प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दो दिन की यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंच चुके हैं. भारत और यूएई के संबंध बहुत पुराने और खास हैं. जानिए इन दोनों देशों का रिश्ता इतना खास क्यों हैं और भारत के लिए यूएई क्या अहमियत रखता है.
1. तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार
यूएई के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 1970 के दशक में 18 करोड़ डॉलर था, जो अब करीब 60 अरब डॉलर पहुंच चुका है. इस व्यापार के साथ चीन और अमेरिका
के बाद यह 2014-15 में तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है.
2. कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा निर्यातक
यूएई 2014-15 में भारत को कच्चे तेल का छठा सबसे बड़ा निर्यातक देश रहा है. समाचार पत्र खलीज टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में मोदी ने कहा, 'भारत के
आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा हित के लिहाज से खाड़ी क्षेत्र महत्वपूर्ण है.'
3. संप्रभु संपत्ति कोष
प्रधानमंत्री की इस यात्रा में मुख्य जोर यूएई के संप्रभु संपत्ति कोष से निवेश आकर्षित करना है, जो यूएई के मुताबिक 800 अरब डॉलर से ज्यादा है.
4. जीसीसी की हिस्सेदारी
विदेश नीति पर काम करने वाले मुंबई के एक थिंक टैंक गेटवे हाउस के एक फेलो अमित भंडारी ने कहा कि तेल मूल्यों में गिरावट से छह सदस्यीय समूह, खाड़ी सहयोग
परिषद (जीसीसी) का लाभ घट रहा है. यूएई भी जीसीसी का एक सदस्य है. भंडारी के मुताबिक, 'देश के निर्यात में जीसीसी की 16 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है.
जीसीसी की अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो उसका नकारात्मक असर भारतीय निर्यातकों पर भी होगा, जिससे भारतीय बैंक भी प्रभावित होंगे.'
5. रियल एस्टेट
UAE में 26 लाख से अधिक भारतीय रहते और काम करते हैं. दुबई में कंस्ट्रक्शन सेक्टर लाखों भारतीयों को रोजगार मिल रहा है. 2008 के आर्थिक संकट के दौरान दुबई में निर्माण गतिविधियां ठप हो गई थीं, जिससे हजारों भारतीय
कामगार बेरोजगार हो गए थे.