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चीनः जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने से भारत समेत दुनिया को होंगे ये 5 बड़े नुकसान

नेशनल पीपल्स कांग्रेस की बैठक में शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने पर मुहर लग गई है. सत्र में ये घोषणा भी की गई है कि शी जिनपिंग चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के प्रमुख बने रहेंगे. चीन की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने 5 मार्च को अपनी सालाना बैठक की शुरुआत कर दी थी.

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शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

शी जिनपिंग तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति बन गए हैं. नेशनल पीपल्स कांग्रेस की 14वीं बैठक में इस पर मुहर लग गई है. नेशनल पीपुल्‍स कांग्रेस में प्रतिनिधियों ने शी जिनपिंग को सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का चेयरमैन नियुक्‍त करने का ऐलान किया. जिनपिंग साल 2013 में पहली बार देश के राष्ट्रपति बने थे. इसके बाद साल 2018 में उन्हें दूसरी बार राष्ट्रपति चुना गया था. हैरानी की बात ये है कि शी जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए ना तो चुनाव लड़ना पड़ा, ना जनता के बीच अपनी लोकप्रियता साबित करनी पड़ी और ना ही अपना नेतृत्व कौशल दिखाना पड़ा. उन्होंने ये सब कुछ तानाशाही के जरिए हासिल कर लिया. इतना ही नहीं, जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने से भारत और दुनिया के दूसरे देशों पर भी इसका बड़ा असर होगा.

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जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने से पहला नुकसान ये होगा कि अब भारत और पूरी दुनिया को चीन के मामलों में उनसे ही डील करना होगा. दूसरा अब चीन LAC पर अब ज़्यादा आक्रामक हो सकता है. अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों के साथ उसकी कड़वाहट और बढ़ सकती है. तीसरा, इससे दुनिया मे अस्थिरता और बढ़ेगी. अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर (Trade War) छिड़ने की आशंका से दुनियाभर का व्यापार प्रभावित होगा. चौथा नुकसान ये कि दुनिया को चीन के बारे में कभी कोई सही और सटीक जानकारी नहीं मिल पाएगी. और ये कितना खतरनाक हो सकता है, हम कोविड की महामारी में देख चुके हैं. और पांचवां असर ये होगा कि इससे अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देशों के अच्छे दिन आ जाएंगे, जो आतंकवाद का केन्द्र हैं.

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सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चीफ बने रहेंगे जिनपिंग


इसी सत्र में ये घोषणा भी की गई है कि शी जिनपिंग चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के प्रमुख बने रहेंगे. ये कम्युनिस्ट पार्टी की वो ईकाई है, जिसे चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (People's Liberation Army) रिपोर्ट करती है. यानी देश और देश की सेना पर शी जिनपिंग का सीधा नियंत्रण चीन में बना रहेगा.

चीन का नया प्रधानमंत्री कौन?


जब शी जिनपिंग को फिर से राष्ट्रपति नियुक्त करने की प्रक्रिया पूरी हुई तो उन्हें सबसे पहले ली क्वांग (Li Qiang) ने सबसे पहले बधाई दी. ली क्वांग को शी जिनपिंग ने चीन का नया प्रीमियर ( Premier) नियुक्त किया है. चीन में प्रीमियर के पद को प्रधानमंत्री का पद माना जाता है. यानी अब से चीन के नए प्रधानमंत्री होंगे. लि. क्वांग और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही बने रहेंगे. 

चीन में क्या है राष्ट्रपति बनने की प्रोसेस?


चीन की संसद नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने 5 मार्च को अपनी सालाना बैठक की शुरुआत कर दी थी. ये एक वार्षिक सत्र है, जो वहां की संसद में आयोजित होता है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि पूरी दुनिया में सबसे बड़ी संसदीय सभा उसी के देश में है। क्योंकि चीन में नेशनल पीपल्स कांग्रेस के 2 हज़ार 980 डेलीगेट्स हैं. इन्हीं डेलीगेट्स ने कम्युनिस्ट की सेंट्रल कमेटी का चुनाव किया और सेंट्रल कमेटी ने पोलित ब्यूरो मेंबर्स का चुनाव किया. इसके बाद पोलित ब्यूरो के मेंबर्स ने ने सात सदस्यों की सबसे बड़ी पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी को चुना और फिर इसी कमेटी द्वारा नेशनल पीपल्स कांग्रेस के विशेष सत्र में शी जिनपिंग को चीन का तीसरी बार राष्ट्रपति चुना गया. 

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जिनपिंग ने सत्र में क्या कहा?

सत्र में शी जिनपिंग की तरफ़ से कहा गया कि वो चीन की घटती जन्म दर को नियंत्रित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नीति लाएंगे,  जिसकी मदद से चीन की आबादी में स्थिरता भी लाई जा सकेगी. 

चीन में थर्ड चाइल्ड पॉलिसी आने के बाद ये पहली बार है. जब वहां की सरकार ने जन्म दर बढ़ाने के लिए कोई राष्ट्रव्यापी नीति लाने का फैसला किया है और चीन ऐसा इसलिए कर रहा है, क्योंकि वहां लोग इंसेंटिव मिलने के बाद भी बच्चे पैदा नहीं कर रहे. लिहाजा चीन की आबादी तेज़ी से बूढ़ी हो रही है. वर्ष 2022 में 61 साल बाद ऐसा हुआ था, जब चीन में जन्म दर मृत्यु दर से बहुत कम रही थी. इस समय चीन की स्थिति ये है कि वहां युवा आबादी घट रही है और बूढ़े लोगों की आबादी बढ़ रही है.

अमेरिका के थिंक टैंक कहे जाने वाले Pew Research Center का अनुमान है कि अगर चीन की आबादी में इसी तरह गिरावट जारी रही तो वर्ष 2100 तक यानी आज से 77 साल बाद चीन की आबादी घट कर सिर्फ 76 करोड़ रह जाएगी. जबकि भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा. यही वजह है कि आज शी जिनपिंग ने अपने भाषण में जन्म दर बढ़ाने के लिए एक नई राष्ट्रव्यापी नीति लाने का ऐलान किया है.

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(आजतक ब्यूरो)

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