अरुणाचल में एलएसी के पास तवांग में हुई झड़प पर अमेरिका ने भारत का साथ दिया है. पेंटागन प्रेस सचिव पैट राइडर ने कहा कि चीन इंडो-पैसिफिक रीजन में अमेरिकी सहयोगियों और साझेदार देशों को जानबूझ कर उकसा रहा है और हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग हैं.
पेंटागन ने कहा कि अमेरिकी रक्षा विभाग वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है. अमेरिका ने एलएसी के पास चीन की ओर से सैन्यीकरण और सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण की भी आलोचना की है. पेटांगन के प्रेस सचिव पैट राइडर ने साफ शब्दों में कहा, "हम अपने सहयोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर तत्पर हैं." प्रेस सचिव ने भारत का समर्थन करते हुए कहा कि भारत की ओर से तनाव को कम करने की कोशिश का हम समर्थन करते हैं.
चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को सदन में बताया कि चीनी सैनिकों ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में एलएसी के पास यथास्थिति बदलने की कोशिश की लेकिन हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का डट कर सामना किया. रक्षा मंत्री ने सदन में बताया कि भारतीय सैनिकों ने उनके मंसूबो पर पानी फेर दिया और चीनी सैनिकों को पीछे हटना पड़ा. हालांकि उन्होंने बताया कि इस दौरान दोनों पक्षों की ओर से झड़प हो गई. रक्षा मंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस झड़प में किसी भी भारतीय सैनिकों की मृत्यु नहीं हुई है और न ही कोई गंभीर रूप से घायल है.
व्हाइट हाउस ने भी जारी किया बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति आवास व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका एलएसी की स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए है. अरुणाचल में हुई सीमा झड़प पर अमेरिका ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह खुशी की बात है कि दोनों देशों की सेनाएं समय रहते पीछे हट गईं.
भारत-अमेरिका के युद्धाभ्यास पर चीन हुआ था नाराज
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की सेनाओं ने हाल ही में उत्तराखंड में एलएसी से लगभग 100 किलोमीटर दूर संयुक्त सैन्य अभ्यास 'युद्ध अभ्यास' के 18 वें संस्करण में भाग लिया था. इस संयुक्त अभ्यास पर चीन ने आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा था कि यह सैन्य अभ्यास नई दिल्ली और बीजिंग के बीच हुए समझौतों की भावना का उल्लंघन करता है.
भारत और अमेरिका दोनों ने चीन के इस विरोध को खारिज करते हुए कहा था कि दो देशों के बीच हो रहे सैन्य अभ्यास पर तीसरे देश को टिप्पणी करने की अनुमति नहीं है. भारत ने स्पष्ट करते हुए कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच सैन्य अभ्यास का 1993 और 1996 के समझौतों से कोई लेना-देना नहीं है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि भारत किसके साथ सैन्य अभ्यास करेगा यह उसका अपना मामला है.