यहां दो अमेरिकी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी देशद्रोह और आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार किए गए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विद्यार्थियों के प्रति समर्थन दिखाने के लिए एकत्रित हुए. समाचारपत्र 'वॉशिंगटन स्क्वायर' की सोमवार की रिपोर्ट के अनुसार, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (एनवाईयू) और कूपर यूनियन कॉलेज के विद्यार्थी जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य छात्रों के प्रति अपना समर्थन दिखाने के लिए वॉशिंगटन स्क्वायर पार्क में इकट्ठा हुए.
भारतीय मूल के छात्र भी हुए शामिल
रैली में भारतीय-अमेरिका विद्यार्थी भी शामिल थे. रैली के दौरान एक भारतीय-अमेरिकी छात्रा ने कहा कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य कन्हैया की गिरफ्तारी के बारे में जागरूकता लाना है. अंजना श्रीधर ने कहा, 'कन्हैया को सरकार के खिलाफ बयानबाजी करने की वजह से गिरफ्तार किया गया. हालांकि, उन्होंने वास्तव में सरकार के खिलाफ कुछ नहीं बोला था. वह सिर्फ कविता पढ़ रहे थे.'
कन्हैया की मारपीट और गिरफ्तारी का विरोध
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की एक छात्र कार्यकर्ता सुमति कुमार ने कहा कि वह जेएनयू के विद्यार्थियों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए रैली में शामिल हुई हैं. आरोप है कि जेएनयू के आरोपी छात्रों के साथ मारपीट की गई और उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
मानव विज्ञान की प्रोफेसर तेजस्विनी घांटी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि विद्यार्थियों ने जेएनयू के विद्यार्थियों के समर्थन में आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटियों को सभी विचारों का एक खुला मंच होना चाहिए.
क्या है मामला?
गौरतलब है कि 9 फरवरी को अफजल गुरु की बरसी के मौके पर जेएनयू में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस दौरान वहां देशविरोधी नारे लगाए गए थे. एक वीडियो सामने आई थी जिसमें जेएनयू छात्र संघ का अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी नारे लगाते दिख रहा था. इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और फिलहाल वो न्यायिक हिरासत में है. बाद में इस मामले में उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्या, रामा नागा और आशुतोष समेत पांच अन्य छात्रों के नाम भी सामने आए. फिलहाल उमर खालिद और अनिर्बान पुलिस के सामने सरेंडर कर कर चुके हैं.
पहले भी उठी आवाजें
पहली बार नहीं है जब जेएनयू छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में विद्यार्थियों ने विरोध किया है. इससे पहले जाधवपुर यूनिवर्सिटी में भी इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की गई थी. आईआईटी मद्रास और आईआईटी मुंबई में भी इसके खिलाफ आवाजें उठी थी.