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भगोड़े मेहुल चोकसी को क्यों मिली इंटरपोल से क्लीनचिट? रेड नोटिस हटने पर क्या-क्या कर सकेगा

पीएनबी में हुए 13 हजार 500 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी का नाम इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस डेटाबेस से हटा दिया है. इंटरपोल ने 2018 में चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था. रेड नोटिस किसी वांटेड अपराधी के लिए जारी किया जाता है ताकि दुनियाभर की पुलिस को उसके अपराधों की जानकारी हो.

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मेहुल चोकसी (फाइल फोटो)
मेहुल चोकसी (फाइल फोटो)

मेहुल चोकसी 13 हजार 500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में वांटेड है. इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के डेटाबेस से मेहुल चोकसी को हटाना सीबीआई और ईडी के लिए बड़ा झटका है. इंटरपोल ने 2018 में मेहुल चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था. उससे पहले ही मेहुल चोकसी एंटीगुआ और बरबूडा की नागरिकता ले चुका था. 

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जिसके बाद अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है. कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि पीएम मोदी जवाब दें मेहुल को देश कब वापस लाया जाएगा. मेहुल पांच साल से फरार है, अब और कितना वक्त चाहिए?

क्यों हटाया गया रेड नोटिस?

- जनवरी 2018 में पीएनबी घोटाला सामने आया था. लेकिन उससे पहले ही मेहुल चोकसी और उसका भांजा नीरव मोदी देश छोड़कर भाग गए थे.

- सीबीआई ने इंटरपोल से मेहुल चोकसी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की अपील की थी. इसके बाद 2018 में इंटरपोल ने चोकसी के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था.

- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेड नोटिस हटाने के लिए चोकसी की ओर से इंटरपोल में याचिका दायर हुई थी. इसमें उसने दावा किया था कि 2021 में भारतीय जांच एजेंसियों उसका 'अपहरण' कर लिया था और डोमिनिका ले गए थे. 

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- इसी वजह से इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड नोटिस को हटाने का फैसला लिया है. चोकसी के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी को बताया कि रेड नोटिस डेटाबेस से नाम हटाने के फैसले से उनकी किडनैपिंग किए जाने के दावों को और मजबूत किया है.

रेड नोटिस हटने का मतलब क्या?

- रेड नोटिस इंटरपोल जारी करता है. दुनियाभर के 195 देश इसके सदस्य हैं. कोई भी अपराधी पुलिस और जांच एजेंसियों से बचने के लिए दूसरे देश भाग सकता है. रेड कॉर्नर नोटिस ऐसे अपराधियों के बारे दुनियाभर की पुलिस को सचेत करता है.

- रेड नोटिस किसी देश से भागे हुए अपराधी को ढूंढने के लिए जारी किया जाता है. ये अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी का वारंट नहीं होता है. 

- ये सिर्फ दुनियाभर के देशों को उस शख्स के अपराध की जानकारी देता है. रेड कॉर्नर नोटिस के जरिए पकड़े गए अपराधी को उस देश में वापस भेज दिया जाता है, जहां उसने अपराध किया होता है. 

- ऐसे में अब रेड नोटिस डेटाबेस से मेहुल चोकसी का नाम हटने का मतलब है कि अब वो फिर से दुनियाभर में ट्रैवल कर सकता है. कुल मिलाकर अब चोकसी भले ही भारत के लिए वांटेड अपराधी हो, लेकिन दुनिया के लिए वो आम नागरिक ही बन गया है.

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मेहुल चोकसी और नीरव मोदी. (फाइल फोटो)

कथित किडनैपिंग का मामला क्या है?

- मई 2021 में चोकसी एंटीगुआ से अचानक गायब हो गया था. कुछ दिन बाद उसे डोमिनिका से गिरफ्तार कर लिया गया था. उस पर अवैध तरीके से डोमिनिका में एंट्री करने का आरोप था.

- डोमिनिका में चोकसी के गिरफ्तार किए जाने की खबर सामने आने के बाद भारत से सीबीआई की टीम भी उसे वापस लाने के लिए वहां पहुंच गई थी. सीबीआई की टीम रेड नोटिस के आधार पर उसे भारत वापस लाना चाहती थी.

- हालांकि, चोकसी को भारत वापस नहीं लाया जा सका था. क्योंकि उसके वकीलों ने अदालत में दलील दी कि उसे जबरन डोमिनिका ले जाया गया है, ताकि वो एंटीगुआ के नागरिक के तौर पर अपने अधिकारों का इस्तेमाल न कर सके. और उसे वहां से जबरन प्रत्यर्पण कर भारत भेज दिया जाए.

- 51 दिन तक जेल में रहने के बाद मेहुल चोकसी को डोमिनिका हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. उसे वापस एंटीगुआ भेज दिया गया था. बाद में डोमिनिका में उसके खिलाफ दर्ज मामलों को हटा दिया गया था.

कब से एंटीगुआ का नागरिक है चोकसी?

- मेहुल चोकसी ने साल 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता के लिए अप्लाई किया था, तब उसने मुंबई पुलिस से कैरेक्टर सर्टिफिकेट बनवाया था. 

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- चोकसी ने पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी कि उसके खिलाफ कोई केस दर्ज है, ऐसे में मुंबई पुलिस ने उसे सही नागरिक बताया था. 

- मुंबई पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर नवंबर 2017 में मेहुल चोकसी को एंटीगुआ की नागरिकता मिल गई थी, ये नागरिकता इन्वेस्टमेंट स्कीम के अंतर्गत मिली थी. 7 जनवरी, 2018 को मेहुल चोकसी ने भारत छोड़ा था लेकिन तब उसने अपनी भारतीय नागरिता को त्यागा नहीं था.

क्या है पीएनबी घोटाला?

- पंजाब नेशनल का ये घोटाला जनवरी 2018 में सामने आया था. 31 जनवरी 2018 को सीबीआई ने इस मामले में केस दर्ज किया था, लेकिन उससे पहले ही मेहुल चोकसी और नीरव मोदी देश छोड़कर भाग गए थे.

- मेहुल चोकसी और नीरव मोदी पर पीएनबी से 13,500 करोड़ रुपये गबन करने का आरोप है. नीरव मोदी इस समय लंदन में है. जबकि, मेहुल चोकसी एंटीगुआ का नागरिक बन गया है.

- इस घोटाले की शुरुआत 2011 में हुई थी. आरोप है कि मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने पीएनबी के कुछ अधिकारियों से सांठ-गांठ करके फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग यानी LOU जारी कराए थे.

- ये LOU एक तरह की गारंटी होता है, जो बैंक अपने ग्राहक को जारी करता है. इसके जरिए ग्राहक भारतीय बैंकों की विदेशी ब्रांच से लोन ले सकता है. आमतौर पर LOU के जरिए जो पैसा लिया जाता है, उसे 90 दिन में वापस करना होता है, पर ऐसा हुआ नहीं.

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- इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब बैंक के अफसर-कर्मचारी रिटायर हो गए और नीरव मोदी की कंपनी ने फिर से LOU जारी करने की सिफारिश की. नए अफसरों ने ये गलती पकड़ ली और जांच शुरू कर दी. जनवरी 2018 में इस पूरे फर्जीवाड़े का पता चल गया.

 

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