राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद 20 जनवरी को शपथ लेते ही डोनाल्ड ट्रंप ने आधिकारिक रूप से अमेरिका की सत्ता को संभाल लिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है. दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठते ही ट्रंप ने कहा कि, वह अमेरिकी लोगों को समृद्ध बनाने के लिए दूसरे देशों पर टैरिफ और टैक्स लगाएंगे. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह एक ऐसी एक्सटर्नल रेवेन्यू सर्विस बनाने जा रहे हैं जिसके जरिए विदेशों से ज्यादा से ज्यादा पैसा अमेरिका आ सके. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि, वह अमेरिकी लोगों को बचाने के लिए सबसे पहले यूएस ट्रेड सिस्टम को सुधारने की दिशा में काम करना शुरू करेंगे.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वह वैश्विक आयात पर 10 फीसदी का टैरिफ और चीनी सामान पर 60 फीसदी टैरिफ लगाएंगे. इसके साथ ही कनाडाई और मेक्सिकन सामान पर 25 फीसदी का इम्पोर्ट सरचार्ज लगाएंगे.
कनाडा और मेक्सिको के मामले में ट्रंप ने एक चेतावनी भी दी है. ट्रंप ने कहा है कि अगर इन दोनों देशों की सरकार अमेरिका में हो रहे अवैध प्रवास और ड्रग्स तस्करी को रोकने में नाकाम रहती हैं तो वह उन पर भी टैरिफ लगाना शुरू कर देंगे.
भारत और अमेरिका एक दूसरे के साथ बड़े स्तर पर कारोबार करते हैं. ऐसे में ट्रंप की विदेशी सामान पर टैरिफ की चेतावनी चिंताजनक जरूर है. भारत में अमेरिका से आने वाले कई सामानों पर भारी टैरिफ लगता है, ऐसे में ट्रंप की ओर से भी विदेशी सामान पर अगर भारी टैरिफ लगाया गया तो इसका कितना असर भारत पर देखने को मिल सकता है?
टैरिफ के मामले में 'जैसे को तैसा' की स्थिति के मूड मे ंहैं ट्रंप
ट्रंप पहले भी भारत समेत कई ऐसे देशों की आलोचना कर चुके हैं जो अमेरिकी सामान पर भारी टैरिफ लगा रहे हैं. ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर भारत जैसे देश अमेरिकी सामान पर भारी टैरिफ लगाएंगे तो अमेरिका भी उनके साथ बिल्कुल ऐसी ही नीति अपनाएगा.
अक्सर भारत को कारोबार में अपना बड़ा सहयोगी बताने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि, अगर भारत हमारे सामान पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएगा तो क्या हमें इसके बदले कुछ नहीं करना चाहिए? ट्रंप ने आगे कहा था कि, भारत हमें साइकिल भेजता है, हम उसे साइकिल भेजते हैं. लेकिन भारत हमारे सामान पर 100 से 200 फीसदी तक भारी टैरिफ लगाता है.
ट्रंप का भारत समेत अन्य देशों के लिए यह नजरिया उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' ट्रेड नीति से जुड़ा है. इस नीति के जरिए ट्रंप का लक्ष्य अमेरिकी वर्कर्स और उनके परिवारों का बचाव करना है. उन्होंने शपथ लेने के बाद कहा कि, उनकी नीतियां एक बार फिर अमेरिका को 'मैन्युफैक्चरिंग नेशन' बना देंगी.
ट्रंप की टैरिफ लगाने की धमकी भारत के लिए कितनी खतरनाक?
टैरिफ लगाने के मामले में डोनाल्ड ट्रंप की 'जैसे को तैसा' की नीति भारत के लिए चिंता की बात जरूर हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो इसका भारी असर भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर पर देखने को मिल सकता है. खासतौर पर इसका असर उन चीजों पर देखने को ज्यादा मिलेगा जो मुख्य रूप से अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं.
ट्रंप की नीति भारतीय निर्यातकों के लिए परेशानी पैदा कर सकती है. उन्हें अमेरिकी बाजार में अपना सामान बेचना और ज्यादा मुश्किल हो सकता है. इसका असर उनकी कमाई पर देखने को मिल सकता है जिसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल सकता है. इससे न सिर्फ रोजगार से जुड़ीं समस्याएं बल्कि देश की आर्थिक प्रगति भी प्रभावित हो सकती है.
अगर ट्रंप भारी टैरिफ लगाते हैं तो सिर्फ कारोबार पर ही इसका असर नहीं होगा. ऐसा करने से दोनों देशों में कंज्यूमर प्राइस बढ़ सकता है. दरअसल, टैरिफ बढ़ेगा तो आयात करने वाली चीजों की कीमत में भी उछाल आएगा. अमेरिका में कंपनियां यह अतिरिक्त भार अपने उपभोक्ताओं पर थोप सकती हैं जिससे बाजार में महंगाई आ सकती है. इसी तरह भारत में भी अमेरिकी सामान और ज्यादा महंगा हो जाएगा और उन तक आम लोगों की पहुंच धीरे-धीरे कम हो सकती है.
ब्रिक्स करेंसी को लेकर भी डोनाल्ड ट्रंप दे चुके हैं टैरिफ की चेतावनी
अमेरिका चुनाव जीतने के बाद पिछले साल दिसंबर में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत सभी ब्रिक्स देशों को 100 फीसदी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि, अगर ब्रिक्स देश डॉलर को छोड़कर किसी अन्य या किसी नई करेंसी को कारोबार के लिए मान्यता देते हैं तो उन्हें अमेरिका से व्यापार खत्म करना होगा.
मालूम हो कि पिछले साल अगस्त में रूस में ब्रिक्स देशों की एक मीटिंग हुई थी जिसमें डॉलर की जगह किसी अन्य करेंसी में कारोबार पर चर्चा की गई थी. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस मामले में सहमति जताई थी. उन्होंने कहा था कि, कई मेंबर देशों का मानना है कि वह किसी तीसरी करेंसी में कारोबार क्यों करें.