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ग्रीनलैंड पर ट्रंप के 'कब्जे' वाले प्लान को मिला पुतिन का साथ, बोले- हम नहीं देंगे दखल

पुतिन के बयान का समय भी दिलचस्प है क्योंकि क्रेमलिन और व्हाइट हाउस घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं. इस साल जनवरी में सत्ता में वापस आने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप ने भी मॉस्को के प्रति वाशिंगटन के दृष्टिकोण और रुख को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे यूरोप, खास तौर पर यूक्रेन मुश्किल में पड़ गया है.

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. (AP Photo)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप. (AP Photo)

आर्कटिक में गर्मी बढ़ रही है, न सिर्फ क्लाइमेट चेंज के संदर्भ में, बल्कि जियो-पॉलिटिक्स के संदर्भ में भी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ग्रीनलैंड और कनाडा पर अमेरिका में विलय का दबाव डाल रहे हैं, ऐसे में रूस भी पीछे नहीं रहने वाला है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को आर्कटिक सर्कल के उत्तर में सबसे बड़े शहर मरमंस्क का दौरा किया, जहां उन्होंने 'आर्कटिक रीजन में रूस की ग्लोबल लीडरशिप को मजबूत करने' का संकल्प लिया.

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हालांकि, रूसी राष्ट्रपति ने कोई क्षेत्रीय दावा नहीं किया, न ही विस्तारवाद की बात कही. हालांकि, आश्चर्य की बात यह रही कि उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की ग्रीनलैंड को अपने अधीन करने और उसे अमेरिकी क्षेत्र बनाने की योजना पर कोई आपत्ति नहीं जताई. राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, 'आर्कटिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है.' उन्होंने ग्रीनलैंड पर कब्जा करने की डोनाल्ड ट्रंप की योजना को इसका एक प्रमुख उदाहरण बताया.

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अमेरिकी विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'ग्रीनलैंड के संबंध में अमेरिका की योजनाएं गंभीर हैं. इन योजनाओं की गहरी ऐतिहासिक जड़ें हैं. और यह स्पष्ट है कि अमेरिका आर्कटिक क्षेत्र में अपने भू-रणनीतिक, सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक हितों को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाना जारी रखेगा.' 

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पुतिन का ट्रंप को समर्थन?

लेकिन ट्रंप के विस्तारवादी एजेंडे की आलोचना या निंदा करने के बजाय पुतिन ने ग्रीनलैंड को उसके हाल पर छोड़ दिया. राष्ट्रपति पुतिन ने मरमंस्क में रूस के आर्कटिक फोरम में कहा, 'जहां तक ​​ग्रीनलैंड का सवाल है, यह दो खास देशों (अमेरिका और डेनमार्क) का मामला है. इसका हमसे कोई लेना-देना नहीं है.' ग्रीनलैंड मामले से रूस को पूरी तरह अलग करने वाले पुतिन के बयान ने वैश्विक स्तर पर लोगों की भौंहें चढ़ा दी हैं. भू-राजनीतिक और सैन्य विशेषज्ञों ने इसे मॉस्को द्वारा वाशिंगटन को अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाने की हरी झंडी के रूप में देखा. 

पुतिन के बयान का समय भी दिलचस्प है क्योंकि क्रेमलिन और व्हाइट हाउस घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं. इस साल जनवरी में सत्ता में वापस आने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप ने भी मॉस्को के प्रति वाशिंगटन के दृष्टिकोण और रुख को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे यूरोप, खास तौर पर यूक्रेन मुश्किल में पड़ गया है. यूरोपीय देशों के नेता चिंतित और अक्सर फ्रांस में इकट्ठा हो रहे हैं और वाशिंगटन के विकल्प की तलाश में बेचैन हैं. ग्रीनलैंड पर 'कब्जा' करने की अमेरिका की मंशा पर पुतिन के रुख का यूक्रेन पर भी असर पड़ सकता है, जहां रूस ने यूक्रेनी क्षेत्र के बड़े हिस्से पर नियंत्रण हासिल कर लिया है, जिसे वापस करने की मॉस्को की कोई योजना नहीं है.

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डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन कई मुद्दों पर सहमत

एक दूसरे की आलोचना करना, जो इस वर्ष जनवरी तक आम बात थी, रूस और अमेरिका अब एक दूसरे के प्रति नरम रुख अपना रहे है. कभी-कभी तो कुछ मामलों पर दोनों सहमत भी हो जाते हैं- जैसे यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की का व्यवहार, जिसकी ट्रंप और उनके डिप्टी जेडी वेंस ने व्हाइट हाउस में सार्वजनिक रूप से हुई झड़प के बाद से कड़ी आलोचना की है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी अमेरिकी नेतृत्व की भावनाओं को दोहरा रहे हैं. राष्ट्रपति पुतिन की आर्कटिक यात्रा के साथ, मास्को इस विचार को बढ़ावा दे रहा है कि रूस और अमेरिका इस क्षेत्र में सहयोग कर सकते हैं, जो खनिज और प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ दुर्लभ मृदा सामग्रियों से भी समृद्ध है.

विदेशी निवेश और आर्थिक सहयोग के लिए राष्ट्रपति पुतिन के विशेष दूत किरिल दिमित्रिएव ने कहा, 'हम रूसी सरकार द्वारा नामित कुछ क्षेत्रों में, अमेरिका के साथ मिलकर विभिन्न निवेश अवसरों पर विचार करने के लिए तैयार हैं.' दिमित्रिएव ने बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में कहा, 'हमारे (रूस और अमेरिका के) बीच अब बहुत अच्छी बातचीत हो रही है और मुझे लगता है कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अमेरिका रूस की स्थिति को समझने की कोशिश कर रहा है.'

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ट्रंप के बयान पर ग्रीनलैंड में विरोध प्रदर्शन

इस बीच, ग्रीनलैंड ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बिकाऊ नहीं है. डेनमार्क ने भी वाशिंगटन के प्रस्ताव और उसके बाद ग्रीनलैंड को खरीदने के दबाव को खारिज कर दिया है, जो किंगडम ऑफ डेनमार्क के तहत एक ऑटोनॉमस रीजन है. अमेरिका की दबाव की रणनीति को खारिज करते हुए आर्कटिक आइलैंड में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं- जो कथित तौर पर ग्रीनलैंड के इतिहास में सबसे बड़ा है. डेनमार्क रीजन में अमेरिका विरोधी भावनाएं जोरों पर हैं. ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेडे ने कहा, 'हाल तक हम अमेरिकियों पर भरोसा कर सकते थे, जो हमारे सहयोगी और मित्र थे, और जिनके साथ मिलकर काम करना हमें अच्छा लगता था, लेकिन वह समय बीत चुका है.'

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