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नेपाल की राष्ट्रपति के काफिले पर मधेसियों का हमला, बाल-बाल बचीं

राजधानी काठमांडू से करीब 225 किलोमीटर दूर जनकपुर में इस प्रसिद्ध मंदिर के पास प्रदर्शन कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़ें. साथ ही सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प में करीब 20 प्रदर्शनकारी घायल हो गए.

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नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी

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नेपाल की प्रथम महिला राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी बुधवार को उस वक्त बाल-बाल बच गईं जब जनकपुर के प्रसिद्ध जानकी मंदिर के दर्शन के दौरान आंदोलनरत मधेसी प्रदर्शनकारियों ने उन्हें काले झंडे दिखाते हुए उनके काफिले पर पथराव किया और एक पेट्रोल बम फेंका. वे लोग वहां प्रदर्शन कर रहे थे.

राजधानी काठमांडू से करीब 225 किलोमीटर दूर जनकपुर में इस प्रसिद्ध मंदिर के पास प्रदर्शन कर रही भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़ें. साथ ही सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प में करीब 20 प्रदर्शनकारी घायल हो गए.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक राष्ट्रपति के रूप में उनकी यात्रा के विरोध में प्रदर्शन करते हुए सैकड़ों की संख्या में लोग जनकपुर की सड़कों पर उतर आए और उनमें से कई लोग काले झंडे लिए हुए थे.

प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भंडारी के काफिले को निशाना बना कर पथराव किया लेकिन वाहनों को कोई नुकसान नहीं हुआ.

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भंडारी की यात्रा के दौरान जनकपुर के विभिन्न इलाकों में पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़पें हुई. घायलों का स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज चल रहा है.

काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक उनके रवाना होने के ठीक बाद मंदिर परिसर में एक पेट्रोल बम फेंका गया जिससे मंच और मंडप में आग लग गई.

दोपहर में जनकपुर पहुंची राष्ट्रपति भंडारी मंदिर परिसर में आधे घंटे से कम देर रूकी. उन्होंने ‘विवाह पंचमी’ के अवसर पर पूजा अर्चना की. यह दिन राम और सीता के विवाह का प्रतीक है. हालांकि, इलाके में तनाव के चलते प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले विवाह उत्सव को रद्द कर दिया गया.

तराई आधारित चार पार्टियों के गठबंधन यूनीफाइड मधेसी फ्रंट के कार्यकर्ता सितंबर में लागू किए गए नये संविधान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे जिसने नेपाल को सात संघीय प्रांतों में बांट दिया है.

फ्रंट ने भंडारी की यात्रा का विरोध करने का फैसला किया था क्योंकि वह सत्तारूढ़ सीपीएन..यूएमएल पार्टी से जुड़ी हुई हैं जिसके बारे में उन लोगों का मानना है कि यह भारतीय मूल के मधेस समुदाय के हितों के खिलाफ काम कर रही है.

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