बांग्लादेश के छात्रा नेतृत्व वाली नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के संयोजक नाहिद इस्लाम ने एक इंटरव्यू में कहा कि वो नहीं चहते कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग देश में होने वाले चुनाव में हिस्सा ले.
एनसीपी के संयोजक नाहिद इस्लाम ने मंगलवार देर रात मैग्जीन 'द डिप्लोमैट' में प्रकाशित एक इंटरव्यू में कहा, 'नहीं, हम नहीं चाहते कि अवामी लीग चुनावों में हिस्सा ले. अवामी लीग के जो लोग गलत कामों के लिए जिम्मेदार हैं, उन पर सबसे पहले मुकदमा चलाया जाना चाहिए.'
ये पूछे जाने पर कि एनसीपी किस तरह के दूसरे गणतंत्र की परिकल्पना करती है तो उन्होंने कहा कि दूसरे गणतंत्र के लिए उनकी प्राथमिक मांग एक नया संविधान है, जो 1971 के मुक्ति संग्राम और जुलाई विद्रोह की भावना पर आधारित होगा.
एनसीपी अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के आशीर्वाद से एक राजनीतिक पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है, जिन्होंने पिछले साल जुलाई-अगस्त में स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) या भेदभाव-विरोधी छात्र आंदोलन नामक बैनर के तहत बड़े पैमाने पर विद्रोह किया था.
'विदेशी शक्ति के प्रभुत्व से मुक्त हो देश'
ये पूछे जाने पर कि कूटनीति पर उनकी पार्टी का रुख क्या है, इस्लाम ने कहा, 'सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हम चाहते हैं कि बांग्लादेश किसी भी विदेशी शक्ति के प्रभुत्व से मुक्त होकर एक संतुलित और लाभकारी कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाए.'
उन्होंने कहा, 'अतीत में हमने देखा कि शासन व्यवस्थाएं दिल्ली के प्रभाव पर बहुत अधिक निर्भर थीं. हालांकि, हम बांग्लादेश की राजनीति को भारत या पाकिस्तान के इर्द-गिर्द केंद्रित नहीं होने देंगे. एनसीपी पूरी तरह से बांग्लादेश केंद्रित रहेगी और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखेगी.'
SAD ने शुरू में सरकारी नौकरियों के लिए कोटा सिस्टम में सुधार की मांग को लेकर एक सड़क अभियान शुरू किया था, लेकिन ये अवामी लीग शासन को हटाने के लिए एक राजनीतिक आंदोलन में बदल गया, क्योंकि इसने क्रूर बल का प्रयोग करके प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने की कोशिश की थी.
बता दें कि हिंसक आंदोलन के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत चली गईं. मोहम्मद यूनुस जो उस वक्त पेरिस में थे, तीन दिन बाद बांग्लादेश आए और अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार और एसएडी के उम्मीदवार के रूप में कार्यभार संभाला.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) की रिपोर्ट के अनुसार 15 जुलाई से 15 अगस्त, 2024 के बीच लगभग 1400 लोग मारे गए, क्योंकि पुलिसकर्मियों को निशाना बनाकर की गई हिंसा के बाद भी जवाबी हिंसा जारी थी.
सत्ता परिवर्तन के बाद से अधिकांश अवामी लीग के नेता और मंत्री गिरफ्तार कर लिए गए या देश-विदेश में छिप गए और इसके परिणामस्वरूप पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी राजनीतिक परिदृश्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है.
इस्लाम की ये टिप्पणी नियोजित चुनाव को लेकर अटकलों के बीच आई है, क्योंकि अंतरिम सरकार ने संवैधानिक सुधार समेत कई आयोगों का गठन करते हुए सुधार संबंधी कई पहल की हैं. हालांकि, बीएनपी और कई अन्य दलों तथा राजनीतिक विश्लेषकों ने न्यूनतम सुधारों, विशेष रूप से निर्वाचन सिस्टम से संबंधित के बाद यथाशीघ्र चुनाव कराने की मांग की है. उनका कहना है कि सुधार एक सतत प्रक्रिया है और एक अनिर्वाचित सरकार को लंबे समय तक सत्ता में नहीं रहना चाहिए.
चुनाव हमारी तत्काल प्राथमिकता नहीं: NCP
जब उनसे पूछा गया कि क्या एनसीपी चाहती है कि चुनाव हों तो इस्लाम ने कहा, 'चुनाव हमारी तत्काल प्राथमिकता नहीं है (और) हम फिलहाल चुनाव के लिए कोई विशिष्ट समय सीमा निर्धारित नहीं कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमारा ध्यान पिछली सरकार के अपराधियों पर मुकदमा चलाने, देश में स्थिर कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने और संविधान सभा स्थापित करने पर है. हम संविधान और चुनाव सिस्टम में सुधार के पक्ष में हैं ताकि फासीवादी शासन फिर से न उभर सके.'
अब खत्म हो चुके SAD नेताओं ने पहले अवामी लीग को राजनीति से प्रतिबंधित करने की मांग की थी, लेकिन बीएनपी और कई अन्य दलों ने एसएडी के इस विचार का विरोध किया था. पर अंतरिम कैबिनेट के एक प्रभावशाली सदस्य छात्र प्रतिनिधि महफूज आलम ने पहले कहा था कि अवामी लीग को चुनावों में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
'मुक्ति संग्राम को कमतर आंकने की कोशिश'
बीएनपी ने बांग्लादेश के उदय के एक साल बाद तैयार किए गए 1972 के संविधान को खत्म करने के विचार का भी विरोध किया और प्रस्तावित दूसरे गणराज्य को खारिज कर दिया. इसके महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, 'मुझे डर है कि कुछ लोग हमारे (1971) मुक्ति संग्राम को कमतर आंकने की कोशिश कर रहे हैं.'
क्या बोले यूनुस
मोहम्मद यूनुस ने पहले चुनाव की समयसीमा के प्रश्न का स्पष्ट उत्तर देने से परहेज किया था, लेकिन हाल ही में उन्होंने कहा कि न्यूनतम आवश्यक सुधारों के बाद इस वर्ष दिसंबर में चुनाव कराए जा सकते हैं, लेकिन यदि राजनीतिक दल बड़े सुधार पैकेज पर सहमत हो जाएं तो यह प्रक्रिया अगले वर्ष जून तक टल सकती है.
चुनाव में अवामी लीग की हिस्सेदारी पर यूनुस ने इस महीने की शुरुआत में एक इंटरव्यू में कहा था, 'उन्हें (अवामी लीग को) यह तय करना होगा कि वे ऐसा करना चाहते हैं या नहीं, मैं उनके लिए फैसला नहीं कर सकता. चुनाव आयोग ये तय करता है कि चुनाव में कौन भाग लेगा.'