अमेरिका में न्यूयॉर्क के एक हिस्ट्री टीचर ने एक दर्दनाक फुटेज का पता लगाकर इतिहास के एक खोए हुए टुकड़े को ढूंढ निकाला है. इसमें अमेरिकी सैनिकों को नाजी डेथ कैंप की ओर जाने वाली ट्रेन से यहूदी लोगों को आजाद कराते हुए दिखाया गया है. वीडियो बिलकुल असली है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी क्लिप को यूट्यूब पर जब पोस्ट किया गया, तो उसके बाद नरसंहार से बचे कई लोग आगे आए और उन्होंने दावा किया कि वो वीडियो में खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को पहचानते हैं.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट में टाइम्स ऑफ इजरायल की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है, होलोकॉस्ट रिसर्चर (नरसंहार रिसर्चर) और पूर्व हिस्ट्री प्रोफेसर मैथ्यू रोजेल ने यूएस नेशनल आर्काइव्स में इस क्लिप को ढूंढा है. उनका कहना है, 'मैं ये नहीं कहना चाहता कि मैं खुश हूं या कुछ साबित करना चाहता हूं, क्योंकि इस फुटेज के बिना भी, यह एक अविश्वसनीय कहानी रहेगी.'
ट्रेन में मौजूद थे 2500 कैदी
वीडियो में जो रेस्क्यू ऑपरेशन दिख रहा है, उसका नाम 'मिरेकल एट फार्स्लेबेन' है. ये 13 अप्रैल, 1945 को हुआ था. फार्स्लेबेन जर्मनी का एक गांव है. तब एक नाजी ट्रेन 2,500 यहूदी कैदियों को बर्गेन-बेलसेन डिटेंशन सेंटर से थेरेसिएन्स्टेड ले जा रही थी. बता दें, इस रेस्क्यू ऑपरेशन से कुछ हफ्ते पहले ही बर्गेन-बेलसेन डिटेंशन सेंटर में मशहूर यहूदी लेखिका ऐनी फ्रैंक की मौत हुई थी. ट्रेन को कथित तौर पर फार्स्लेबेन शहर के पास रुकने के लिए मजबूर किया गया था, तब मित्र देशों की सेना क्षेत्र पर बमबारी कर रही थीं.
यहूदियों को मारने का था निर्देष
इंडिपेंडेंट यूके की रिपोर्ट के अनुसार, हिटलर की क्रूर सेना एसएस अधिकारियों को निर्देश मिला था कि अगर वे अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते हैं, तो जितना संभव हो उतने बंदियों को मार डाला जाए. गनीमत थी कि पहाड़ी पर एक अमेरिकी टैंक और जीप दिखाई देने के बाद कैदियों को बचा लिया गया, जिसके बाद मुट्ठी भर नाजी गार्ड घटनास्थल से भाग गए थे.