अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार को दोहा में शांति वार्ता शुरू हो गई. अफगानिस्तान में इस साल सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव है. इससे पहले अमेरिका की कोशिश हर हाल में अफगानिस्तान में शांति व्यवस्था को पटरी पर लाना है.
तालिबान प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने एक ट्वीट में लिखा, 'अमेरिकी प्रतिनिधियों और इस्लामिक अमिरात की समझौता टीम के साथ सातवें दौर की वार्ता दोहा में शुरू हो गई.' इस राउंड की वार्ता का प्रयास अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को इस समझौते के तहत रोकना है. अभी हाल में उत्तरी अफगानिस्तान में तालिबान के एक हमले में 25 सरकार समर्थित लड़ाकों के मारे जाने के बाद कतर की राजधानी दोहा में यह शांति वार्ता शुरू हुई है.
तालिबान का हालिया हमला उत्तरी बघलान जिले में हुआ जब सरकार समर्थित लड़ाके सैनिकों की एक टुकड़ी के बचाव अभियान में लगे थे. दोहा में शुरू शांति वार्ता अगर सफल होती है तो अमेरिका 17 साल से अफगानिस्तान में जमे अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा. इसके बदले तालिबान को यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान में दोबारा आतंकियों को पनपने नहीं दिया जाएगा.
अमेरिकी प्रतिनिधियों और तालिबान के बीच शुरू यह वार्ता चार अहम मुद्दों पर केंद्रित है-आतंकवाद, विदेशी सैनिकों की अफगानिस्तान में मौजूदगी, अफगान वार्ता और हमेशा के लिए युद्धविराम. अमेरिकी अधिकारी पहले ही उम्मीद जता चुके हैं कि अफगानिस्तान में भावी राष्ट्रपति चुनाव से पूर्व शांति वार्ता पूरी कर ली जाएगी. राष्ट्रपति चुनाव में दो बार से विलंब हो रहा है और इस बार सितंबर में होने की संभावना है.
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो मंगलवार को अचानक काबुल पहुंचे और शांति वार्ता पर उम्मीद जताते हुए कहा कि इस डील को 1 सितंबर से पहले पूरा कर लिया जाएगा. बीते छह चरण की अमेरिका-तालिबान वार्ता संयुक्त अरब अमीरात और कतर में आयोजित की गई हैं. इस महीने की शुरुआत में अफगान सरकार ने लगभग 900 तालिबानी कैदियों को रिहा करने की घोषणा की. अब तक के आंकड़े बताते हैं कि करीब 400 कैदियों को रिहा किया गया है.
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