बांग्लादेश में सोमवार को राजधानी ढाका समेत कई जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भड़क उठे. प्रदर्शनकारी इजरायल के गाजा में चल रहे सैन्य हमलों की निंदा कर रहे थे और उन ब्रांड्स का बहिष्कार करने की मांग कर रहे थे, जिन्हें वे इजरायल या उसके सहयोगियों से जुड़ा मानते हैं.
हालांकि, यह राजनीतिक एकजुटता जल्द ही हिंसक हो गई और भीड़ ने देश के विभिन्न हिस्सों में केएफसी, पिज्जा हट और बाटा की दुकानों पर हमला कर दिया.
कई जिलों में फैला प्रदर्शन
7 अप्रैल, 2025 को बोगरा, सिलहट, कॉक्स बाजार, चटगांव और अन्य क्षेत्रों में प्रदर्शन शुरू हुए. प्रदर्शनकारी फिलिस्तीनी झंडों और इजरायल विरोधी नारों के साथ सड़कों पर उतरे. यह प्रदर्शन वैश्विक "नो वर्क, नो स्कूल" हड़ताल के आह्वान का हिस्सा था. लेकिन कई जगहों पर ये प्रदर्शन हिंसक हो गए और पश्चिमी और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स को निशाना बनाया गया.
चटगांव में दोपहर करीब 4:15 बजे केएफसी और पिज्जा हट की दुकानों पर ईंट-पत्थरों से हमला किया गया. सिलहट में एक केएफसी आउटलेट को इसलिए तोड़ा गया क्योंकि कुछ लोगों का मानना था कि वहां कोका-कोला बेचा जाता है, जिसे वे इजरायल से जोड़ते हैं.
ढाका में एक अजीब घटना में, बाटा की एक स्थानीय दुकान को लूट लिया गया. लुटेरों ने चुराए गए जूतों को बाद में फेसबुक मार्केटप्लेस पर बेचने की कोशिश की.
इस लूटपाट के सिलसिले में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
विडंबना यह है कि बाटा का इजरायल से कोई संबंध नहीं है. यह चेक गणराज्य में स्थापित एक निजी, पारिवारिक कंपनी है. हमला की गई दुकान स्थानीय मालिक की थी, जिसमें बांग्लादेशी कर्मचारी काम करते थे और यह स्थानीय स्तर पर कर चुकाती थी.
बाटा ने फेसबुक पर एक बयान में कहा, "हमें उन गलत दावों की जानकारी है, जिनमें कहा जा रहा है कि बाटा इजरायल की कंपनी है या इसका इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष में कोई राजनीतिक संबंध है."
पुलिस ने देशभर में हमलों के सिलसिले में 49 लोगों को गिरफ्तार किया है. दो मामले दर्ज किए गए हैं, और और मामले दर्ज होने की संभावना है.
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हिंसा और तोड़फोड़ की निंदा की है. मंगलवार को मुख्य सलाहकार कार्यालय (सीएओ) ने पुष्टि की कि जांच चल रही है और कानून प्रवर्तन अतिरिक्त मामले दर्ज करने की तैयारी कर रहा है. वहीं, शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने एक बयान जारी कर इन हमलों को बांग्लादेश में बढ़ते उग्रवाद का खतरनाक संकेत बताया.
यह धारणा कि ये ब्रांड विदेशी हैं, गलत है. तोड़ी गई अधिकांश दुकानें स्थानीय फ्रैंचाइजी थीं. इन हमलों से स्थानीय उद्यमियों और कर्मचारियों को वित्तीय और सामग्री नुकसान हुआ है, न कि अंतरराष्ट्रीय निगमों को. गुस्सा, गलत सूचना और एकजुटता से भरे ये प्रदर्शन बांग्लादेश की सड़कों पर बढ़ते तनाव को दर्शाते हैं, जहां वैश्विक संघर्ष अब लोकल एक्टिविटी को प्रभावित कर रहे हैं.