हालांकि, ब्लिंकन के इस दो दिवसीय दौरे के दौरान दोनों देश अपनी चिंताओं और मुद्दों पर अपना रुख रखेंगे.
ब्लिंकन किस एजेंडे के तहत चीन पहुंचे?
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का यह चीन दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब 21 जून से भारत के प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के राजकीय दौरे पर जाने वाले हैं. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच उच्चस्तरीय कूटनीतिक संबंधों को फिर से बहाल करना ब्लिंकन की प्राथमिकता होगी. उनका कहना है कि दोनों पक्षों को मौजूदा तनाव दूर करने के लिए बातचीत जारी रखनी होगी.
ब्लिंकन के इस दौरे के दौरान सुरक्षा मुद्दा भी उनकी लिस्ट में होगा. चीन के आसपास समुद्री सीमा में चीन की सेना के साथ अमेरिका का टकराव हाल के महीनों में बढ़ा है. अमेरिका दरअसल एशिया, अफ्रीका और मध्यपूर्व में सैन्यअड्डे स्थापित करने के चीन के प्रयासों पर करीब से निगाह रखे हुए हैं. अमेरिका ने चीन को चेतावनी भी दी है कि वह यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस को घातक हथियार नहीं दे.
विदेश विभाग में पूर्वी एशिया के शीर्ष अधिकारी डेनियल जे. क्रिस्टेनब्रिंक का कहना है कि ब्लिंकन की चीन प्रशासन के साथ ऐसे वैश्विक मुद्दों पर भी बात करने की योजना है, जिनसे दोनों देशों के हित जुड़े हो.
इस दौरान ब्लिंकन चीन सरकार से डिटेन किए गए अमेरिकी नागरिकों को रिहा करने पर भी चर्चा कर सकता है. इसके साथ ही चीन आने के लिए अमेरिकी पत्रकारों को दिए जाने वाले वीजा की संख्या बढ़ाने पर भी बात हो सकती है.
चीन का क्या रुख होगा?
भले ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन खास एजेंडे के तहत चीन पहुंचे हैं. लेकिन चीन भी अपने हितों से जुड़े मुद्दों की लिस्ट तैयार किए बैठा है. इस लिस्ट में ताइवान सबसे ऊपर है. चीन दरअसल ताइवान पर अपने आधिपत्य का दावा करता है लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान को देश के मूल हितों का केंद्र बता चुके हैं और अमेरिका पर चीन के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा चुके हैं.
इसके अलावा सेमीकंडक्टर चिप और मैन्युफैक्चरिंग उपकरणों तक चीन की पहुंच को सीमित करने पर अमेरिका के समक्ष उठा सकता है. चीन की एक शिकायत ये भी रही है कि अमेरिका दरअसल जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और भारत सहित देशों के साथ सुरक्षा संबंधों को बढ़ा रहा है.
क्या शी जिनपिंग विदेश मंत्री ब्लिंकन से मिलेंगे?
एंटनी ब्लिंकन के चीन दौरे के दौरान एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या राष्ट्रपति शी जिनपिंग उनसे निजी तौर पर मिलेंगे या नहीं. इस संबंध में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है. रविवार और सोमवार को होने वाली बैठकों के दौरान ही इस बारे में कोई जानकारी मिल पाएगी.