बांग्लादेश में तख्तालट और अंतरिम सरकार बनने के बावजूद भी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. इसी बीच 15 अगस्त को भी बांग्लादेश के धान मंडी इलाके में हिंसा हुई. कई गाड़ियों को फूंक दिया गया और लोगों के साथ मारपीट की गई. धान मंडी इलाके में ही बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना का घर है.
शोक दिवस पर भड़की हिंसा
बता दें कि 15 अगस्त को बांग्लादेश में शोक दिवस मनाया जाता है. इस दिन बांग्लादेश के संस्थापक कहे जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या की गई थी. तब से बांग्लादेश में इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता था. लेकिन अंतरिम सरकार ने इसे मनाने से इनकार कर दिया था.
अवामी कार्यकर्ताओं से हुई झड़प
जानकारी के अनुसार, अवामी पार्टी के कार्यकर्ता शोक दिवस मनाने के लिए शेख हसीना के घर की ओर कूच रहे थे. लेकिन इसी बीच बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ताओं से उनकी झड़प हो गई.झड़प धीरे-धीरे हिंसा में बदल गई. बता दें कि बीएनपी और जमात ने इलाके में सारी दुकानें बंद करा दी हैं.जिन लोगों ने दुकान बंद करने का विरोध किया उनके साथ भी मारपीट की गई है.
मीडिया को कवरेज से रोका गया
धान मंडी इलाके में हिंसा के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया को इस इलाके में जाने और कवरेज से रोका गया है. जानकारी के अनुसार, अवामी पार्टी के कार्यकर्ता भारी संख्या में यहां पहुंचे थे. बांग्लादेश के कई इलाकों से छिटपुट हिंसा की खबरें भी सामने आई हैं.
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नई सरकार ने लगाई है रोक
बता दें कि शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार ने शोक दिवस मनाने पर रोक लगा दी थी. कई पार्टियों ने अंतरिम सरकार से आग्रह किया था कि 15 अगस्त को अब राष्ट्रीय शोक दिवस के तौर नहीं मनाया जाए. यह मांग करने वालों में बीएनपी, जमात, अमर बांग्लादेश पार्टी सहित गन अधिकार परिषद, बांग्लादेश जातीय पार्टी और नेशनल डेमोक्रेटिक मूवमेंट जैसी पार्टियों शामिल थीं.
बांग्लादेश में 15 अगस्त का दिन राष्ट्रीय शोक दिवस क्यों?
बांग्लादेश में 15 अगस्त को हर साल राष्ट्रीय शोक दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इसकी वजह है कि 1975 में इसी दिन शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की उनके परिवार के साथ हत्या कर दी गई थी. वह बांग्लादेश के संस्थापक थे. 15 अगस्त 1975 को सेना के अधिकारियों ने उनके घर को चारों तरफ से घेरकर ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर उनकी हत्या कर दी थी. तब से बांग्लादेश में 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया जाता है.