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महिला को जूस की जगह पिलाया Washing Liquid, हुई मौत

महिला डिमेंशिया से ग्रस्‍त थीं. वह एक केयर होम में रह रही थीं. वहीं के कर्मचारी ने उन्‍हें अंगूर के जूस की जगह वाशिंग लिक्विड पिला दिया. इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई. उनके मुंह, गले और ग्रासनली में छाले हो गए. बाद में महिला की मौत हो गई. इस मामले की जांच पुलिस कर रही है.

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डिमेंशिया से ग्रस्‍त महिला को पिला दिया वॉशिंग लिक्विड (प्रतीकात्‍मक फोटो/ गेटी)
डिमेंशिया से ग्रस्‍त महिला को पिला दिया वॉशिंग लिक्विड (प्रतीकात्‍मक फोटो/ गेटी)

एक महिला को जूस की जगह Washing liquid पिला दिया गया. इसकी वजह से उनकी मौत हो गई. महिला डिमेंशिया से ग्रस्‍त थीं.

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'गर्ट्रूड एलिजाबेथ मुरिसन मैक्सवेल' नाम की बुजुर्ग महिला कैलिफोर्निया (अमेरिका) के 'अटरिया पार्क सीनियर लिविंग फैसिलिटी' में रह रही थीं. उनकी उम्र 93 साल थी. पुलिस, घटना की जांच कर रही है.

बताया जा रहा है कि केयर होम के एक कर्मचारी ने उन्‍हें जूस की जगह washing liquid दे दिया. इससे उनके मुंह, गले और ग्रासनली में छाले हो गए.

एलिजाबेथ की बेटी मर्सिया कुसिन ने उनकी स्थिति के बारे में खुलासा किया. मर्सिया ने कहा कि वह खुद से कुछ भी खा पी नहीं पा रही थीं. उनको केयरटेकर ही अपने हाथों से खिलाते थे. एलिजाबेथ के परिवार में 8 बच्‍चे और 20 नाती पोते हैं.

इस मामले में अटरिया पार्क सीनियर लिविंग फैसिलिटी ने संबंधित कर्मचारी को सस्‍पेंड कर दिया है. मामले की जांच स्‍थानीय अधिकारी कर रहे हैं. 

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गर्ट्रूड एलिजाबेथ मुरिसन मैक्सवेल डिमेंशिया से ग्रस्‍त थीं (Credit: Kron TV )

सीनियर लिविंग फैसिलिटी ने एक बयान में कहा है कि हम स्‍थानीय अधिकारियों के साथ मिल कर काम कर रहे हैं. मृतक महिला के परिजनों से हमारी पूरी संवेदना है. 

NBC की रिपोर्ट में कहा गया है कि गलती से किसी ने अंगूर का जूस समझकर सफाई करने वाला लिक्विवड पिला दिया.

बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से अमेरिकी केयर होम में मौत के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. कैलिफोर्निया असेंबली हेल्‍थ कमेटी के चेयरमैन ने 'कैलिफोर्निया हेल्‍थटाइम' को बताया कि जिस तरह नर्सिंग फैसिलिटी में लोगों की मौतें हुई हैं उसने चिंता बढ़ा दी थी.

'यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया' में सोशल एंड बिहेवियर साइंस की प्रोफेसर चार्लेंज हैंरिंगटन ने बताया, लोग कई परेशानियों को लेकर पहले भी शिकायत कर रहे थे. कोविड महामारी के समय ये चीजें सही की जा सकती थीं. अगर महामारी के समय पर्याप्‍त संख्‍या में नर्सिंग स्‍टाफ होते तो कई दिक्‍कतें नहीं आतीं.

 

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