नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई तालिबान के खिलाफ लड़ाई का अंतरराष्ट्रीय चेहरा हैं. जब से उन्होंने सिर में गोली खाई है, उनके सामने कई चुनौतियां आई हैं. दुनिया को प्रेरणा देने वाली मलाला की कहानी पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनी है, 'ही नेम्ड मी मलाला.' यह दुनियाभर में 9 अक्टूबर को रिलीज होने जा रही है.
इससे पहले मलाला ने इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से बातचीत की. इस बातचीत के मुख्य अंशः
सवालः 17 की उम्र में नोबेल पुरस्कार, 18 की उम्र में आप पर एक फिल्म बन रही है. आप अपने भीतर सुपरस्टार देखती होंगीं?
जवाबः मैं एक साधारण लड़की हूं और मैं सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभा रही हूं. मुझे यह बर्दाश्त नहीं कि महिलाओं को उनके अधिकार न दिए जाएं, लड़कियों को पढ़ने न दिया जाए. मैं इसी के लिए लड़ाई लड़ रही हूं मुझे लगता है कि यह सही है और इसके लिए हम सभी को लड़ना चाहिए.
सवालः यह आत्मविश्वास कहां से आता है? आप 18 साल की नहीं लगतीं? अपने वक्त से आगे लगतीं हैं?
जवाबः जब आप खुद में भरोसा करते हैं और जो कहते हैं उसमें भरोसा रखते हैं तो आत्मविश्वास अपने आप आ जाता है.
सवालः क्या वह अक्टूबर 2012 का ही दिन था, जिसने आपकी जिंदगी बदल दी? जिसने आपको और ज्यादा साहस दिया?
जवाबः जब मुझ पर गोली चली तो मैं थोड़ी डरी जरूर थी, लेकिन उसी दिन मुझे महसूस हुआ कि दुनिया की कोई भी ताकत शिक्षा के लिए मेरी लड़ाई को रोक नहीं सकती. यह लड़ाई जारी रहेगी.
सवालः डॉक्यूमेंट्री में आप कहती हैं कि तालिबान का इस्लाम से लेना-देना नहीं है, उसे शक्ति चाहिए. शक्ति जो बंदूक की नोक से निकलती है. क्या इस शक्ति के खिलाफ लड़ा जा सकता है?
जवाबः अतिवाद और आतंकवाद से लड़ने के लिए हमें अपनी युवा पीढ़ी को शिक्षित करना होगा. हमारे हथियार किताबें, पेन और आवाज हैं. शिक्षा में कोई निवेश नहीं किया गया, जो अब करने की जरूरत है.
सवालः तालिबान अब बच्चों को निशाना बना रहा है. पेशावर में जो हुआ वह आप जानती ही हैं. हर कोई मलाला तो नहीं बन सकता?
जवाबः बच्चों को खौफ पैदा करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है. यह सोचा भी नहीं जा सकता. लेकिन दुख इस बात का है कि नेता कुछ दिन अफसोस करते हैं, पर करते कुछ नहीं. हमें उम्मीद है कि सबकी सुरक्षा के लिए कुछ किया जाएगा.
सवालः जिन लोगों ने आपको मारने की कोशिश की उनके खिलाफ मैं आपके भीतर गुस्सा नहीं देखता. आपसे जब भी उस दिन के बारे में पूछा जाता है आप मुस्कुरा देती हैं. आपको गुस्सा क्यों नहीं आता?
जवाबः जब मैं दूसरों से खुद के लिए माफी, नरमी और न्याय की उम्मीद रखती हूं तो मैं भी लोगों को उसी भावना से व्यवहार करती हूं. अगर मुझे लगता है कि आतंकियों को गोली नहीं चलानी चाहिए तो मुझे यह भी लगता है कि मुझे भी माफ करना चाहिए.
सवालः 2012 के बाद से आपकी जिंदगी बदल गई. बीते तीन साल में सबसे मुश्किल क्या रहा?
जवाबः ब्रिटेन में रहना. यह बिल्कुल अलग मुल्क है. यहां की संस्कृति, खास तौर पर मेरी मां के लिए, यहां एडजस्ट करना बड़ा मुश्किल रहा. हालांकि तीन साल बाद अब हम एडजस्ट हो गए हैं.
सवालः क्या आप दोबारा पाकिस्तान जाना चाहती हैं?
जवाबः इंशाअल्लाह, यह मेरी ख्वाहिश है. मैं पाकिस्तान जाकर अपने मुल्क के लोगों के लिए कुछ करना चाहती हूं. मैंने तालीम के लिए अपनी मुहिम स्वात से शुरू की थी. जिन आतंकियों ने मुझे रोकने की कोशिश की, उन्होंने मुझे अपने हक की लड़ाई के लिए मोटिवेट किया. मैं अपनी मुहिम वहां जारी रखूंगी.
सवालः आपके पिता आपकी प्रेरणा हैं. फिल्म आपके पिता से रिश्तों पर है. क्या वह आपकी ताकत, आपके प्रेरणा, आपके गुरू हैं?
जवाबः मेरे माता-पिता मेरी प्रेरणा हैं. मां ने हम दोनों का हौसला बढ़ाया है. वह सच बोलने में यकीन रखती हैं. वह मानती हैं कि आपको वही कहना चाहिए जो सही है. मेरे पिता बड़े ऊर्जावान हैं. उनमें जुनून है. महिलाओं के लिए शिक्षा और उनके अधिकारों की लड़ाई ने मुझे मोटिवेट किया है.
सवालः लेकिन लोग कहते हैं कि मलाला वही कहती है जो अमेरिका कहता है. वह पाकिस्तानियों के मुद्दों के लिए कुछ नहीं करती. आप उन्हें क्या जवाब देती हैं?
जवाबः पाकिस्तान मेरा मुल्क है और वहां के लोग मुझसे मुहब्बत करते हैं. कुछ लोग मेरी आलोचना करते हैं, लेकिन शिक्षा के लिए मेरी लड़ाई पश्चिम या पूर्व की नहीं है.
सवालः क्या आप हिंदुस्तान आना चाहती हैं और युवा भारतीय लड़कियों को प्रेरणा देना चाहती हैं?
जवाबः मुझे बहुत खुशी होती है कि हिंदुस्तान के लोग मुझे चाहते हैं. मेरा सम्मान करते हैं. वे मेरे धर्म या मुल्क से वास्ता नहीं जोड़ते. लोग मेरे साथ इसलिए खड़े होते हैं कि मैं अच्छा काम कर रही हूं. यही भारत की अच्छाई है. मैं भारत आना चाहती हूं. मैं दिल्ली, मुंबई और दूसरी जगह घूमना चाहती हूं.
सवालः मैंने सुना है कि भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान आप पाकिस्तान को पूरा सपोर्ट करती हैं?
जवाबः हां, मैं चाहती हूं कि भारत-पाकिस्तान के बीच हमेशा अच्छे रिश्ते हों, लेकिन क्रिकेट में नहीं. मैं हमेशा चाहती हूं कि पाकिस्तान जीते.
सवालः एक दिन बेनजीर भुट्टो की तरह आप पाकिस्तान की पीएम बनना चाहती हैं?
जवाबः जरूर, यदि लोग मुझे वोट दें. लेकिन मेरा ख्वाब बच्चों को शिक्षा दिलाना है.