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इस मुल्क में लगभग सभी हैं करोड़पति, कैसे यह छोटा देश दुनियाभर के दौलतमंद लोगों का ठिकाना बन गया?

ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म 'नाइट फ्रेंक' ने एक सर्वे किया, जिसमें देखा गया कि अलग-अलग देशों के सबसे अमीर 1% क्लब का हिस्सा बनने के लिए कितने पैसे चाहिए. भारत में अगर आपके पास 1.44 करोड़ रुपए हैं तो आप 1 प्रतिशत में शामिल होंगे. वहीं सबको पछाड़ते हुए एक बहुत छोटा देश टॉप पर है. मोनेको नाम के इस यूरोपियन मुल्क में सबसे अमीर ग्रुप का हिस्सा बनने के लिए सबसे ज्यादा पैसे चाहिए.

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टैक्स हेवन होने के कारण मोनेको में दुनियाभर के अमीर आ बसते हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
टैक्स हेवन होने के कारण मोनेको में दुनियाभर के अमीर आ बसते हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

कंसल्टेंसी फर्म नाइट फ्रेंक ने साल 2023 की वेल्थ रिपोर्ट जारी की. इसमें ये खंगाला गया कि दुनिया के अलग-अलग देशों के टॉप 1 प्रतिशत अमीरों के पास आखिर न्यूनतम कितने पैसे होते हैं. मतलब कितनी रकम जेब में आने के बाद कोई इस श्रेणी में शामिल हो सकता है. औसत निकालने पर पाया गया कि मोनेको में कंपीटिशन सबसे तगड़ा है. यहां आपके पास 10-15 या 50 करोड़ होंगे तो आप अमीर तो होंगे, लेकिन सबसे अमीर 1 प्रतिशत में नहीं होंगे. यहां लगभग 102 करोड़ रुपए आने के बाद ही अमीर लोग सबसे अमीर की श्रेणी में आएंगे. 

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कौन से देश हैं कहां?

इस 1 प्रतिशत क्लब में मोनेको के बाद स्विटजरलैंड और ऑस्ट्रेलिया हैं, जहां क्रमशः 54 और 45 करोड़ रुपए पॉकेट में चाहिए. एशिया में सबसे अमीर सिंगापुर है. वहीं भारत इस लिस्ट में 22वें नंबर पर खड़ा है. यहां लगभग 1.44 करोड़ रुपए जुटाने के बाद आप खुश हो सकते हैं कि एक प्रतिशत अमीरों में आपका नाम भी शामिल हो गया. भारत के बारे में नाइट फ्रेंक ने यह भी माना कि दुनिया में दौलतमंद लोगों का औसत जहां घट रहा है, वहां भारत में अमीरी बढ़ रही है.

अब बात करें अमेरिका की, तो ये देश वैसे तो सुपर पावर कहलाता है, लेकिन वहां के सबसे अमीर उतने भी पैसे वाले नहीं. वहां लगभग 42 करोड़ रुपयों का मालिक खुद को सबसे अमीर 1% में शामिल मान सकता है. 

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मोनेको क्षेत्रफल में सबसे छोटे देशों में गिना जाता है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

कैसा है अमीरों में अमीर देश?

फ्रांस के भूमध्य सागर के तट पर बसा ये देश लगभग 2.02 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है. CIA वर्ल्ड फैक्टबुक की मानें तो क्षेत्रफल के लिहाज से ये न्यूयॉक के सेंट्रल पार्क से भी छोटा है. इतना छोटा होने के बावजूद, इस देश को दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता है. इसकी दौलत का अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि अब तक यहां पर गरीबी रेखा पर रिपोर्ट जारी नहीं हो सकी क्योंकि कोई गरीब ही नहीं है. जीडीपी पर कैपिटा 2022 की बात करें तो भी ये देश 177 देशों में सबसे ऊपर रहा.

कितनी दौलत है यहां?

मोनेको की लगभग 40 हजार की आबादी में 32 प्रतिशत लोग करोड़पति, 15 प्रतिशत मल्टीमिलियनेयर और लगभग 1 दर्जन लोग बिलियनेयर हैं. यहां तक कि सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक में भी इस देश में गरीबी के आगे लिखा है- नॉट एप्लिकेबल यानी लागू नहीं होता. माना जाता है कि खुद वहां की सरकार को अनुमान नहीं कि देश में किसके पास कितनी दौलत होगी.

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हर देश की इकनॉमी को चलाए रखने के लिए अलग-अलग स्त्रोत होते हैं. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

कहां से आए इतने पैसे?

मोनेको की बात चलने पर आमतौर पर लोग कैसिनो या बार के बारे में सोचते हैं, लेकिन ये सब तो थाइलैंड में भी हैं, लेकिन वो तो इतना अमीर नहीं. फिर यहां पर पैसे कहां से आते हैं! इसकी सबसे बड़ी वजह है, इस जगह का टैक्स-फ्री होना. यहां कुल आबादी में लगभग 12 हजार लोग ही मोनाको के मूल निवासी हैं, बाकी आबादी दूसरे देशों से आकर बसे अमीरों की हैं. दुनियाभर के दौलतमंद व्यापारी यहां की नागरिकता लेकर रहने लगते हैं ताकि टैक्स बच सके. वे यहीं से अपना बिजनेस करते हैं और जरूरत पड़ने पर ट्रैवल करते रहते हैं. 

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बैंक में लगातार बने हुए हैं पैसे

साल 1869 में मोनेको ने इन्कम टैक्स का प्रावधान खत्म कर दिया. कंपनियों को टैक्स देना होता है, जो बहुत मामूली रहता है. लीगल रेजिडेंट परमिट भी आय का जरिया है. यहां रेजिडेंट परमिट पाना काफी आसान और फास्ट प्रोसेस है. सिर्फ तीन महीनों में ये हो सकता है, लेकिन उसके लिए आवेदक को साढ़े 44 लाख रुपए वहां के बैंक में जमा करने होंगे. 

आलीशान नावें भी बनाए हुए हैं अमीर

समुद्र किनारे बसे देश में इकनॉमी की रीढ़ में याच भी है. ये बड़े बोट्स होते हैं. मोनेको के याच मालिक इन्हें एक फ्लैट की तरह तैयार करते हैं. सारी मॉडर्न सुविधाओं वाले इस घरनुमा बोट पर वे अमीर रहते हैं, जिनके पास मोनेको में रहने के लिए घर नहीं. दरअसल देश छोटा होने की वजह से यहां रहने के लिए जगह कम पड़ती जा रही है. यहां तक कि करोड़पति होने के बाद भी काफी लोग कारों या पब्लिक प्लेस पर सोने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में याच काफी काम की चीज साबित हुई. समुद्र में छुट्टियां बिताने के लिए पहले अमीर इस किराए पर लिया करते थे, लेकिन अब सीधे खरीद रहे हैं. 

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मोनेको में याच भी एक बड़े बिजनेस की तरह सामने आया. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

याच बिजनेस प्रॉपर्टी बिजनेस की तरह उभरा

इसे चलाने के लिए याच ब्रोकरेज एंड मैनेजमेंट कंपनियां भी खड़ी हो गईं. ये आमतौर पर स्थानीय लोग होते हैं जो अपनी सेकंड हैंड याच को मॉडिफाई करके उसका बिजनेस करते हैं. जरूरत पड़ने पर दूसरे देशों से भी याच इंपोर्ट की जाती है. याच क्लब भी हैं, जो बेहद महंगे दामों पर टिकट बेचते और तरह-तरह के कार्निवल मनाते रहते हैं. 

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इसके अलावा ये देश अपनी इकनॉमी के लिए पर्यटन पर भी टिका हुआ है. यहां का मौसम सालभर शानदार रहता है, जिससे सर्दियों में सीजनल डिसऑर्डर से बचने के लिए लगभग पूरा यूरोप यहां उमड़ आता है. विंटर ब्लूज से राहत के लिए बाकी पश्चिमी देशों से भी पर्यटक यहां आते रहते हैं. उनके मनोरंजन के लिए यहां एक से बढ़कर एक रिसोर्ट और कैसिनो हैं.

रहने के लिए समुद्र में बना रहे स्काई स्क्रैपर

वैसे यहां बता दें कि जमीन की कमी से परेशान मोनेको सरकार कई ऑफशोर प्रोजेक्ट शुरू कर चुकी. इसमें वो समुद्र से पानी हटाकर वहां घर तैयार करवा रही है. 19वीं सदी से लेकर अब तक मोनाको समंदर में अपना इलाका 20 फीसदी तक बढ़ा चुका और आगे भी बढ़ाने की कई योजनाएं हैं ताकि अपने लोगों को घर दे सके. 

 

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