संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का भारत से आयात किए गए गेहूं और आटे को देश से बाहर बेचने पर रोक लगाने का फैसला कल से ही चर्चा में है.
यह फैसला एक तरह से आश्वासन है कि भारत से यूएई में गेहूं का जो भी आयात हुआ है, उसका इस्तेमाल यूएई की घरेलू खपत के लिए ही किया जाएगा.
यूएई के इस ऐलान के साथ ही लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी. कई लोग इस खबर को गलत समझ बैठे और यूएई पर निशाना साधने लगे. लोगों को लगा कि यूएई ने भारत से गेहूं खरीदने पर ही रोक लगा दी है.
अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने भी यूएई के इस फैसले को गलत संदर्भ में समझकर ट्वीट किया, जिसके बाद वह काफी ट्रोल भी हुईं. उन्होंने इसे पैगंबर पर बीजेपी नेताओं की विवादित टिप्पणी से जोड़ते हुए कहा, नफरत फैलाने के वैश्विक आर्थिक दुष्परिणाम.
हालांकि, बाद में ऋचा ने गलती का एहसास होने पर ट्वीट डिलीट कर माफी मांगी.
बता दें कि यूएई उन देशों में भी शामिल रहा है, जिन्होंने बीजेपी नेताओं की पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी को लेकर निंदा की थी.
इस मामले में यूएई ने बकायदा बयान जारी कर कहा था कि जो व्यवहार नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ है, यूएई उसका विरोध करता है.
क्या है असली वजह?
ट्रेड सूत्रों का कहना है, भारत नहीं चाहता कि दुबई और अबू धाबी में निर्यात किया गया उसका गेहूं किसी अन्य देश में भेजा जाए. भारत चाहता है कि यूएई की घरेलू खपत के लिए इसका इस्तेमाल किया जाए, जिसमें वहां काम कर रहे प्रवासी भारतीय मजदूरों की मुश्किलें भी कम हों.
भारत ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर बैन लगा दिया था. हालांकि, इससे पहले जिन देशों के साथ गेहूं निर्यात को लेकर करार हो चुका था, उन्हें बाद में गेहूं भेजा गया.
भारत ने 2021-2022 में यूएई में 4.71 लाख टन गेहूं निर्यात किया. इसकी कीमत 13.653 करोड़ डॉलर है.
यूएई भेजी गई यह खेप भले ही भारत के लिए इतनी बड़ी नहीं हो लेकिन यूएई के लिए छोटी नहीं थी.
भारत ने गेहूं खरीद रहे देशों से मांगा लिखित आश्वासन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने उन देशों से लिखित में आश्वासन मांगा है, जो उससे गेहूं खरीद रहे हैं.
भारत का कहना है कि ऐसे देश लिखित में आश्वासन दें कि वे उनके गेहूं का किसी अन्य देश में निर्यात नहीं करेंगे.
इसके साथ ही भारत के गेहूं का इस्तेमाल मानव खपत में ही किया जाएगा.
यूएई ने बुधवार को भारत से खरीदे गए गेहूं और आटे के किसी अन्य देश में निर्यात पर चार महीने की रोक लगा दी थी.
यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने जारी बयान में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है, जिससे व्यापार प्रभावित हुआ है.
मंत्रालय ने कहा था कि भारत ने यूएई को घरेलू खपत के लिए गेहूं का निर्यात किया था इसलिए रोक के पीछे यह भी प्रमुख वजह है.
मंत्रालय ने कहा कि जो गेहूं या आटा भारत से नहीं खरीदा गया है, उसके देश से बाहर निर्यात के लिए कंपनियों को अब सरकार से मंजूरी लेनी होगी.
गेहूं को लेकर पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर यूएई
अमेरिकी कृषि विभाग ने अनुमान जताया था कि यूएई की सालाना गेहूं की खपत 15 लाख टन है, जो पूरी तरह से आयात की जाती है.
वहीं, गेहूं के आटे की खपत 16.7 लाख टन है, जिसकी स्थानीय स्तर पर खपत भी होती है और इसे अन्य देशों को निर्यात भी किया जाता है.
इसे सऊदी अरब, बहरीन, जॉर्डन, इथियोपिया, ताइवान और फिलीपींस में बेचा जाता है. इस तरह सालाना लगभग एक लाख टन आटे का निर्यात किया जाता है.
यूएई का पचास फीसदी से अधिक गेहूं रूस, कनाडा, यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया से आयात किया जाता है.
2020-2021 से भारत, यूएई में गेहूं का निर्यात करने वाले सबसे बड़े निर्यातकों में से रहा है.
भारत ने खाड़ी फेडरेशन को 1.88 लाख टन गेहूं का निर्यात किया है. भारत के गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के फैसले से पहले 2021-2022 में यह निर्यात बढ़ा है.
ट्रेड सूत्रों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर गेहूं सप्लाई की स्थिति में थोड़ी राहत दी जानी चाहिए.
अमेरिकी कृषि विभाग ने 2022-2023 में यूक्रेन के गेहूं का निर्यात लगभग आधा रहकर एक करोड़ टन रहने का अनुमान जताया है.