म्यूजिक का हमारे जीवन में बहुत महत्व है. म्यूजिक ही है जिसने आज 'द वर्ल्ड म्यूजिक डे' पर संगीत जगत से जुड़ी तमाम बड़ी हस्तियों, शफकत अमानत अली, शान, कविता कृष्णमूर्ती, डॉ. एल सुब्रमण्यम, जसबीर जस्सी, मामे खान और पीट लोकेट जैसे दिग्गज सितारों को साथ लाने का काम किया है. अपनी सफलता का श्रेय ये सितारे रियाज को देते हैं और इसी बारे में हमें यहां अवगत करवा रहे हैं.
रियाज क्यों है जरूरी
जो भी व्यक्ति वोकल म्यूजिक, इंस्ट्रूमेंट, परफॉर्मेंस आदि से जुड़ा है, उसे अपनी प्रतिभा को और निखारने के लिए हर दिन प्रैक्टिस यानी अभ्यास करना जरूरी हैं. इसे ही रियाज कहते हैं. जो भी लोग जीवन में संगीत के क्षेत्र में अपना लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए प्रैक्टिस करना बहुत जरूरी है. हर रोज रियाज करना न सिर्फ आपकी आवाज को लय में लाता है बल्कि सुर-ताल का उतार-चढ़ाव भी ठीक करता है.
सुबह का रियाज
अगर कोई व्यक्ति रोज सुबह बेसिक नोट्स की प्रैक्टिस करता है तो इससे उसके संगीत का आधार मजबूत होगा.
स्टैंडिग नोट्स पर रियाज
एक सिंगल नोट पर रहते हुए एक सांस में रियाज करने या फिर होंठ बंद करके गले से आवाज निकालने से आपकी टोनल क्वालिटी मजबूत होती है. दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि इससे गला खुलता है. वहीं, लो नोट्स का रियाज भी हर स्तर से आवाज में लचीलापन लाने में सहायक होता है.
रियाज टेक्नीक
एक निश्चित ट्यून के साथ गाकर भी आवाज की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है. एक ट्यून में प्रैक्टिस करने से आपकी आवाज का टेक्सचर, क्वालिटी और मॉड्यूलेशन भी सुधरता है. वहीं, ऊँ की प्रैक्टिस करना मन और दिमाग को शांत करता है. इतना ही नहीं, अगर आप किसी वाद्य के साथ रियाज करते हैं तो आपकी आवाज में एक ठहराव भी आता है. वहीं दिग्गज गायकों को सुनना भी अपने आप में एक रियाज से कम नहीं है.
मेंटर की अहमियत
एक मेंटर आपकी कमी और आपकी ताकत को पहचान कर लक्ष्य हासिल कराने में मदद करता है. मेंटर वह होता है, जो बड़ी ही ईमानदारी से आपको आपकी कमियां बताए ताकि आप इनको सुधार कर संगीत की दुनिया में अपना एक मुकाम बना सकें.