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जब 1997 में जलियांवाला बाग स्मारक पहुंचीं महारानी एलिजाबेथ, हुआ था विवाद

70 सालों तक ब्रिटेन की राजगद्दी संभाल चुकीं एलिजाबेथ 1997 में जब आखिरी बार भारत दौरे पर आई थीं. उस समय वह अपने पति और ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर भी पहुंची थीं. लेकिन जलियांवाला बाग स्मारक के उनके दौरे ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं.  महारानी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को भयावह घटना बताया लेकिन ब्रिटेन ने कभी इसके लिए आधिकारिक रूप से माफी नहीं मांगी. 

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जलियांवाला बाग स्मारक पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय
जलियांवाला बाग स्मारक पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय

ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन से पूरी दुनिया गमगीन है. 70 सालों तक ब्रिटेन की राजगद्दी संभाल चुकीं एलिजाबेथ 1997 में जब आखिरी बार भारत दौरे पर आई थीं. उस समय वह अपने पति और ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग के साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर भी पहुंची थीं. उन्होंने स्वर्ण मंदिर में मत्था भी टेका था. लेकिन जलियांवाला बाग स्मारक के उनके दौरे ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. 

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भारत 1997 में ब्रिटेन से आजादी की 50वीं जयंती मना रहा था. यह महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके उनके पति ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग का आखिरी भारत दौरा भी था. इस दौरान महारानी एलिजाबेथ बकायदा जलियांवाला बाग पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने उनके लिए बनाए गए स्मारक पहुंची थीं. उन्होंने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिक्र करते हुए इसे विचलित कर देने वाली घटना बताया था.

इस दौरान उन्होंने कहा था, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि अतीत में कुछ खराब घटनाक्रम हुए. जलियांवाला बाग एक ऐसा ही परेशान कर देने वाला उदाहरण है. हालांकि, यह भी चौंकाने वाला रहा कि महारानी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को भयावह घटना बताया लेकिन ब्रिटेन ने कभी इसके लिए आधिकारिक रूप से माफी नहीं मांगी. 

बता दें कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने तीन बार भारत का दौरा किया था लेकिन उनके पति प्रिंस फिलिप चार बार भारत आए थे. वह सबसे पहले 1959 में अकेले भारत दौरे पर आए थे. उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनकी मेजबानी की थी. इसके बाद वह 1961, 1983 और 1997 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के साथ भारत आए.

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पढ़ें: 70 साल ब्रिटेन में सत्ता की सिरमौर रहीं एलिजाबेथ द्वितीय, तस्वीरों में देखें साम्राज्ञी की जिंदगी - World AajTak

हालांकि, प्रिंस फिलिप ने 1997 में जलियांवाला बाग पीड़ितों को लेकर एक विवादित बयान भी दिया था. उन्होंने 1919 की इस दहला देने वाली घटना में मारे गए लोगों की संख्या पर सवाल खड़े किए थे. इसके बाद ब्रिटेन के इस शाही जोड़े से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग भी उठी थी.

बता दें कि 13 अप्रैल 1919 की दोपहर अमृतर के जलियांवाला बाग में जुटे हजारों निहत्थे लोगों पर ब्रिटिश सेना ने अंधाधुंध गोलियां बरसा दी थीं. इस घटना में लगभग 1,000 लोग मारे गए थे लेकिन ब्रिटेन सरकार के आंकड़ों में लगभग 400 लोगों की मौत का ही जिक्र है. इस घटना को बीते 100 साल से अधिक हो गए लेकिन ब्रिटेन सरकार ने आधिकारिक तौर पर अब तक माफी नहीं मांगी.

इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए डेविड कैमरन ने भी जलियांवाला बाग हत्याकांड को ब्रिटेन के इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना बताया था. लेकिन ब्रिटेन ने कभी आधिकारिक तौर पर इस नृशंस घटना के लिए माफी नहीं मांगी.

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