कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है. यही हालत इस वक्त पाकिस्तान के प्रधानममंत्री नवाज शरीफ की है. नवाज शरीफ के सामने सबसे बड़ा सवाल अपनी पसंद के शख्स को पाकिस्तान का अगला सेनाध्यक्ष बनाना है. इसी मुद्दे पर नवाज शरीफ और पाकिस्तान के मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल राहील शरीफ के बीच रस्साकशी जारी है. जनरल राहील का कार्यकाल नवंबर में पूरा होने जा रहा है.
भारत की उच्चस्तरीय इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक नवाज चाहते हैं कि उनका विश्वासपात्र अफसर पाकिस्तानी फौज की कमान संभाले. वहीं जनरल राहील का पूरा जोर है कि उनकी पसंद का अफसर अगला आर्मी चीफ बने. पाकिस्तान में सेनाध्यक्ष को पावर का अहम सेंटर माना जाता है. भारत और अमेरिका को लेकर पाकिस्तान की पॉलिसी तय करने का हक मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल राहील के हाथ में ही माना जाता है. जनरल राहील की पसंद लेफ्टिनेंट जनरल जुबेर महमूद हयात हैं. हयात इस वक्त रावलपिंडी आर्मी हेडक्वार्टर में चीफ ऑफ जनरल स्टाफ हैं. इस पोस्ट को आर्मी चीफ की पोस्ट तक पहुंचने के लिए अहम माना जाता है.
राहील की तरह हयात का संबंध भी फौजी कुनबे से ही रहा है. हयात के तीन भाई भी पाकिस्तानी फौज में उच्च अधिकारी हैं. मौजूदा पोस्ट पर तैनाती से पहले हयात पाकिस्तान की स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिविजन के प्रमुख रह चुके हैं. इसी डिविजन के ऊपर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की देख-रेख की जिम्मेदारी है. लेफ्टिनेंट जनरल हयात का दूसरे देशों के लिए दृष्टिकोण क्या है, ये अभी तक पर्दे के पीछे छुपा है. लेकिन भारत के इंटेलीजेंस एप्रेटस का मानना है कि मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल राहील से हयात कहीं ज्यादा कट्टर हैं.
नवाज की पसंद लेफ्टिनेंट जनरल जावेद
हयात पर जनरल राहील का दांव है तो वहीं प्रधानमंत्री नवाज की पसंद लेफ्टिनेंट जनरल जावेद इकबार रामदे हैं. रामदे इस वक्त XXXI कॉर्प्स के कोर कमांडर हैं. बता दें कि नवाज शरीफ ने जनरल मुशर्रफ को भी कई जनरल को सुपरसीड कर पाकिस्तानी फौज का चीफ बनाया था. लेकिन 1999 में जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्तापलट कर खुद ही पाकिस्तान की हुकूमत संभाल ली थी. इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल रामदे का परिवार नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम नेशनल लीग (पीएमएनएल) से पिछले कई वर्षों से जुड़ा हुआ है. जनरल रामदे का नाम 2009 में सुर्खियों में आया था तब उन्होंने अफगानिस्तान की सीमा के पास स्वात घाटी में पाकिस्तानी सेना के अभियान का नेतृत्व किया था.
जनरल नदीम-लेफ्टिनेंट जनरल बाजवा में रेस
भारत के इंटेलीजेंस आकलन के मुताबिक लेफ्टिनेंट जनरल रामदे पर नवाज शरीफ को पूरा भरोसा है. पाकिस्तान का अगला आर्मी चीफ कौन बनता है, इसी पर बहुत कुछ आधारित रहेगा कि नवाज का देश के रक्षा और विदेश मामलों पर कैसी पकड़ रहेगी.
जहां तक मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल राहील का सवाल है तो वो पर्दे के पीछे रहकर ही दांव खेलते रहे हैं. साथ ही पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में भी अपनी पकड़ लगातार मजबूत करते रहे हैं. भारतीय इंटेलीजेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी सेना का चीफ बनने के लिए दो और लेफ्टिनेंट जनरल के नाम होड़ में माने जा रहे हैं. ये हैं लेफ्टिनेंट जनरल इशफाक नदीम अहमद और लेफ्टिनेंट जनरल कमर बाजवा. माना जा रहा है कि नवाज और जनरल राहील में अपनी-अपनी पसंद के अफसर के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो लेफ्टिनेंट जनरल नदीम या लेफ्टिनेंट जनरल बाजवा में किसी एक को अगला सेनाध्यक्ष बनाने पर मुहर लग सकती है.
लेफ्टिनेंट जनरल नदीम इस वक्त मुल्तान में 2 कॉर्प्स के कोर कमांडर हैं वहीं लेफ्टिनेंट जनरल बाजवा पाकिस्तानी फौज की ट्रेनिंग और इवेल्यूएशन विंग को हेड कर रहे हैं. पाकिस्तान के पिछले दो आर्मी चीफ की बात की जाए तो जनरल मुशर्रफ और जनरल कियानी दोनों को कार्यकाल खत्म होने पर विस्तार मिला था. पाकिस्तान के मौजूदा आर्मी चीफ जनरल राहील सार्वजनिक तौर पर ये साफ कर चुके हैं कि वो कार्यकाल खत्म होने के बाद विस्तार लेने के इच्छुक नहीं है. जनरल राहील के मुताबिक रिटायरमेंट के बाद वो अपने पुश्तैनी घर में रहना पसंद करेंगे. जनरल शरीफ के इस स्टैंड के बावजूद पाकिस्तान में मुहिम जोर पकड़ रही है कि उन्हें कार्यकाल में विस्तार मिले.
काफी चर्चित रहे राहील
पाकिस्तान में अब तक जितने भी आर्मी चीफ हुए हैं, उनमें जनरल राहील को सबसे ज्यादा पॉपुलर बताकर प्रचारित किया जाता है. जनरल राहील ने पाकिस्तान की सरकार के विरोध को दरकिनार कर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत (नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रांत) में तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों के खिलाफ जर्ब-ए-अज्ब ऑपरेशन शुरू किया था. इसके बाद कई महीने तक सोशल मीडिया पर #थैंक यू राहील शरीफ ट्रेंड होता रहा था. भारत की इंटेलीजेंस एजेंसियों का मानना है कि जनरल राहील को लेकर हाईप पाकिस्तानी सेना के जन संपर्क विंग की ओर से किया गया था. इस विंग को इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के नाम से जाना जाता है.
भारत में भी जनरल राहील की सैनिक के तौर पर निष्ठा की तारीफ की जाती है. भारत सरकार में उच्च पद पर तैनात एक अधिकारी ने 'इंडिया टुडे/आज तक' को बताया, 'जनरल राहील पेशेवर सैनिक हैं, जो राष्ट्रीयता और अपने परिवार की सैनिक विरासत के लिए मजबूत भावनाएं रखते हैं. वो ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे कि पाकिस्तानी सेना की देश की सुरक्षा पर पकड़ को लेकर कोई समझौता हो.'