भारत दुनिया के टॉप-20 हिंसाग्रस्त देशों में शामिल है और इस तरह की घटनाओं से निपटने से हमारी अर्थव्यवस्था को बीते साल एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है.
ग्लोबल पीस इंडेक्स की रैंकिंग में 162 देशों की सूची में भारत को 143वें स्थान पर रखा गया है.
अगले साल पिछले साल के मुकाबले भारत को दो रैंक का नुकसान हुआ है. आइसलैंड अब भी विश्व में
सबसे शांतिपूर्ण देश बना हुआ है. जबकि सीरिया अफगानिस्तान को पछाड़कर सबसे ज्यादा
हिंसा वाला देश बन गया है. अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने यह खबर दी है.
GDP का 3 फीसदी से ज्यादा हुआ खर्च
इंटरनेशनल थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इकॉनोमिक्स एंड पीस (आईईपी) की रिपोर्ट के मुताबिक,
भारत को पिछले एक साल में हिंसा से निपटने के लिए लगभग 177 बिलियन डॉलर यानी 1.07
लाख करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. यह रकम देश की जीडीपी का 3.6 फीसदी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आंतरिक और बाहरी दोनों स्तरों पर हिंसा की गंभीर समस्या से जूझ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'माओवाद भारत की आंतरिक सुरक्षा और पड़ोसी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंध उसकी बाहरी सुरक्षा के लिए खतरा हैं.' ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में भारत को 159 देशों में से चौथे नंबर पर रखा गया है.
दक्षिण एशिया में भूटान सबसे शांतिपूर्ण देश
आईईपी के संथापक और कार्यकारी अध्यक्ष स्टीव कीलेलिया के मुताबिक, अगर भारत हिंसा से
जुड़ी समस्याओं से निपट लेता है तो देश की विकास दर में सुधार आएगा. अगर दक्षिण एशिया
की बात करें तो भूटान को यहां सबसे शांत देशों में पहला नंबर मिला है. इसके बाद नेपाल है,
भारत सूची में पांचवे नंबर पर है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान को क्रमश: पांचवा और छठा
स्थान मिला है.