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Russia-Ukraine War: यूक्रेन पर क्या है पुतिन का 'मिशन कोरिया' प्लान, 33 दिन की जंग का क्या होगा मुकाम?

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन जंग का आज 33वां दिन है. इस्तांबुल में आज दोनों देश के प्रतिनिधियों के बीच बैठक है. बैठक में कोई फॉर्मूला निकल पाएगा या नहीं? ये देर शाम तक पता चलेगा. लेकिन इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बड़े प्लान का खुलासा हुआ है. यूक्रेन के सैन्य खुफिया विभाग के प्रमुख ने अंदेशा जताया है कि पुतिन उत्तर और दक्षिण कोरिया की तरह यूक्रेन को दो हिस्से में बांट सकते हैं.

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यूक्रेन के पूरब और पश्चिम क्षेत्र को बांटने की आशंका.
यूक्रेन के पूरब और पश्चिम क्षेत्र को बांटने की आशंका.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरिया की तरह यूक्रेन के दो टुकड़े कर सकते हैं पुतिन!
  • तो फिर पूरब और पश्चिम में बंट सकता है यूक्रेन!
  • 24 फरवरी से जारी है रूस-यूक्रेन जंग

रूस-यूक्रेन के बीच जंग और बातचीत साथ-साथ चल रही है लेकिन अभी तक कहीं कोई नतीजा निकलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं. कीव पर रूस का अभी तक कब्जा नहीं हुआ है. यूक्रेन से कई गुना ताकतवर रूस चाहे तो कुछ घंटों में वह कब्जा कर सकता है लेकिन ऐसा वो क्यों नहीं कर रहा है ये बड़ा सवाल ये उठ रहा है? आखिर जंग को लंबा खींचने के पीछे रूस की नीयत क्या है? यूक्रेन के सैन्य खुफिया प्रमुख किरिलो बुडानोव ने इस पर एक अलग दावा किया है.

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बुडानोव के मुताबिक, रूस की असली मंशा यूक्रेन को दो टुकड़ों में बांटने की है. उन्होंने बताया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लग गया है कि वह पूरे यूक्रेन को तो निगल नहीं सकते, इसलिए वह कोरिया की तर्ज पर यूक्रेन को संभवत: विभाजित करने का प्रयास करेंगे. यूक्रेन के सैन्य खुफिया प्रमुख का इशारा उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच दशकों पुराने विभाजन से है.

बुडानोव के इस बयान के बाद एक बार फिर यूक्रेन के विभाजन पर बहस शुरू हो गई है. रूस ने जब क्रीमिया पर कब्जा किया था, 8 साल पहले भी इस तरह की चर्चा जोर पकड़ी थी कि क्या यूक्रेन का विभाजन मुमकिन है?

क्या पूरब और पश्चिम में बंट जाएगा यूक्रेन?

अगर पुतिन वास्तव में यूक्रेन को उत्तर और दक्षिण कोरिया की तरह बांट देना चाहते हैं, तो बड़ा सवाल ये है कि ये किस तरह का विभाजन होगा और यूक्रेन का कौन सा इलाका किधर जाएगा?  फिलहाल ये अनुमान लगाना मुश्किल है. लेकिन नस्ल, भाषा और विरासत के आधार पर माना जा रहा है कि ये विभाजन पूरब और पश्चिम यूक्रेन के बीच हो सकता है.

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कट्टर यूक्रेनी मूल के लोगों को मिलाकर पश्चिमी यूक्रेनी बन सकता है, जिसमें अभी वर्तमान राजधानी कीव शामिल होगी. वहीं रूसी प्रभुत्व वाला हिस्सा पूर्वी यूक्रेन हो सकता है, जिसमें खारकीव, खेरसन, दोनेत्स्क, लुहांस जैसे क्षेत्र हो सकते हैं.

काफी मुश्किल भी है

बहरहाल, ये अभी सिर्फ एक ख्याली पुलाव की तरह है. क्योंकि जंग के 33वें दिन भी अभी पुतिन यूक्रेन की किस्मत का फैसला लेने की स्थिति में नहीं हैं. उनके सामने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की डटे हुए हैं और उन्हें अमेरिका समेत पश्चिमी देशों का समर्थन भी हासिल है. 

ये आशंकाएं भी हैं

किरिलो बुडानोव ने रूसी रणनीति को लेकर कुछ और भी आशंकाएं जाहिर की हैं. बुडानोव के मुताबिक, रूस अपने कब्जे वाले क्षेत्र को एक अर्ध-राज्य संरचना में तब्दील करने का प्रयास कर सकता है. बाद में इसे वो आजाद यूक्रेन के खिलाफ खड़ा कर सकता है. हालांकि, बुडानोव का कहना है कि अगर रूस ने ऐसा करने की गलती तो यूक्रेन का प्रतिरोध गुरिल्ला युद्ध में विकसित होगा और रूस के प्रयासों को पटरी से उतार देगा.

रूस का कड़ा मुकाबला कर रहे यूक्रेनी

पिछले 32 दिनों में यूक्रेनी जनता ने दिखा दिया है कि वो किस हद तक रूसी सेना का प्रतिरोध कर सकते हैं. शहर-शहर ऐसी तस्वीरें आ चुकी हैं, जब यूक्रेन के लोग रूसी टैंक के सामने खड़े हो गए और रूसी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर गए. हालांकि, जेलेंस्की खुद मान चुके हैं कि यूक्रेन से रूस को पूरी तरह हटाना मुश्किल है.
 

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निर्णायक मोड़ तक नहीं पहुंची लड़ाई

सवाल उठता है कि रूस के हाथ 32 दिनों में क्या लगा? इसका कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है. कीव के साथ दो या तीन शहरों पर उसका आंशिक तौर पर कब्जा जरूर हुआ है, लेकिन ये लड़ाई अभी भी निर्णायक मोड़ तक नहीं पहुंच पाई है. 

1351 रूसी सैनिकों की गई जान

हालांकि, रूस का  दावा है कि वो अपने यूक्रेन ऑपरेशन का पहला चरण पूरा कर चुका है. इसके तहत उसने यूक्रेन की लड़ाई की क्षमता को बहुत कम कर दिया है. रूस का अगला लक्ष्य डोन्बास इलाके को पूरी आजादी दिलाना है. ये और बात है कि अपने इस तथाकथित ऑपरेशन की कीमत रूस ने 1351 सैनिकों की जान से चुकाई है. 

गौरतलब है कि लुहान्स्क और दोनेत्सक इलाकों को रूस पहले ही स्वतंत्र देश का दर्जा दे चुका है. रूस की शह पर 2014 से ही यहां के अलगाववादियों का यूक्रेनी सेना के साथ संघर्ष चल रहा है और विद्रोहियों के खिलाफ यूक्रेनी फौज की कार्रवाई को ही रूस इस जंग की मुख्य वजह बताता है. 

(कीव से राजेश पवार और लवीव से गौरव सावंत के साथ आजतक ब्यूरो)

 

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