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रूस ने दिया भारत को बड़ा ऑफर, क्या पाकिस्तान-चीन बढ़ाएंगे उलझन, जानें एक्सपर्ट ने क्या कहा

अफगान क्वाड में रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान शामिल है. रूस चाहता है कि, भारत भी क्वाड का हिस्सा बन जाए. एक्सपर्ट्स भारत का इस क्वाड में शामिल होना काफी मुश्किल मान रहे हैं. और इसका मुख्य कारण इस क्वाड में पाकिस्तान का भी शामिल होना हो सकता है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

रूस पिछले काफी समय से यह उम्मीद कर रहा है कि भारत भी 'अफगान क्वाड' में शामिल हो जाए. अभी तक इस क्वाड में रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान शामिल है. ऐसे में रूस की चाहत है कि, भारत भी इस क्वाड का हिस्सा बन जाए. हालांकि, एक्सपर्ट्स इस क्वाड में भारत के शामिल होने से जुड़ी चुनौतियों को लेकर भी बात कर रहे हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि, अफगान क्वाड में पहले से ही पाकिस्तान शामिल है तो भारत खुद ही इससे दूरी बनाकर रख सकता है.

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रूसी प्रभाव वाले चार देशों के इस क्वाड का गठन अफगानिस्तान में स्थिरता और क्षेत्रीय हितों को साधने के लक्ष्य के साथ किया गया था. 

अभी कुछ समय पहले ही रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस संबंध में एक बयान भी दिया था. उस बयान में रूस के विदेश मंत्री ने आशा जताते हुए कहा था कि, भारत इस क्वाड का हिस्सा बन सकता है और अफगानिस्तान में अपनी भूमिका बढ़ाने के लिए भारत का ऐसा करना बिल्कुल ठीक कदम होगा. 

भारत के लिए पाकिस्तान बना 'रेड फ्लैग'
हालांकि, भारत की ओर से अफगान क्वाड में शामिल होने को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन एक्सपर्ट्स जरूर इस बात पर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं. 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' से बात करते हुए एक एक्सपर्ट ने कहा कि, इस क्वाड में पाकिस्तान का होना पहले ही भारत के लिए 'रेड फ्लैग' है. 

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एक्सपर्ट ने कहा कि, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में हमेशा तालिबान का समर्थन किया जो एक तरह से भारत और अमेरिकी हितों के खिलाफ था. एक्सपर्ट ने कहा कि, अगर यह चारों देश भारत को इस क्वाड में शामिल करना चाहते हैं तो सबसे पहले पाकिस्तान को अपने अंदर सुधार करना जरूरी है.

वहीं एक अन्य एक्सपर्ट ने इस मामले में कहा कि, अफगानिस्तान की स्थिरता रूस और भारत के साझे क्षेत्रीय हित से जुड़ी है. ऐसे में अगर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रिश्ते खराब रहते हैं तो रूस के क्वाड में शामिल होने वाले ऑफर पर भारत ज्यादा सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकता है.

एक्सपर्ट का कहना है कि, रूस की तरफ से भारत के क्वाड में शामिल होने की इच्छा ऐसे वक्त में जताई गई है, जब कुछ समय पहले ही भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में तालिबान के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी.  

बेशक पहले पाकिस्तान और तालिबान के संबंध मधुर रहे हों लेकिन मौजूदा समय में तालिबान समर्थित अफगानिस्तान सरकार का पाकिस्तान से छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है. दोनों देशों में खटास बढ़ती जा रही है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बिगड़ते संबंधों के बीच भारत के विदेश सचिव की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री से मुलाकात चर्चा का विषय बन गई.

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तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही ऐसा पहली बार था, जब भारत के विदेश सचिव ने तालिबान के किसी उच्च प्रतिनिधि से मुलाकात की हो. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने अभी तक भी तालिबान के शासन को अफगानिस्तान की वैध सरकार नहीं बताया है.

क्वाड का सदस्य बनने से और ज्यादा मजबूत हो जाएगी भारत की साख

एक दूसरे एक्सपर्ट ने एससीएमपी से बातचीत करते हुए कहा, भारत का क्वाड में शामिल होना सकारात्मक कदम होगा. एक्सपर्ट ने कहा कि, अगर भारत इस क्वाड में शामिल होता है तो इससे ना सिर्फ भारत अफगानिस्तान का मानवीय सहयोगी बन जाएगा, साथ ही क्षेत्रीय ताकत के तौर भी भारत की साख मजबूत होगी.

एक्सपर्ट ने आगे कहा कि,  भारत को तो इस क्वाड उस समय ही शामिल हो जाना चाहिए था, जब साल 2021 में अमेरिका की तत्कालीन सरकार ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया था. एक्सपर्ट ने आगे कहा कि, अगर भारत इस क्वाड में शामिल होता है तो इससे क्षेत्रीय शांति को बनाए रखने और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

भारत के शामिल होने को लेकर रूस के विदेश मंत्री ने कही थी ये बात
विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत के क्वाड में शामिल होने को लेकर कहा था कि, भारत का शामिल होना सिर्फ अफगानिस्तान में चुनौतियों को खत्म करने में ही फायदेमंद नहीं, बल्कि इससे भारत को एक नया और अलग मंच भी मिलेगा जहां वह पाकिस्तान और चीन से बातचीत कर सकता है.

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रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि, क्वाड में शामिल होने की वजह से भारत, पाकिस्तान और चीन को आपसी बात करने का ज्यादा मौका मिलेगा और ज्यादा से ज्यादा एक दूसरे को समझ पाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि, अगर भारत इस क्वाड का हिस्सा बनता है तो यह एक ठीक कदम होगा. 

क्या सच में भारत के लिए पूरी तरह 'रेड फ्लैग' बन गया है पाकिस्तान?
यूं तो आजादी के बाद से ही दोनों देशों में सीमावर्ती जंग छिड़ी हुई है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान दशकों से कश्मीर का राग गाता आया है. लेकिन साल 2019 में हुए पुलवामा अटैक के बाद दोनों देशों की स्थिति काफी बिगड़ गई. पुलवामा अटैक के बाद भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक भी की थी जिसके बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में काफी ज्यादा खटास आ गई. 

भारत और पाकिस्तान के बीच खटास इतनी ज्यादा बढ़ गई कि दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्ते पूरी तरह खत्म हो गए. यहां तक कि, जो कारोबार हुआ करता था वह भी करीब-करीब पूरी तरह बंद हो गया. इसका भारी नुकसान पाकिस्तान को भी सहना भी पड़ा लेकिन दोनों देशों ने कारोबार को फिर से शुरू करने पर कोई चर्चा नहीं की. अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-अलग मुद्दों पर भी अक्सर दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ ही नजर आते हैं.

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हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में कहा भी था कि, पाकिस्तान नहीं चाहता है कि दोनों देशों के बीच कारोबार हो. भारत ने कभी कारोबार को नहीं रोका था. भारत ने तो पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी दिया हुआ था लेकिन पाकिस्तान ने कभी ऐसा नहीं किया और भारत को यह दर्जा नहीं दिया था.

भारत और पाकिस्तान के बीच इस खटास को लेकर ही एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत सिर्फ पाकिस्तान की वजह से इस क्वाड में शामिल होना नहीं चाहेगा.

हालांकि, यह सिर्फ एक्सपर्ट्स की राय है, अभी तक भारत की ओर से कोई भी आधिकारिक बयान इस बारे में नहीं आया है. रूसी विदेशी मंत्री के बयान के बाद भी भारत ने इस मामले को लेकर न अभी तक हां की है  और ना ही इनकार किया है. 

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