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ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के बीच सुलह के लिए इस्लामिक देश सऊदी अरब को ही क्यों चुना?

रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन में युद्ध खत्म करने को लेकर वार्ता हो रही है. सऊदी अरब इस वार्ता की मेजबानी कर रहा है लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि वो खुद को मध्यस्थ के रूप में भी पेश कर सकता है. यह दिखाता है कि क्राउन प्रिंस एमबीएस के नेतृत्व में सऊदी सॉफ्ट पावर बनता जा रहा है.

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सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में किंगडम सॉफ्ट पावर बन रहा है (Photo- Reuters)
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में किंगडम सॉफ्ट पावर बन रहा है (Photo- Reuters)

रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लिए अमेरिका के विदेश मंत्री आज रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मिल रहे हैं. दोनों नेताओं की यह मुलाकात सऊदी अरब में हो रही है. इस संबंध में रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि सऊदी अरब अमेरिका और रूस, दोनों देशों की वार्ता के लिए एक अनुकूल जगह है. पेस्कोव की यह टिप्पणी सऊदी अरब के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) की जीत मानी जा रही है.

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क्राउन प्रिंस सलमान तेल पर आधारित सऊदी की अर्थव्यवस्था और इसके कट्टरपंथी इस्लामिक अतीत को ऐसे राष्ट्र में बदलने के मिशन पर हैं जो दुनिया भर में सॉफ्ट पावर बनकर उभरे. और वो इस मिशन में कामयाब होते दिख रहे हैं.

बढ़ रहा सऊदी अरब का सॉफ्ट पावर

अमेरिका और रूस के नेताओं की मेजबानी कर सऊदी अरब यह भी दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वो गाजा के भविष्य पर भी वार्ता की मध्यस्थता कर सकता है.

एक सऊदी अधिकारी ने अमेरिकी टीवी नेटवर्क सीएनएन को बताया कि मंगलवार को अमेरिका और रूस के बीच होने वाली बैठक में सऊदी अरब मेजबानी से आगे बढ़कर मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है. सऊदी टीम का नेतृत्व देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करेंगे.

सऊदी अरब के टिप्पणीकार अली शिहाबी कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता कि ऐसी कोई और जगह है जहां के नेता का ट्रंप और पुतिन दोनों के साथ इतने अच्छे व्यक्तिगत संबंध हैं. सऊदी अरब के लिए यह एक प्रतिष्ठित आयोजन और यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सऊदी की सॉफ्ट पावर को बढ़ाता है.'

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अमेरिका और रूस के नेताओं का सऊदी अरब में मिलना किंगडम में हो रहे व्यापक बदलाव का हिस्सा है. हाल के सालों में सऊदी अरब ने वैश्विक संघर्षों में तटस्थता दिखाई है और अपने 'विजन 2030' के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अरबों डॉलर के निवेश पर फोकस किया है.

विजन 2030 क्राउन प्रिंस का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है जिसका लक्ष्य सऊदी अरब की तेल आधारित अर्थव्यवस्था में विविधता लाना है. मोहम्मद बिन सलमान ने हूती विद्रोहियों के साथ वर्षों के युद्ध के बाद यमन से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं, वो क्षेत्रीय दुश्मन ईरान के साथ संबंधों को सुधार रहे हैं और चीन-रूस के साथ घनिष्ठ संबंध बना रहे हैं. इन सबके साथ ही वो पश्चिमी देशों के साथ भी मजबूत संबंध बनाए हुए हैं.

सऊदी अरब के पुतिन और ट्रंप, दोनों के साथ मजबूत संबंध

सऊदी अरब पहले जहां खेल और मनोरंजन से दूर रहता था, अब वो खेल और मनोरंजन के अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स आयोजित कर रहा है. सऊदी मानवीय मदद को लेकर बैठकें आयोजित कर रहा है, शांति सम्मेलनों की मेजबानी कर रहा है और इसके जरिए वो खुद को वैश्विक शांतिदूत के रूप में पेश कर रहा है.

अगस्त 2023 में सऊदी अरब ने यूक्रेन मुद्दे पर दो दिवसीय शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें 40 से अधिक देशों ने हिस्सा लिया. उसी साल फरवरी में सऊदी अरब ने यूक्रेन को 40 करोड़ डॉलर की मानवीय मदद देने का ऐलान किया था.

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शांति वार्ता में एक शक्तिशाली मध्यस्थ के रूप में प्रिंस बिन सलमान का उदय, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके मजबूत संबंधों के कारण हुआ है. ट्रंप क्राउन प्रिंस का हमेशा से समर्थन करते आए हैं. 2018 में जब सऊदी एजेंट्स ने पत्रकार जमाल खाशोज्जी की हत्या कर दी थी और एमबीएस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरस्कार झेलना पड़ा था, तब भी ट्रंप ने उनका समर्थन किया था.

2017 में जब ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति चुने गए तब अपने पहले विदेश दौरे पर सऊदी अरब पहुंचे थे. साल 2020 में जब वो चुनाव हार गए तब भी सऊदी अरब ने ट्रंप के साथ बिजनेस करना जारी रखा. सऊदी अरब ने ट्रंप के दामाद जेयर कुशनेर के फर्म में दो अरब डॉलर निवेश किया और किंगडम में ट्रंप टावर बनाने की भी घोषणा की थी.

क्राउन प्रिंस सलमान के संबंध रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी काफी मजबूत हैं. पुतिन ने भी खाशोज्जी की हत्या के बाद एमबीएस का साथ दिया था. यूक्रेन के साथ युद्ध के लिए सऊदी अरब पर पश्चिमी देशों ने काफी दबाव डाला कि वो रूस को अलग-थलग करने और रूसी तेल की वैश्विक सप्लाई पर नियंत्रण करने में उनका साथ दे. लेकिन सऊदी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और जब 2022 में अमेरिका के तत्कालीन बाइडेन प्रशासन ने उन्हें तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा तब भी उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया.

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पुतिन 2023 में सऊदी अरब गए थे और उन्होंने सऊदी अरब से आग्रह किया था कि वो BRICS का सदस्य बन जाए.

विश्लेषकों का कहना है कि तेजी से ध्रुवीकृत हो रही दुनिया में सऊदी अरब का सभी वैश्विक नेताओं से संबंध बनाए रखना फायदेमंद साबित हुआ है. मध्य पूर्व में ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि क्राउन प्रिंस पिछले सप्ताह रूसी हिरासत से अमेरिकी शिक्षक मार्क फोगेल की रिहाई में अहम भूमिका में थे.

सऊदी अरब अपने पड़ोसी संयुक्त अरब अमीरात के साथ मिलकर यूक्रेन और रूस के बीच कई कैदियों की अदला-बदली में भी मध्यस्थता करने में सफल रहा है. ये सभी हालिया घटनाएं दिखाती हैं कि सऊदी अरब अपनी कट्टर इस्लामिक छवि को छोड़कर खुद को ग्लोबल सॉफ्ट पावर बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. 

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