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पाकिस्तान के सरेंडर की आइकॉनिक फोटो से बांग्लादेशी जनरल क्यों गायब? जानें यूनुस सरकार के आरोपों में क्यों नहीं है दम

अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उस ऐतिहासिक सच्चाई को भी झुठलाने की कोशिश है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया देती है. यही नहीं खुद बांग्लादेश भी पिछले 53 सालों से इसकी गाथा गाता रहा है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं बांग्लादेश के अलग देश बनने में भारत की भूमिका की...

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पाकिस्तान के 90 हजार से अधिक सैनिकों ने भारत के सामने घुटने टेके थे. (सोशल मीडिया)
पाकिस्तान के 90 हजार से अधिक सैनिकों ने भारत के सामने घुटने टेके थे. (सोशल मीडिया)

शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी एजेंडा खुलेआम चल रहा है. लेकिन अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उस ऐतिहासिक सच्चाई को भी झुठलाने की कोशिश है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया देती है. यही नहीं खुद बांग्लादेश भी पिछले 53 सालों से इसकी गाथा गाता रहा है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं बांग्लादेश के अलग देश बनने में भारत की भूमिका की. 

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दुनिया जानती है कि भारत ने बांग्लादेश बनने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी. ये कहना कहीं से गलत नहीं है कि अगर भारत न होता तो बांग्लादेश का अलग देश बनने का सपना महज सपना ही होता. लेकिन इन दिनों बांग्लादेश के नेता नफरत की आग में इस तरह झुलस रहे हैं कि उन्होंने 16 दिसंबर 1971 के उस ऐतिहासिक मंजर को भी झुठलाने की कोशिश की है, जिसमें भारत के सामने पाकिस्तान के 90 हजार सैनिक घुटनों पर बैठे आत्मसमर्पण कर रहे थे. इसके बाद ही पाकिस्तान से बांग्लादेश को जीत मिली थी.

बांग्लादेश ने भारत की भूमिका पर उठाए सवाल...

भारत और बांग्लादेश 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. बांग्लादेश में भी इस दिन बड़े स्तर पर आयोजन होते हैं, क्योंकि इसी दिन बांग्लादेश की जीत सुनिश्चित हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए 16 दिसंबर को एक्स पर एक पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, 'हम उन बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करते हैं जिन्होंने 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया था....' पीएम मोदी की इस पोस्ट पर बांग्लादेश ने ऐतराज जताया है.

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बांग्लादेश की ओर से क्या कहा गया

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में कानून मंत्री आसिफ नजरुल ने कहा, 1971 की जीत बांग्लादेश की जीत है, भारत इसमें सिर्फ एक सहयोगी था. नजरुल ने अपनी पोस्ट के साथ PM मोदी की पोस्ट का स्क्रीनशॉट भी लगाया. वहीं, बुधवार को बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी इसी तरह की बात कही. विदेश मंत्रालय ने भारत की भूमिका पर सवाल उठाते हुए भारत के पूर्व विदेश सचिव जेएन दीक्षित की एक किताब का हवाला दिया. 

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यह भी पढ़ें: विजय दिवस पर PM मोदी की पोस्ट देख बांग्लादेश को लगी मिर्ची, कहा- उसी जीत में भारत सिर्फ सहयोगी था

बांग्लादेश ने क्या आरोप लगाया

बांग्लादेश विदेश मंत्रालय की फेसबुक पोस्ट में पूर्व भारतीय विदेश सचिव जेएन दीक्षित की किताब 'लिबरेशन एंड बियॉन्ड: इंडो-बांग्लादेश रिलेंशस' का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है कि भारत ने जानबूझकर पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण समारोह से बांग्लादेश के संयुक्त कमान के कमांडर जनरल एमएजी उस्मानी को दूर रखा था. पोस्ट में कहा गया कि दीक्षित ने अपनी किताब में लिखा है कि आत्मसमर्पण समारोह में एक बड़ी राजनीतिक गलती यह थी कि भारत ने बांग्लादेश की ओर से संयुक्त कमान के कमांडर जनरल उस्मानी की समारोह में मौजूदगी को रोका था.

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लेकिन क्या छिपा रहा बांग्लादेश

दरअसल, बांग्लादेश का विदेश मंत्रालय जिस ऐतिहासिक घटना को लेकर आरोप लगा रहा है उसमें एक फैक्ट मिसिंग है. ये बात सच है कि सरेंडर वाली जगह पर बांग्लादेश के कमांडर जनरल उस्मानी नहीं पहुंचे थे. लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्हें इसमें शामिल होने से उन्हें रोका गया था. उसी किताब में जेएन दीक्षित ने आगे की कहानी बताई है. उन्होंने लिखा, 'कमांडर जनरल उस्मानी के हेलीकॉप्टर ने समारोह में शामिल होने के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन आत्मसमर्पण के समय तक ढाका नहीं पहुंच सका था. उनका हेलीकॉप्टर रास्ता भटक गया था, जिससे वह समय पर ढाका नहीं पहुंच सका. ऐसे में मजबूरन भारतीय सैनिकों को सरेंडर के कागजात पर साइन करवाने पड़े.' हालांकि, ये सच है कि अगर आत्मसमर्पण समारोह में उस्मानी की मौजूदगी होती तो कई राजनीतिक गलतफहमियों से बचने में मदद मिल सकती थी.

बता दें कि 16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने भारतीय सेना के पूर्वी कमांड के प्रमुख जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने सरेंडर दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे.

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