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तो क्या परेड में अमेरिकी से अधिक रूसी हथियारों की प्रदर्शनी है ट्रंप के भारत दौरे में रुकावट?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 26 जनवरी के मौके पर भारत आने में क्या एक बड़ी वजह हथियारों की प्रदर्शनी में अमेरिकी हथियारों से अधिक रूसी हथियारों की मौजूदगी हो सकती है? ऐसे ही कई सवालों के जवाब दिए पूर्व अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री रेमंड विक्री ने. उन्होंने कहा कि अमेरिका अगर भारत पर ईरान के तेल और रूसी मिसाइल सिस्टम S-400 के सौदे पर प्रतिबंध लगाता है तो इसका नुकसान अमेरिका को ही होगा.

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डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप

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पूर्व अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री रेमंड विक्री ने कहा है कि अमेरिका अगर भारत पर ईरान के तेल और रूसी मिसाइल सिस्टम S-400 के सौदे पर प्रतिबंध लगाता है तो इसका सर्वाधिक नुकसान अमेरिका को ही होगा. इंडिया टुडे को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में रेमंड ने भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों से लेकर ट्रंप के भारत दौरे तक पर कई सवालों के जवाब दिए.

भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों पर

रेमंड ने कहा कि भारत और अमेरिका दुनिया के दो महान लोकतंत्र हैं, जिन्हें  मजबूत सहयोगी होना चाहिए.  हालांकि इसके लिए आर्थिक जुड़ाव बेहद जरूरी है. लेकिन दुर्भाग्यवश, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे प्रोत्साहित करने के इच्छुक नहीं दिखते. उन्होंने कहा कि आप एक तरफ मजबूत सहयोग की बात करें और ठीक उसी समय भारत के नजरिए से महत्वपूर्ण ईरान के तेल पर प्रतिबंध और रूस से रक्षा सौदे को प्रभावित करने वाली चीजें करें, ये साथ नहीं चल सकता. रेमंड ने कहा कि आप ये तर्क नहीं दे सकते कि आप अपनी स्टील इंडस्ट्री को बचाने के लिए टैरिफ लगा रहे फिर दूसरे देशों पर प्रतिबंध थोप रहे.

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उन्होंने कहा कि सौभाग्य से दोनों ओर बहुत सारे लोग हैं जो इसे और आगे बढ़ते देखना चाहते हैं. उन्होंने ट्रंप की ओर इशारा करते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस मामले में अंतिम वक्त में कोई ऐसा ट्वीट नहीं आएगा जो सब कुछ गड़बड़ कर दे.

अमेरिकी प्रतिबंध से भारत को छूट पर

रेमंड ने कहा कि हमने अमेरिकी संसद में लंबे वक्त तक कड़ी मेहनत के साथ काम किया है. अमेरिकी संसद में डैन सुलिवान जैसे कई अग्रणी सीनेटर्स हैं. टिम केन, मार्क वार्नर जैसे सीनेटर्स हैं जो अमेरिकी हितों को ध्यान में रखते हुए भारत को छूट दिलाने में समर्थ हैं. ऐसे में सबसे अहम सवाल है कि S-400 मिसाइल सिस्टम के बारे में राष्ट्रपति क्या फैसला लेते हैं, क्योंकि वे इससे नाखुश थे. रेमंड ने कहा कि मुझे लगता है कि भारत को छूट मिल सकती है. ऐसा सोचना कि भारत अमेरिका को खुश करने के लिए सभी देशों से अपने संबंधों को तोड़ लेगा, वास्तविकता से परे है.

रूसी मिसाइल सिस्टम S-400 पर छूट नहीं मिली तो?

रेमंड ने कहा कि अगर भारत को अमेरिका ने S-400 डील पर छूट नहीं दो तो यह बड़ा झटका होगा. उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों को भारत पर पूरी तरह थोपना अमेरिका के लिए बेहद नुकसानदेह साबित होगा. हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसा कुछ नहीं होगा और अंतिम समीक्षा के बाद भारत को छूट मिल जाएगी.

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चाबहार बंदरगाह पर

रेमंड ने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते में ऊर्जा एक महत्वपूर्ण बिंदु है. रेमंड ने कहा कि आज अमेरिका हाइड्रो-कार्बन, पेट्रोलियम और नेचुरल गैस के उत्पादन के मामले में दुनिया में नंबर एक हैं. इसलिए अमेरिका के लिए भारत में ज्यादा व्यावसायिक संभावनाएं हैं. इसलिए अगर अमेरिका मनमानी करता है कि इससे उसे नुकसान ही होगा. अफगानिस्तान के चाबहार बंदरगाह पर रेमंड ने कहा कि इसमें पाकिस्तान बेवजह रोड़े अटका रहा है.

पेरिस समझौते पर

पेरिस समझौते से अमेरिका के अलग होने पर रेमंड ने कहा कि चाहें केरल की बाढ़ हो या कैलिफोर्निया में आग या फिर टेक्सास में बाढ़, ये सभी प्राकृतिक नहीं हैं. ये सभी आपदाएं मानव निर्मित हैं. जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के सामने एक बड़ा संकट है, जिसका हम सभी सामना कर रहे हैं. दुर्भाग्य से अमेरिका ने इस समझौते से खुद को अलग कर लिया है.

H1B वीज़ा मुद्दे पर

H1B वीज़ा मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कानून और एग्जीक्यूटिव डिसीजन में अंतर होता है. एच1बी वीज़ा में किसी भी प्रकार के बदलाव के लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी जरूरी होती है. अमेरिका को भारत से आने वाली प्रतिभाओं की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अभी इससे कई नुकसान हैं, जिन पर विचार करने की जरूरत है. उन्होंने इस मामले में बेहद सतर्क रहने की बात कही.

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ट्रंप के भारत दौरे पर

गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रंप के भारत जाने के सवाल पर रेमंड ने कहा कि यह बहुत हद तक अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी पर निर्भर करता है. ट्रंप भारत दौरे पर भले ही खुद फैसला कर सकते हैं, लेकिन अगर वे कांग्रेस के खिलाफ जाते हैं तो उनके लिए राजनीतिक समस्या हो सकती है. रेमंड ने कहा कि अगर ट्रंप भारत जाते हैं तो उन्हें बेहद खुशी होगी.

अमेरिकी से अधिक रूसी हथियारों पर

भारत में गणतंत्र दिवस की परेड में अमेरिका से अधिक रूस के हथियारों की प्रदर्शनी होगी. ऐसे में क्या ट्रंप प्रशासन इसी वजह से भारत दौरे को मंजूरी देने में झिझक रहा है, इस सवाल पर रेमंड ने कहा कि निश्चित रूप से यह बड़ी समस्या है. क्योंकि परेड में अमेरिका से अधिक रूस के हथियारों की प्रदर्शनी देखकर ट्रंप क्या महसूस करेंगे, इस बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये भी सच्चाई है कि पिछले कुछ सालों में अमेरिका और भारत में डिफेंस डील 16 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है.

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