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रूस पर हुआ सवाल तो अमेरिका क्यों बोला, भारत को ही देख लीजिए

रूस-भारत रक्षा संबंधों पर पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसे कई देश हैं जो रूस के साथ सुरक्षा या रक्षा संबंध बनाए हुए हैं. यह अलग-अलग देशों के लिए एक संप्रभु निर्णय है. उन्होंने कहा कि हम अपने साझेदारों से अकसर इस बात पर चर्चा करते रहते हैं कि उन्हें हमारी सुरक्षा सहायता चाहिए या नहीं.

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अमेरिका ने कहा है भारत उसका प्रमुख सुरक्षा साझेदार है (Photo-Reuters)
अमेरिका ने कहा है भारत उसका प्रमुख सुरक्षा साझेदार है (Photo-Reuters)

अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने कहा है कि भारत उन देशों का बेहतरीन उदाहरण है जो अमेरिका की सुरक्षा सहायता को चुन रहे हैं. मंत्रालय के प्रवक्ता पेट राइडर ने भारत-रूस संबंधों के संदर्भ में कहा कि अमेरिका इस बात को समझता है कि रूसी या सोवियत युग के हथियार खरीदने वाले देश रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखना चाहते हैं.

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मंगलवार को एक मीडिया ब्रीफिंग में राइडर से सवाल किया गया कि कुछ देश अमेरिका के साथ काम कर रहे हैं और रूस के साथ भी तो क्या अमेरिका को इस बात की चिंता नहीं है कि वह जिन देशों को सूचना और तकनीक मुहैया करा रहा है, वह रूस के साथ उसे साझा कर सकते हैं?

जवाब में राइडर ने कहा, 'ऐसे कई देश हैं जो रूस के साथ सुरक्षा या रक्षा संबंध बनाए हुए हैं. मैं फिर से स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह अलग-अलग देशों के लिए एक संप्रभु निर्णय है.'

पेंटागन ने दी भारत की दी मिसाल

पेंटागन के प्रवक्ता राइडर ने कहा, 'जो देश फिलहाल रूस के साथ रक्षा संबंध बनाए हुए हैं, उनमें से कई देश पहले से ही रूस निर्मित या सोवियत युग में हथियार खरीदते आए हैं. इस हिसाब से उन देशों का रूस के साथ अब भी संबंध रखना तार्किक है. अमेरिका की बात की जाए तो हम जो रक्षा उपकरण और हथियार मुहैया कराते हैं, उन पर ज्यादा भरोसा किया जा सकता है. अमेरिका अपने सुरक्षा सहयोगियों को जो हथियार देता है, उनके रखरखाव में भी मदद करता है.

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राइडर ने कहा, 'हम दुनिया भर के विभिन्न साझेदारों और सहयोगियों के साथ इस बात पर चर्चा करना जारी रखते हैं कि क्या वह हमारे डिफेंस सिस्टम को खरीदना चाहते हैं. भारत इसका एक बेहतरीन उदाहरण है.'

भारत-अमेरिका का रक्षा व्यापार 20 अरब डॉलर से अधिक

1997 में, भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार लगभग ना के बराबर था लेकिन आज दोनों देशों के बीच का रक्षा व्यापार 20 अरब अमेरिकी डालर से अधिक हो गया है.

यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत हमेशा से तटस्थ रहा है. वह संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ हुए मतदान से भी गायब रहा जिसे लेकर भारत को रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों अमेरिकी सांसदों की आलोचना का सामना करना पड़ा है.

अमेरिकी अधिकारियों ने रूस से भारत के एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद पर भी चिंता व्यक्त की है. भारत ने अक्टूबर 2018 में पांच मिसाइल सिस्टम के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किया था. तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने भारत के इस कदम की आलोचना करते हुए भारत को प्रतिबंधों की धमकी भी दी थी. हालांकि, भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों को नजरअंदाज कर रूस से रक्षा समझौते को  बरकरार रखा था.

भारत के विदेश मंत्रालय ने नवंबर 2021 में कहा कि भारत एक स्वतंत्र विदेश नीति का पालन करता है. इसके रक्षा समझौते राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को ध्यान में रखकर किए जाते हैं. 

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