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डोनाल्ड ट्रंप या जो बिडेन? अमेरिकी चुनाव में किसकी नैया पार लगाएंगे भारतीय मूल के वोटर

भारतीय मूल के अमेरिकी वोटरों को लुभाने के लिए पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भी कई तरीके अपनाए गए थे. डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दिया गया अबकी बार ट्रंप सरकार का नारा हर किसी को याद है. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव में इसका काफी कम फायदा मिला था.

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डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन
डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन

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  • अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव
  • इस बार डोनाल्ड ट्रंप बनाम जो बिडेन की लड़ाई
  • निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं भारतीय मूल के वोटर

कोरोना वायरस महासंकट के बीच अमेरिका में अब राष्ट्रपति चुनाव के लिए हलचल काफी तेज़ हो गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों बयान दिया कि वो चाहते हैं कि चुनाव की तारीख को आगे बढ़ा दिया जाए. इस बयान का जमकर विरोध हुआ, पार्टी के अंदर ही डोनाल्ड ट्रंप घिर गए. अमेरिकी संविधान के तहत डोनाल्ड ट्रंप ऐसा नहीं कर सकते हैं, ऐसे में चुनाव टलने की उम्मीद काफी कम है.

इस बीच दोनों ही उम्मीदवार वोटरों को लुभाने में लगे हुए हैं. अमेरिकी चुनाव में इस बार भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में भारतीय मूल के वोटर अमेरिका के चुनाव में कितने मायने रखते हैं, एक नज़र डालिए...

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अमेरिका में कितने हैं भारतीय मूल के वोटर?

साल 2018 में अमेरिका में मिड टर्म के चुनाव हुए थे, तब जो आंकड़े आए थे. उसके मुताबिक, अमेरिका में करीब 41 लाख भारतीय मूल के अमेरिकी रहते हैं. इनमें से करीब 44 फीसदी ऐसे हैं, जो वोट डालने के लायक हैं. यानी करीब पंद्रह लाख के आसपास भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अपना वोट डालेंगे, जो किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के लिए एक बड़ा आंकड़ा हो सकता है. यही कारण है कि इस बार हर उम्मीदवार इन्हें रिझाने में लगा हुआ है.

2020 के चुनावों में क्या है असली मुद्दा?

पिछले कुछ वक्त से अमेरिका में अलग तरह की हलचल मची हुई है. कोरोना वायरस संकट के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर किसी के निशाने पर हैं, आंकड़ों के मुताबिक वो चुनावों में पिछड़ रहे हैं. लेकिन अगर भारतीय मूल के अमेरिकी वोटर की नज़र से देखें तो कई ऐसे मुद्दे हैं जो इस बार मायने रखेंगे. सबसे पहले तो H1B वीज़ा का मसला जिसपर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से सख्ती दिखाई गई है. अगर ट्रंप आगे बढ़ते हैं तो हजारों भारतीयों की नौकरी संकट में आ सकती है.

इसके साथ ही अश्वेत लोगों के साथ हो रहे अत्याचार, प्रवासियों के खिलाफ बढ़ते आक्रमण, अमेरिका में लगातार गन कल्चर को मिलते बढ़ावे जैसे मसलों पर कई बार भारतीय मूल के लोगों की चिंताएं सामने आई हैं. ऐसे में ये असली मुद्दे हैं जो तय करेंगे कि भारतीय वोटर इस बार रिपब्लिकन पार्टी की ओर जाते हैं या फिर डेमोक्रेट्स का साथ देते हैं.

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जो बिडेन या डोनाल्ड ट्रंप प्रचार में कौन आगे?

अमेरिका में दोनों पार्टियां जानती हैं कि भारतीय मूल के वोटरों का साथ लेकर वो आसानी से अपनी बढ़त को मजबूत कर सकती हैं. ऐसे में दोनों की ओर से इन्हें लुभाने की कोशिश होती रही है. डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना संकट के बीच कई बार भारत की तारीफ की है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सच्चा दोस्त करार दिया है. जो भारतीय वोटरों को लुभाने का तरीका रहा है, पिछले साल हाउडी मोदी का कार्यक्रम या इस साल गुजरात में नमस्ते ट्रंप का मंच, ट्रंप ने यहां से भी अमेरिकी चुनाव को साधने की कोशिश की है. हालांकि, कई बार वो ऐसे बयान दे देते हैं जो उनके खिलाफ काम करते हैं.

अगर दूसरी ओर जो बिडेन की बात करें तो डेमोक्रेट्स पार्टी का उम्मीदवार होना उनके लिए फायदेमंद साबित होता है. इसके बावजूद उनकी ओर से कई ऐसे वादे किए गए हैं, जो भारतीय मूल के वोटरों को लुभाने वाले हैं. जैसे कि ट्रंप प्रशासन ने H1B वीज़ा के लिए जो बात कही है, उसपर बिडेन का रुख अलग है और वो प्रवासियों की नौकरी की चिंता की बात करते हैं.

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साथ ही वोटरों को लुभाने के लिए जो बिडेन की टीम ने अलग-अलग भाषाओं में मैसेज पहुंचाने की कोशिश की है. इसमें एक नारा दिया गया है ‘अमेरिका का नेता कैसा हो, जो बिडेन जैसा हो’. इस संदेश को अमेरिका में गुजराती, मराठी, तमिल, पंजाबी जैसी भाषाओं में पहुंचाया जा रहा है. हालांकि, कई बार मोदी सरकार की आलोचना, भारत की विदेश नीति पर तल्ख टिप्पणी को लेकर जो बिडेन भी लोगों के निशाने पर आ चुके हैं. ऐसे में देखना होगा कि भारतीय वोटर किसकी ओर अपना पलड़ा झुकाते हैं.

2016 के चुनाव में किसके साथ थे भारतीय वोटर?

भारतीय मूल के अमेरिकी वोटरों को लुभाने के लिए पिछले राष्ट्रपति चुनाव में भी कई तरीके अपनाए गए थे. डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा दिया गया ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा हर किसी को याद है. हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव में इसका काफी कम फायदा मिला था. क्योंकि आंकड़ों के मुताबिक, करीब 70 फीसदी भारतीय मूल के वोटरों ने 2016 में हिलेरी क्लिंटन के लिए वोट दिया था. लेकिन अंत में डोनाल्ड ट्रंप ही चुनाव जीत गए थे.

अमेरिका के कई ऐसे राज्य हैं जहां पर भारतीय मूल के वोटरों की संख्या 5 फीसदी से अधिक है. इनमें एरिजोना, फ्लोरिडा, पेनसेल्वेनिया, मिचिगन, टेक्सास जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं. इनमें से अधिक राज्यों में डेमोक्रेट्स पार्टी की नींव मजबूत मानी जाती रही है.

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क्या कहता है भारतीय मूल के अमेरिकी वोटरों का इतिहास?

दरअसल, अगर पिछले कुछ चुनावों को देखें तो भारतीय मूल के अमेरिकी वोटरों का झुकाव डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर लगातार बना रहा है. फिर चाहे वो 2016 के चुनाव में हिलेरी क्लिंटन के लिए वोट डालना हो या फिर उससे पहले के दो चुनावों में बराक ओबामा का खुलकर साथ देना हो. इसके पीछे रिपब्लिकन पार्टी का अपना एक एजेंडा रहा है, क्योंकि रिपब्लिकन पार्टी के कई मुद्दे ऐसे रहे हैं जो भारतीय मूल के वोटरों के खिलाफ ही गए हैं. फिर चाहे वो गन कल्चर का समर्थन हो, प्रवासियों के लिए सख्त कानून हो या फिर अमेरिकन बनाम बाहरी की लड़ाई हो. ऐसे में कई चुनावों में भारतीय या एशियाई मूल के वोटरों ने डेमोक्रेट्स का साथ दिया है.

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