ट्रंप प्रशासन ने कुछ अप्रवासियों, जिनमें स्वीकृत शरणार्थी भी शामिल हैं, की ग्रीन कार्ड प्रक्रिया को रोक दिया है. CBS न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, शरण या शरणार्थी दर्जा प्राप्त अप्रवासियों द्वारा किए गए स्थायी निवास (Green Card) के आवेदन निलंबित कर दिए गए हैं. इस कदम से कई भारतीय अप्रवासियों पर भी प्रभाव पड़ सकता है.
2023 में, 51,000 से अधिक भारतीय नागरिकों ने अमेरिका में शरण के लिए आवेदन किया, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है. जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के शोध के अनुसार, 2018 में यह संख्या 9,000 थी, जो 2023 तक 466% बढ़कर 51,000 हो गई.
अमेरिकी आव्रजन प्रणाली ऐसे अवैध अप्रवासियों को शरण मांगने की अनुमति देती है, जो सीमा पर पकड़े जाते हैं और अपने देश में उत्पीड़न का डर जताते हैं. इन शरणार्थियों को अमेरिका में प्रवेश के बाद कड़ी सुरक्षा जांच, चिकित्सा परीक्षण और साक्षात्कार की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. यदि उन्हें शरणार्थी दर्जा मिल जाता है, तो वे एक वर्ष बाद ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं.
ट्रंप प्रशासन का अप्रवासन पर रुख
ट्रंप प्रशासन ने अप्रवासियों के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं. उसने शरणार्थी और शरण कार्यक्रमों को निशाना बनाया है, शरणार्थी प्रक्रिया को स्थगित किया है और अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर शरण प्रणाली को बंद करने वाले कार्यकारी आदेश जारी किए हैं. हालांकि, इन आदेशों को अदालत में चुनौती दी जा रही है.
उदाहरण के लिए, 28 मार्च को एक संघीय न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन को लोगों को तीसरे देशों में निर्वासित करने से अस्थायी रूप से रोक दिया, यदि उनके मामले की सुरक्षा समीक्षा नहीं की गई हो.
ग्रीन कार्ड पर रोक के पीछे का कारण
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) के अनुसार, ग्रीन कार्ड प्रक्रिया को रोकने का निर्णय राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा जारी दो कार्यकारी आदेशों के अनुरूप लिया गया है. इनमें से एक आदेश अप्रवासियों की पहचान और सुरक्षा जांच की प्रक्रियाओं को सख्त करने से संबंधित है.
DHS ने कहा, "USCIS कुछ समायोजन स्थिति (Adjustment of Status) आवेदनों को अंतिम रूप देने पर अस्थायी रोक लगा रहा है, ताकि धोखाधड़ी, सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं की अधिक जांच की जा सके."
अन्य अप्रवासी नीतियां और प्रभाव
ट्रंप प्रशासन ने फरवरी में धोखाधड़ी की आशंका के आधार पर सभी लैटिन अमेरिकी और यूक्रेनी आव्रजन आवेदनों को भी रोक दिया था, जो बाइडेन सरकार के तहत अमेरिका आए थे. इसके अलावा, नागरिकता, ग्रीन कार्ड और शरण के लिए आवेदन करने वाले अप्रवासियों के सोशल मीडिया खातों की जांच भी अनिवार्य कर दी गई है.
इस बीच, अमेरिका में कुछ भारतीय छात्र भी अप्रवासन नीतियों के कारण स्व-निर्वासन (self-deportation) करने पर मजबूर हुए हैं. उदाहरण के लिए, कोलंबिया विश्वविद्यालय की छात्रा रंजनी श्रीनिवासन ने कनाडा में स्व-निर्वासन किया, जबकि भारतीय शोधकर्ता बदर खान सूरी के निर्वासन को एक न्यायाधीश ने फिलहाल रोक दिया है.
भारतीय अप्रवासियों पर प्रभाव
बुश इंस्टीट्यूट-एसएमयू इकनॉमिक ग्रोथ इनिशिएटिव की निदेशक लॉरा कॉलिन्स ने कहा कि जिन अप्रवासियों को अमेरिका में रहने की अनुमति दी गई है, वे पहले से ही कड़ी जांच से गुजर चुके हैं. उन्होंने NBC न्यूज से कहा, "शरणार्थी और शरण प्राप्त करने वालों को बहुत अधिक दस्तावेज देने होते हैं. वे तभी अमेरिका में बस सकते हैं जब सरकार उन्हें पहले ही स्वीकृति दे चुकी हो."
ग्रीन कार्ड प्रक्रिया पर रोक से कुछ वास्तविक शरणार्थियों के लिए प्रतीक्षा अवधि बढ़ सकती है, जबकि यह झूठे शरणार्थी दावों की जांच में भी मदद कर सकती है. इस निर्णय से कई भारतीय अप्रवासियों पर भी असर पड़ने की संभावना है.