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ईरान से तनाव के बीच US ने कतर में तैनात किए एफ-22 लड़ाकू विमान

ईरान से तनाव के मद्देनजर अमेरिका ने पहली बार कतर में एफ-22 स्टील्थ विमानों को तैनात किया है. अमेरिकी सेना ने यह जानकारी दी है. यूएस एयरफोर्स सेंट्रल कमांड ने एक बयान में कहा, ''अमेरिकी सेना और उनके हितों की रक्षा करने के लिए एफ-22 राप्टर स्टील्थ फाइटर जेट्स की तैनाती की गई है.'' यह साफ नहीं हो पाया है कि कितने विमानों की तैनाती की गई है.

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दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है
दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है

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ईरान से तनाव के मद्देनजर अमेरिका ने पहली बार मध्य पूर्व के कतर में एफ-22 स्टील्थ विमानों को तैनात किया है. अमेरिकी सेना ने यह जानकारी दी है. यूएस एयरफोर्स सेंट्रल कमांड ने एक बयान में कहा, ''अमेरिकी सेना और उनके हितों की रक्षा करने के लिए एफ-22 राप्टर स्टील्थ फाइटर जेट्स की तैनाती की गई है.'' यह साफ नहीं हो पाया है कि कितने विमानों की तैनाती की गई है.

लेकिन सीएनएन के मुताबिक करीब एक दर्जन विमानों को भेजा गया है. सामने आई एक तस्वीर में कतर के अल उदीद एयरबेस के ऊपर 5 लड़ाकू विमानों को उड़ते देखा गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान के साथ मल्टी पार्टी 2015 न्यूक्लियर डील रद्द करने और उस पर प्रतिबंध लगाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है.

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 पिछले हफ्ते ईरान ने खाड़ी में अमेरिका का एक ड्रोन मार गिराया था, जिसके बाद दोनों देश युद्ध की कगार तक पहुंच गए थे. इस मामले पर ईरान का कहा कि ड्रोन उसके हवाई क्षेत्र में उड़ रहा था. वहीं अमेरिका ने कहा कि ड्रोन अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में था. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने ईरान में तीन जगहों पर हमले की तैयारी कर ली थी. लेकिन बाद में सिर्फ इसलिए रुक गए क्योंकि इस हमले में 150 लोग मारे जाते.

ईरान और अमेरिका के बीच कई बार जुबानी जंग भी हो चुकी है. हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खमेने और विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारिफ पर नए प्रतिबंध लगाए थे. ईरान से हालिया टकराव के बाद अमेरिका मध्य पूर्व में अपनी सेनाओं को तैनात कर रहा है.

एयर टू एयर मिसाइल से लैस एफ-22 लड़ाकू विमान जमीन पर भी हमले करने में सक्षम है और इससे पहले इसे संयुक्त अरब अमीरात स्थित अल-दफरा एयरबेस पर तैनात किया गया था. एक डिफेंस ऑफिसर ने कहा कि मध्य पूर्व में लड़ाकू विमानों की तैनाती की घोषणा पहले ही की जा चुकी है.

इसका मकसद सीरिया और इराक में अमेरिका की क्षमता को बढ़ाना है. यहां अमेरिकी सेनाएं ईरान का समर्थन पाए आतंकियों से लड़ाई लड़ रही हैं. अमेरिकी अफसरों का यह भी कहना है कि ईरानी सेना और उसके समर्थक अमेरिकी सेना पर इस इलाके में हमला भी कर सकते हैं.  

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