Who are Yemen’s Houthis: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अबू धाबी के इंटरनेशनल एयरपोर्ट और उसके आसपास के इलाकों में सोमवार को तीन बड़े धमाके हुए. इन धमाकों में तीन लोगों की मौत हुई. इन हमलों में जान गंवाने वालों में दो भारतीय और एक पाकिस्तानी नागरिक है. ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों (Houthi Rebels) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है.
हाउती विद्रोहियों ने अबू धाबी पर ये हमले ड्रोन के जरिए किए थे. ये हमले अबू धाबी एयरपोर्ट के पास पेट्रोल ले जा रहे तीन टैंकरों में हुए. इन हमलों में 6 लोग घायल भी हुए हैं.
हाउती विद्रोहियों का एक समूह है. ये लोग गृहयुद्ध से जूझ रहे यमन के ज्यादातर उत्तरी भाग को नियंत्रित करते हैं. यूएई यमन में चल रहे गृहयुद्ध का हिस्सा है. यूएई 2015 में अरब गठबंधन का हिस्सा बना था. तब यमन में सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. इसके बाद हाउतियों के खिलाफ हमला छेड़ने वाले सऊदी अरब के गठबंधन में यूएई भी जुड़ गया था. अमेरिका इस गठबंधन का समर्थन करता है.
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कौन है हाउती विद्रोही?
- 1980 के दशक में हाउतियों का उदय हुआ था. यमन के उत्तरी क्षेत्र में शिया इस्लाम की एक शाखा जायडिज्म का आदिवासी संगठन बना. हाउति विद्रोही उत्तरी यमन में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा के विस्तार का विरोध करता है.
- जब यमन में सुन्नी नेता अब्दुल्ला सालेह की सरकार थी तो उस समय शियाओं की दमन की कई घटनाएं सामने आईं. हाउतियों का मानना था कि सालेह की आर्थिक नीतियों की वजह से उत्तरी यमन में असमानता बढ़ी है.
- 2000 के दशक में हाउतियों ने अपनी सेना बना ली. रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 से 2010 के बीच हाउति विद्रोहियों ने सालेह की सेना से 6 बार युद्ध किया था.
- इसके बाद 2014 में हाउती विद्रोहियों ने अबेद रब्बो मंसूर हादी को सत्ता से बेदखल कर दिया और राजधानी साना को अपने कब्जे में ले लिया. इससे सऊदी अरब और यूएई घबरा गए. उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से एक गठबंधन बनाया. ये गठबंधन हाउतियों पर हमला करता है.
ईरान का नाम कैसे आया इसमें?
ईरान को हाउती विद्रोहियों का समर्थक माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि हाउतियों को ईरान सीधे तौर पर समर्थन करता है. इसकी दो वजहें सामने आती हैं. पहली तो ये कि ईरान भी एक शिया देश और हाउती भी शिया हैं. दूसरी ईरान और सऊदी अरब के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है.
हाउती विद्रोहियों के चलते यमन में काफी सालों से गृहयुद्ध चल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, गृहयुद्ध में अब तक 2.30 लाख यमन नागरिकों की मौत हो चुकी है. संयुक्त राष्ट्र ने कई बार युद्ध को शांत कराने की कोशिश की. लेकिन न ही सऊदी अरब पीछे हटने को तैयार है और नही हाउती.
बताया जाता है कि हाउती विद्रोहियों की विचारधारा शाही शासन के खिलाफ है. ये इजरायल, अमेरिका और सऊदी अरब को अपना दुश्मन मानते हैं. हाउती विद्रोहियों का अभी उत्तरी यमन पर कब्जा है. लेकिन उनका लक्ष्य पूरे यमन पर कब्जा करना है.