आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बार फिर भारत को अमेरिका का साथ मिला है. भारत और अमेरिका के बीच सोमवार को हुई हाईलेवल मीटिंग में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे. साथ ही पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकी संगठनों को पनाह देना बंद करे. वे इस बात पर भी सहमत हुए कि जो लोग या देश किसी भी रूप में आतंकवाद का समर्थन करते हैं, या बढ़ावा देते हैं उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए.
पुलवामा आतंकी हमले के बाद हुई इस बैठक में भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो शामिल हुए. जिसमें दोनों के बीच विदेश नीति और सुरक्षा से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. विदेश सचिव गोखले रविवार को अमेरिका पहुंचे. अपनी यात्रा के दौरान विदेश सचिव के अमेरिकी प्रशासन और अमेरिकी कांग्रेस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात की संभावना है.
विदेश सचिव गोखले ने पुलवामा हमले के बाद भारत को अमेरिका से मिले समर्थन को लेकर ट्रंप सरकार और पोम्पियो की तारीफ की. साथ ही पोम्पियो ने भी सीमा पार (पाकिस्तान) से होने वाले आतंकवाद के बारे में भारत की चिंताओं को समझने की बात कही. बता दें कि पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था. इस दौरान पोम्पियों दोनों के संपर्क में थे. उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच हर हालात पर नजर रखी थी ताकि युद्ध जैसे हालात नहीं बनें.
पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर भारतीय वायु सेना के हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के मद्देनजर इस वार्ता को अहम माना जा रहा है. बयान में कहा गया है कि प्रथम मंत्री स्तरीय 2+2 वार्ता के लिए सितंबर 2018 में अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पियो के भारत की यात्रा करने के बाद से भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की गुणवत्ता और इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति पर दोनों देशों ने संतोष प्रकट किया.
गोखले और पोम्पियो की वार्ता से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिकी राष्ट्रीय सलाहकार जॉन बोल्टन से फोन पर बात की और उन्हें पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत के साथ तनाव दूर करने के लिए इस्लामाबाद द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी.