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जहां पति का प्‍यार पाने के लिए लड़कियों को जबरन बनाया जाता है मोटा

लोग भले ही साइज जीरो के दीवाने हों, लेकिन दुनिया का एक कोना ऐसा भी है जहां जिस महिला का वजन जितना ज्‍यादा होता है उसे उतना ही आकर्षित माना जाता है.

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लोग भले ही साइज जीरो के दीवाने हों, लेकिन दुनिया का एक कोना ऐसा भी है जहां जिस महिला का वजन जितना ज्‍यादा होता है उसे उतना ही आकर्षित माना जाता है.

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जी हां, पश्चिमी अफ्रीकी देश मौरिटानिया में लड़कियों को बचपन से ही वजन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाता है. यहां हर कोई मोटी महिला से शादी करने का सपना देखता है. दरअसल, यहां खाने की कमी है और ऐसे में मोटी पत्‍नी को धन संपन्‍नता और प्रतिष्‍ठा का प्रतीक माना जाता है.

डेली मेल के मुताबिक अच्‍छे पति की तलाश में इन महिलाओं को दवाइयां खिलाकर वजन बढ़ाने के लिए मजबूर किया जाता है. ये दवाइयां इंसान की सेहत के लिए हानिकारक हैं.

अमेरिकी पत्रकार थॉमस मॉर्टन को टीवी चैनल एचबीओ की डॉक्‍यूमेंट्री सीरीज 'वाइस' के लिए मौरिटानिया भेजा गया था. अपनी यात्रा के दौरान मॉर्टन ने उन महिलाओं को दी जाने वाली डाइट और दवाइयों को भी खाया, ताकि वह यह जान सकें कि इससे उनकी सेहत पर क्‍या असर पड़ता है.

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मॉर्टन के मुताबिक, 'मुझे ऐसे लगा कि जैसे भोजन ने मेरी पूरी छाती को जकड़ लिया है और मेरे फेफड़ों की हवा निकाल दी है.'

उन्‍होंने पाया कि लड़कियों के घरवाले उन्‍हें आठ साल की उम्र से मोटा करना शुरू कर देते हैं. इस प्रक्रिया को 'गैवेज' कहा जाता है. गैवेज एक फ्रेंच शब्‍द है, जिसका मतलब बतख को खूब खिलाने-पिलाने से है. दरअसल, इस मोटी बतख के कलेजे का इस्‍तेमाल फ्रांस की मशहूर डिश 'फोइ ग्रास' बनाने के लिए किया जाता है.

बहरहाल, जब लड़कियों की उम्र शादी के लायक हो जाती है तो उन्‍हें 'फैट कैम्‍प' भेजा जाता है, जहां पर उन्‍हें एक दिन में 15,000 कैलोरी दी जाती है. नाश्‍ते में उन्‍हें ऑलिव ऑयल में भीगे हुए ब्रेडक्रम्‍ब्‍स दिए जाते हैं. इसके बाद दिन भर उन्‍हें बकरी का मांस, ब्रेड, अंजीर, कूस्कूस (सूजी से बना खाद्य पदार्थ) और खूब सारा ऊंट का दूध दिया जाता है.

कई लड़कियों ने मॉर्टन को बताया कि उन्‍हें यह अत्‍याचार लगता है और जब वे इसका विरोध करती हैं तो उनकी चिमटे से पिटाई की जाती है.

इस तरह की डाइट से जब लड़कियां बीमार होने लगीं तो उनके घरवालों ने एक नया तरीका खोज निकाला. यह तरीका पेट को तो तकलीफ से बचा लेता है, लेकिन कई बीमारियों को दावत भी देता है. अब यहां लड़कियों को ऐसी दवाइयां खिलाई जाती हैं जो वजन बढ़ाने में मददगार होती हैं, लेकिन ये इंसानी शरीर के लिए नहीं, बल्कि जानवरों के लिए बनी हैं.

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एक स्‍थानीय महिला ने मॉर्टन को बताया, 'दवाई देना 'गैवेज' का आधुनिक तरीका है. महिलाएं स्‍टीरॉयड और चिड़ियों से बनी दवाइयां ले रही हैं. ये दवाएं इंसान के लिए नहीं हैं. इनका इस्‍तेमाल जानवरों में हॉर्मोन्‍स बढ़ाने के लिए होना चाहिए. इन दवाइयों को खाने से महिलाओं का शरीर बेतरतीब तरीके से बढ़ता चला जाता है और उनके पेट, छाती और चेहरे का आकार काफी बड़ा हो जाता है, जबकि हाथ और पैर पतले. अब यहां की महिलाएं इंसान से ज्‍यादा सील मछली की तरह दिखने लगी हैं.'

इन दवाइयों को खाने से बांझपन और दिल के दौरे का खतरा भी रहता है. महिला ने बताया, 'गैवेज के चलते महिलाएं बच्‍चे पैदा कर पाने में असमर्थ हो गई हैं. सबसे बड़ी समस्‍या दिल की बीमारी है. महिलाओं को बार-बार दिल का दौरा पड़ता है और बहुत कम ही हैं जो बच पाती हैं.'

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