अमेरिका ने इस साल पाकिस्तान को सुरक्षा मद में दी जाने वाली तीन अरब डॉलर की सहायता राशि को टाल दिया. आतंकी समूहों पर लगाम लगाने में विफल रहने पर पाकिस्तान के खिलाफ ये कार्रवाई की गई है. यह आंकड़ा पूर्व में ट्रंप सरकार द्वारा उल्लेखित 1.3 अरब डॉलर से बहुत अधिक है.
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा ने सूत्रों के हवाले से बताया कि विभिन्न माध्यमों से किए गए भुगतान के हालिया संकलन से तीन अरब डॉलर का आंकड़ा प्राप्त हुआ है.
हालांकि, अब तक तीन अरब डॉलर की निलंबित राशि को सार्वजनिक नहीं किया गया है. लेकिन यह इस महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कहे गए 1.3 अरब डॉलर और पिछले सप्ताह पेंटागन द्वारा बताए गए 1.66 अरब डॉलर से बहुत अधिक है.
ऐसा समझा जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच हाल में ट्विटर पर हुई जंग के बाद अमेरिकी सरकार की विभिन्न शाखाओं से प्राप्त आंकड़ों का संकलन किया गया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस महीने कहा था कि दक्षिण एशियाई देशों के लिए अमेरिका की ओर से अरबों डॉलर खर्च किये जाने के बावजूद पाकिस्तान ने उनके देश के लिए कुछ भी नहीं किया. खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें ‘ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी होनी चाहिए.’
अमेरिका पहले ही सतर्क
इस बीच, आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज की मांग की है. इसके बाद अमेरिका सतर्क हो गया है. अमेरिका को शक है कि पाकिस्तान आईएमएफ से ये सहायता चीन का कर्ज उतारने के लिए मांग रहा है. उसने (अमेरिका) पाकिस्तान से चीन के कर्ज पर पारदर्शिता लाने की मांग की है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के उप वित्त मंत्री डेविड मालपास ने कांग्रेस से जुड़ी एक कमेटी की सुनवाई के दौरान सांसदों को बताया कि आईएमएफ की टीम अभी पाकिस्तान से लौटी है. हम इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कर्ज में पूरी पारदर्शिता हो. इस बाबत अमेरिका के सांसद जेफ मर्कली ने उप वित्त मंत्री डेविड मालपास से पूछा था कि क्या आईएमएफ के कोष का इस्तेमाल चीन का कर्ज उतारने के लिए किया जा रहा है. मर्कली का कहना है कि एक चुनौती ये है कि पाकिस्तान ने ज्यादातर मामलों में अपनी कर्ज की शर्तों का खुलासा नहीं किया है, जिसमें ब्याज दर और उसकी अवधि शामिल है.