अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हरकत-उल-मुजाहिदीन सहित 20 ऐसे आतंकवादी संगठनों के नाम इस्लामाबाद के साथ साझा किए हैं, जिनके बारे में उसे लगता है कि वे भारत और अफगानिस्तान को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान की धरती से अपनी गतिविधियां चला रहे हैं.
डॉन अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, इस सूची में सबसे ऊपर हक्कानी नेटवर्क है. अमेरिका मानता है कि हक्कानी नेटवर्क को पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के संघीय प्रशासन वाले कबायली इलाके में पनाहगाह उपलब्ध है. जिसका उपयोग वह अफगानिस्तान में हमलों के लिए करता है. अखबार ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सूची में तीन प्रकार के आतंकवादी संगठन हैं.
पहला- जो अफगानिस्तान में हमले करते हैं.
दूसरा- जो पाकिस्तान के अंदर ही हमले करते हैं.
तीसरा- जिनका निशाना कश्मीर है.
हरकत उल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे भारत को निशाने पर लेने वाले संगठन भी इस सूची में हैं. अमेरिका का कहना है कि इस संगठन का ओसामा बिन लादेन और अलकायदा से भी संपर्क रहा है. जैश ए मोहम्मद भी कश्मीर में ही सक्रिय है.
अखबार के अनुसार, अमेरिका की नजर में लश्कर ए तैयबा दक्षिण एशिया में सबसे बड़े और सबसे अधिक सक्रिय आतंकवादी संगठनों में एक है. उसकी स्थापना 1987 में अफगानिस्तान में हाफिज सईद, अब्दुल्ला आजम और जफर इकबाल ने की थी. उसका मुख्यालय पंजाब प्रांत के मुरिदके में है और उसके भी निशाने पर कश्मीर है. वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले और 2008 में मुम्बई में हुए हमले में उसी का हाथ था. अमेरिका उसे पाकिस्तान के अंदर भी निशाना बनाकर सैकड़ों लोगों को मारे और दर्जनों सामूहिक हमलों के लिए दोषी मानता है. विभिन्न आतंकी गुटों के समूह तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, हरकत जिहाद ए इस्लामी, जमातुल अहरार, जमातुद दावा, अल कुरान और तारिक गिदार ग्रुप जैसे अन्य संगठनों के नाम भी इस सूची में हैं.
वर्ष 2014 में पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए घातक हमले में तारिक गिदार ग्रुप का ही हाथ था. इस हमले में 132 बच्चे और नौ कर्मचारी मारे गये थे. बहरहाल, सूत्रों ने इस बात का खंडन किया कि जब पिछले हफ्ते अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन पाकिस्तान गये थे तब उन्होंने उसे 75 आतंकवादी संगठनों की सूची सौंपी थी. टिलरसन ने सोमवार को अमेरिकी संसद की सीनेट की विदेश मामले समिति से कहा था कि पाकिस्तान आतंकवादियों को निशाना बनाने को इच्छुक हैं. बशर्ते उसे उनके ठिकानों के बारे में स्पष्ट सूचना मिले. अमेरिका की पाकिस्तान को ऐसा करने का मौका देने की योजना है. उन्होंने यह भी कहा था कि आतंकी संगठनों से संबंध रखने के पुराने रूख को बदलना पाकिस्तान के हित में है.