भारत के संसद भवन पर साल 2001 में हुए हमले के मामले में दोषी अफजल गुरु की फांसी के बाद उसके शव को उसके परिवार को सौंपने के लिए भारतीय अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक ने शनिवार को 24 घंटे की भूख हड़ताल शुरू की.
अफजल को शनिवार को नई दिल्ली की तिहाड़ में फांसी देने के बाद वहीं दफना दिया गया. अफजल की पत्नी और बेटी से मिलने के लिए एक निजी दौरे पर आए मलिक और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) और जमात-उद-दावा के सदस्यों ने इस्लामाबाद के बीचो-बीच स्थित नेशनल प्रेस क्लब के बाहर भूख हड़ताल शुरू की.
जेकेएलएफ के वरिष्ठ नेता अमानुल्ला खान ने भी विरोध में हिस्सा लिया. मलिक ने कहा, ‘अफजल गुरु का शव उसके परिवार को सौंपा जाना चाहिए, इसी मांग को लेकर 24 घंटों की शांतिपूर्ण भूख हड़ताल की जा रही है. परिवार को उसकी फांसी के संबंध में जानकारी भी नहीं दी गई है.’
ऐसा माना जा रहा है कि अफजल के परिवार ने अधिकारियों से आग्रह किया था कि शनिवार सुबह नई दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी देने के बाद अफजल का अंतिम संस्कार इस्लामी तरीके से करने की अनुमति दें.
मलिक ने कहा, ‘अफजल राजनीति का शिकार हुआ है जो आगामी चुनाव (भारत में अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव) को ध्यान में रखकर किया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि अफजल को फांसी देने जैसी घटनाएं विरोध के अहिंसक तरीकों को अपना चुके जम्मू-कश्मीर के युवकों को क्रोधित करेगा.
मलिक ने कहा कि वह किसी के लिए भी फांसी की सजा का समर्थन नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से मौत की सजा के खिलाफ हैं. हम कभी भी सरबजीत या किसी और को फांसी देने की मांग नहीं करेंगे.