अमेरिका में अगले साल राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक नया राष्ट्रपति चुनने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी भारतवंशियों को एकजुट करने की योजना बना रही है ताकि वे बाइडेन को एक बार फिर राष्ट्रपति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके.
डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए फंड जुटाने वाले एक प्रमुख भारतवंशी रमेश कपूर ने कहा कि हिंदू अमेरिकी पारंपरिक रूप से डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक हैं लेकिन बीते कुछ चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ उनका रूझान काफी बढ़ा है. ऐसे में इस समुदाय को एकजुट करना डेमोक्रेटिक के लिए बहुत जरूरी हो गया है.
राष्ट्रपति बाइडेन ने हाल ही में कपूर को व्हाइट हाउस में हॉलीडे पार्टी के लिए आमंत्रित किया था. खबर है कि इस मौके पर भी पार्टी के इस मास्टरप्लान पर चर्चा हुई थी. कपूर का कहना है कि वे हिंदुओं को साधने के लिए वे पार्टी और पार्टी नेताओं को विस्तृत रिपोर्ट सौंप चुके हैं.
बाइडेन के लिए हिंदू वोट क्यों जरूरी?
कपूर का कहना है कि उन्होंने फैक्ट बेस रिपोर्ट तैयार की है और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सुझाव दिए हैं ताकि 2024 के चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव प्रचार में मदद मिल सके. ऐसे में ये किसी से छिपा हुआ नहीं है कि बाइडेन के दोबारा राष्ट्रपति बनने के लिए हिंदू वोट क्यों जरूरी हैं.
उन्होंने कहा कि मैं बाइडेन प्रशासन के समर्थन के लिए हिंदुओं को एकसाथ लाने की कोशिश कर रहा हूं. यकीनन 72 फीसदी भारतवंशियों ने पिछली बार बाइडेन को वोट किया था. हम पुख्ता करना चाहते हैं कि हिंदू अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट करने के लिए एकजुट हो सकें.
क्या एंटी हिंदू है डेमोक्रेटिक पार्टी?
हिंदुओं को एकजुट करने का काम थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि धारणा ये है कि डेमोक्रेटिक पार्टी हिंदू विरोधी है. मैंने व्हाइट हाउस में बात की है. मैंने कैंपेन टीम से बात की है कि इस धारणा को बदलना होगा और मैं यही कोशिश कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि हमने मुस्लिमों और हिंदुओं के लेकर राज्यवार आंकड़ें इकट्ठा किए हैं.
कपूर ने कहा कि जिन राज्यों में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के बीच कांटे की टक्कर हैं, वहां भारतीय अमेरिकी समुदाय बेहद अहम है. जिन राज्यों में दोनों पार्टियों में कड़ा मुकाबला है, वहां हिंदू भारतीय समुदाय की अच्छी खासी तादाद है. कहा गया कि ओबामा के कार्यकाल के दौरान मुस्लिम अमेरिकी मतदाताओं को खुश करने के लिए हिंदू अमेरिकी मतदाताओं को नाराज किया गया. लेकिन कहा जा रहा है कि अब इजरायल-हमास जंग की वजह से मुस्लिम मतदाता बाइडेन सरकार से खुश नहीं हैं.