...जब ब्रिटिश साम्राज्य का खात्मा कर जॉर्ज वॉशिंगटन के योद्धाओं ने साल 1776 में आजादी हासिल की तो सवाल उठा कि अमेरिका मतलब क्या? यही से शुरू हुई भविष्य की विश्व महाशक्ति अमेरिका के बनने की कहानी. उस वक्त 13 कॉलोनियों में बंटा अमेरिका 'यूनाइटेड स्टेट्स' कहलाने लगा. जो नाम अब तक है. हालांकि, उस वक्त अमेरिकन की जगह हर इलाके के लोगों की अपनी अलग पहचान थी. तब न्यूयॉर्क वाले न्यूयॉर्कर और वर्जीनिया वाले वर्जीनियन ही कहलाते. एक साझी अमेरिकी विरासत के आने में अभी देरी थी.
दक्षिण-पश्चिम के कई राज्य जैसे टेक्सास, कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, नेवादा आदि तो अमेरिका के हिस्से ही नहीं थे. कुछ खरीदे गए और अधिकतर मेक्सिको से लड़ाई कर जीते गए. ये बात बहुत पुरानी भी नहीं है. 1848 में जाकर मेक्सिको से कैलिफोर्निया और अरिजोना जैसे बड़े राज्य छीने गए. मेक्सिको वालों को धकियाकर उन्हें एक छोटा मु्ल्क बना दिया गया और अब वही अमेरिका अपनी सीमा पर दीवार बना रहा, ताकि उसी मैक्सिको के लोग अमेरिका की सीमा में घुस न सकें, उन्हीं इलाकों में जो कि पहले उन्हीं का हिस्सा था.
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खैर, लौटते हैं फिर मेकिंग ऑफ अमेरिका के दौर में... तब देश तो बन गया लेकिन एक कॉकटेल नेशन के रूप में. क्योंकि जब अमेरिका में ये नए इलाके मिले तो एक क्लैश की स्थिति बन आई. क्लैश संस्कृति का, क्लैश धर्म का... क्योंकि ब्रिटिश संस्कृति में पले नॉर्थ के राज्यों से जब साउथ के ये खेतिहर 'काउ बेल्ट' सरीखे राज्य मिले तो ये द्वंद तो होना ही था. फिर सिविल वॉर से गुजरता हुआ अमेरिका लगातार बदलता रहा, धीरे-धीरे ये कैथोलिक अमेरिका प्रोटेस्टेंट होता चला गया और वक्त के साथ देश की सीमा और पहचान भी बदलती चली गई. जैज म्यूजिक का दौर आया, हिप-हॉप और पॉप म्यूजिक का दौर आया.
अमेरिका-मेक्सिको युद्ध
1846 से 1848 के बीच चले अमेरिका-मेक्सिको युद्ध ने इस क्षेत्र के भूगोल को बदल दिया. युद्ध का मुख्य कारण था अमेरिका का Manifest Destiny का सिद्धांत, जिसमें यह विश्वास था कि अमेरिका को पूरे उत्तरी अमेरिका पर अधिकार करना चाहिए. युद्ध के परिणामस्वरूप, 1848 में ट्रीटी ऑफ ग्वाडालूपे हिडाल्गो पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत मेक्सिको ने कैलिफोर्निया, नेवादा, यूटा, एरिज़ोना, न्यू मैक्सिको, और टेक्सास के कुछ हिस्सों को अमेरिका को सौंप दिया. यह संधि अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक जीत थी, लेकिन इसने मेक्सिको में गहरी निराशा और असंतोष भी पैदा किया.
कहा जाता है कि अमेरिका को विशाल अमेरिका बनने के लिए मेक्सिको को अपनी जमीन का 55 फीसदी हिस्सा खोना पड़ा. आप सोचकर देखिए अगर ये इलाके आज अमेरिका नहीं मेक्सिको में होते तो.
अंकल सैम को आखिर दिक्कत क्या?
आज अमेरिका और मेक्सिको के बीच करीब 2000 मील लंबी सीमा है, जहां सबसे बड़ी समस्या अमेरिका यानी अंकल सैम के लिए है अवैध आव्रजन, ड्रग्स की तस्करी और घुसपैठ की आशंका. इन हजारों-लाखों अवैध अप्रवासियों की एंट्री का सबसे बड़ा जोखिम अमेरिका को पड़ोसी मेक्सिको की सीमा से है, जहां ट्रंप दीवार बनाने की परियोजना पिछले चुनाव में लेकर आए थे, ताकि अमेरिकन ड्रीम को पूरा करने के लिए अवैध रूप से सीमा में घुसकर आने वालों को रोका जा सके. ये सवाल भी इस चुनाव में है कि क्या इस दीवार पर काम आगे बढ़ेगा और अप्रवासियों के ड्रीम अमेरिका पर और सख्ती होगी या सियासत का सिक्का दूसरी करवट बैठेगा?
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अवैध घुसपैठ कितनी बड़ी समस्या?
दीवार भले ही पूरी न बन पाई हो लेकिन इतना भी बनने से पहले, अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर अवैध आव्रजन की समस्या ज्यादा ही गंभीर थी. हर साल हजारों लोग बेहतर जीवन की तलाश में अमेरिका की ओर बढ़ते थे. 2010 के दशक के मध्य में, यह अनुमान लगाया गया था कि प्रति वर्ष लगभग 4,00,000 से 7,00,000 लोग अवैध रूप से सीमा पार करते थे. अवैध प्रवासियों में केवल मेक्सिकन नागरिक ही नहीं, बल्कि मध्य अमेरिका के देशों जैसे ग्वाटेमाला, होंडुरास, और एल सल्वाडोर के लोग भी शामिल थे. ये लोग हिंसा, गरीबी, और राजनीतिक अस्थिरता से बचने के लिए अमेरिका की ओर पलायन कर रहे थे.
दीवार निर्माण का आइडिया
1990 के दशक में, अमेरिका ने सीमा सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कई उपाय किए, जैसे कि 'ऑपरेशन गेटकीपर'. इस ऑपरेशन का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की संख्या को नियंत्रित करना था. हालांकि, इससे प्रवासियों ने अधिक खतरनाक और कठिन रास्तों का चयन करना शुरू कर दिया, जिससे कई लोगों की जानें गईं. 2006 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने सीमा पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक दीवार बनाने की योजना की घोषणा की. फिर डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 के चुनावी अभियान में सीमा पर दीवार बनाने का वादा किया, जिसे उन्होंने अपने प्रशासन के दौरान लागू करने की कोशिश की.
ट्रंप की दलील क्या?
ट्रंप ने 2016 में कहा था कि यह दीवार अमेरिका की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. यह दीवार एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनी, जिसमें यह दावा किया गया कि अवैध प्रवासियों और मादक पदार्थों की तस्करी को नियंत्रित करने के लिए यह आवश्यक है. दीवार का निर्माण 2017 में शुरू हुआ, और इसके लिए 5.7 बिलियन डॉलर की मांग की गई थी. हालांकि, यह परियोजना कई राजनीतिक विवादों का कारण बनी, और इसके निर्माण में कई बाधाएं आईं. ट्रंप प्रशासन ने स्टील की दीवार का प्रस्ताव रखा, जो कंक्रीट की दीवार की तुलना में अधिक प्रभावी माना गया. इस दीवार को लेकर पर्यावरण से जुड़े सवाल भी उठाए गए. ट्रंप की सरकार जाने के बाद बाइडेन प्रशासन के तहत, दीवार के निर्माण की गति धीमी हो गई. कई परियोजनाओं को रद्द कर दिया.
खासकर उन परिवारों से जुड़े सवाल उठाए गए जो दीवार के दोनों तरफ रहते हैं या काम-काज के लिए आते-जाते रहते हैं. हजारों लोग हर साल अवैध रूप से सीमा पार करने की कोशिश करते हैं, जिससे कई दुर्घटनाएं भी होती हैं. हाल ही में, एक परिवार के सदस्य की दीवार पर चढ़ने के दौरान मौत हो गई, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है. कोविड-19 महामारी के दौरान, अमेरिका ने 'टाइटल 42' नियम लागू किया, जिसने प्रवासियों को सीमा पर ही लौटाने की अनुमति दी. इस नियम के तहत लाखों लोगों को अमेरिका में प्रवेश से मना कर दिया गया. हालांकि, 2023 में इस नियम के अंत के साथ, कई प्रवासियों को अमेरिका में बसने की उम्मीद जगी.
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और भी सीमाओं पर है विवाद...
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में विभिन्न देशों से आए अवैध अप्रवासियों की संख्या 1 करोड़ 14 लाख से भी अधिक है. क्योंकि कई इलाकों से लोग अवैध रूप से अमेरिका पहुंचने की लगातार कोशिशें करते रहते हैं. मेक्सिको जैसे विवाद अमेरिका के और भी कई पड़ोसी देशों के साथ है. कनाडा के साथ 'स्मार्ट बॉर्डर' मैनेजमेंट है, लेकिन कस्टम्स ड्यूटी और सीमा पार व्यापार को लेकर कई बार तनाव भी उत्पन्न हुए हैं.
क्यूबा के साथ अमेरिका के संबंध ऐतिहासिक रूप से तनावपूर्ण रहे हैं. क्यूबा में 1959 में फिदेल कास्त्रो के सत्ता में आने के बाद से अमेरिका ने क्यूबा पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए. अब राउल कास्त्रो के शासन में भी क्यूबा के साथ अमेरिका के तनावपूर्ण संबंध हैं. वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मदुरो के शासन के खिलाफ अमेरिका की नीति के कारण उससे भी तनाव है. तो मध्य अमेरिका के देश ग्वाटेमाला, होंडुरास, और एल सल्वाडोर के साथ भी अमेरिका के संबंध जटिल हैं. इन देशों से अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ने के कारण अमेरिका ने इन देशों में आर्थिक सहायता और विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन इन देशों में हिंसा और गरीबी के कारण प्रवासी समस्या बनी हुई है.
अब देखना ये है अप्रवासियों को खुले दिल से स्वीकार करने वाला अमेरिकी समाज इस चुनाव में क्या स्टैंड लेता है. चुनाव के नतीजे तय करेंगे कि मेक्सिको समेत बाहर से अमेरिका आकर किस्मत चमकाने वाले लोगों पर अमेरिका का स्टैंड और सख्त होता है कि नरम?