अमेरिका का मानना है कि अब पाकिस्तान के लिए समय आ गया है कि वह सार्वजनिक या निजी बातचीत में किए गए उन वादों को पूरा करे, जिनके तहत आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी. पाकिस्तान ने कहा था कि आतंकी आतंकी नेटवर्कों के खिलाफ कार्रवाई में और पठानकोट हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने के मामले में वह कोई पक्षपात नहीं करेगा.
भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का काम पाकिस्तान में मौजूद संगठनों और लोगों द्वारा किया गया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान को उन्हें बचाने के लिए अब वैसे खोखले बहाने नहीं बनाने चाहिए, जैसे कि उसने मुंबई आतंकी हमले के समय बनाए थे.
असैन्य सरकार के पास है मौका
अधिकारी ने कहा, 'उन्होंने 'पाकिस्तान' ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि वे जांच करेंगे. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि वे आतंकी संगठनों के बीच अंतर नहीं करने वाले हैं. हम उन शब्दों पर कार्रवाई होते देखना चाहते हैं.' अधिकारी ने यह संकेत भी दिया कि अमेरिका असैन्य सरकार को समय और मौका देना चाहता है कि वह अपने शब्दों के अनुरूप काम करे. साथ ही अधिकारी ने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान पूर्व की तरह के चलन को दोहराएगा नहीं, जिसके तहत वह कोई न कोई बहाना बनाकर आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई से बचता रहा है.
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा, 'उन्होंने कहा कि वे (पाकिस्तान) इसकी जांच करेंगे और हमें इस प्रक्रिया को आगे बढ़ने देना चाहिए. लेकिन निश्चित तौर पर हम चाहते हैं कि हम साजिशकर्ताओं को जल्द से जल्द जिम्मेदार ठहराए जाते हुए देखें.' अधिकारी ने हमले के कुछ दिनों के भीतर नवाज शरीफ सरकर की ओर से आई प्रतिक्रिया पर संतोष भी जाहिर किया.
क्या पाकिस्तान पर भरोसा किया जाए
जब अधिकारी से पूछा गया कि क्या वह पाकिस्तान की ओर से इस समय कही जा रही बात पर यकीन रखते हैं, तो उन्होंने कहा, 'यह यकीन करने का सवाल नहीं है. हमें उनकी बात को मानना होगा. उन्होंने कहा है कि वे जांच करेंगे. उन्हें कर लेने दीजिए.' अमेरिका सरकार के वरिष्ठ अधिकारी पठानकोट वायुसेना स्टेशन और अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ में हुए हमलों के बाद पाकिस्तानी समकक्षों के करीबी संपर्क में हैं और उनसे सही कदम उठाने की अपील कर रहे हैं. यदि पाकिस्तान ऐसी उचित कार्रवाई करता है तो यह विश्वास बनाने का तो उपाय होगा ही, साथ ही इससे भारत के साथ संबंध सुधारने में भी मदद मिलेगी.
पठानकोट हमले के बाद अमेरिकी सांसदों के बीच भारत के लिए दिखाई देते समर्थन का संदर्भ देते हुए अधिकारियों ने संकेत दिया कि यदि पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाता है तो पाकिस्तान को कोई नई सैन्य मदद उपलब्ध कराने के लिए कांग्रेस को राजी करना ओबामा प्रशासन के लिए मुश्किल हो जाएगा.
कथनी को करनी में बदले पाकिस्तान
अधिकारी ने कहा, 'हम जानते हैं कि यह एक चुनौतीपूर्ण समय है. यह एक जटिल संबंध है. हम पाकिस्तान के साथ हर चीज पर सहमत नहीं हैं. हम कथनी को करनी में बदलते देखना चाहते हैं.' अधिकारियों के मुताबिक, यदि इस्लामाबाद इन आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई में आनाकानी करता है तो अमेरिका सरकार के लिए पाकिस्तान को आठ एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने के लिए मंजूरी पर रिपब्लिकन नियंत्रण वाली कांग्रेस को राजी करना बहुत मुश्किल हो जाएगा.
अधिकारियों ने कहा कि रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के 20 से ज्यादा सांसद भारत के समर्थन में आए हैं.