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कौन है 'पुतिन का रसोइया' येवगेनी, जो कभी लगाता था हॉट डॉग स्टाल, अब प्राइवेट आर्मी के जरिए की रूस से बगावत

रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन ने पुतिन के खिलाफ बगावत कर दी है. येवगेनी प्रिगोझिन की आर्मी राजधानी की ओर तेजी से बढ़ रही है. पुतिन ने भी येवगेनी को सीधी चेतावनी देते हुए कहा है कि विद्रोह करने वालों को कुचल देंगे.

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 पुतिन का रसोइया रहा येवगेनी प्रिगोझिन अब बना दुश्मन!
पुतिन का रसोइया रहा येवगेनी प्रिगोझिन अब बना दुश्मन!

रूस में वैगनर ग्रुप (Wagner Group) के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन ने अपने ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ बगावत कर दी है. कभी रूसी राष्ट्रपति के सबसे विश्वासपात्र रहे येवगेनी प्रिगोझिन को एक समय "पुतिन का शेफ" उपनाम मिला था. लेकिन इन दिनों दोनों के बीच इस कदर रिश्ते बिगड़ गए हैं कि वो अपना अधिकतर समय एक-दूसरे पर निशाना साधने में बिताते हैं.

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पिछले साल सितंबर में जब यूक्रेनी सेना ने रूस पर आश्चर्यजनक जवाबी हमले किए तो इससे पुतिन की काफी किरकिरी हुई थी. तब येवगेनी प्रिगोझिन अपने भाड़े के हजारों वैगनर सैनिकों के साथ बचाव के लिए आगे आए और उन्हें अपने देश में युद्ध नायक बना दिया. वैगनर के सैनिकों ने ही यूक्रेन के बखमुत शहर पर कब्जा दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. तो आइए जानते हैं कि येवगेनी प्रिगोझिन  कौन है और कैसे एक हॉट डॉग का स्टॉल चलाने वाला भाड़े की आर्मी का मुखिया बन गया.

कौन है येवगेनी प्रगोझिन

"पुतिन के रसोइये" के रूप में प्रसिद्ध हुए येवगेनी प्रिगोझिन का जन्म साल 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ था. महज 20 साल की उम्र में येवगेनी कई मामलों में वांछित हो गए और उनके ऊपर मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी के आरोप लगे. फिर अदालत से दोषी सिद्ध होने के बाद उन्हें  13 साल की सजा सुनाई गई थी, हालांकि उन्हें 9 साल में ही रिहा कर दिया गया.

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हॉटडॉग के स्टॉल से शुरू हुआ सफर

जेल से रिहा होने पर, प्रिगोझिन ने सेंट पीटर्सबर्ग में हॉट डॉग बेचने के लिए स्टॉल लगाना शुरू कर दिया. धंधे ने ऐसा जोर पकड़ा कि उन्होंने 90 के दशक में शहर में महंगा रेस्तरां खोल लिया. येवगेनी का रेस्तरां इस कदर फेमस हो गया कि लोग इसके बाहर लाइन लगाकर इंतजार करने लगे. लोकप्रियता बढ़ी तो खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन विदेशी मेहमानों को इस रेस्तरां में खाना खिलाने ले जाने लगे.

यही वो दौर था जब येवगेनी पुतिन के करीब आए. इसके बाद येवगेनी को सरकारी अनुबंध दिए जाने लगे. प्रिगोझिन की भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है, और उन्होंने लंबे समय से किसी भी राजनीतिक भूमिका से इनकार किया है, लेकिन उनका प्रभाव खाने की मेज से कहीं आगे तक पहुंच गया था.

ये भी पढ़ें: Live: वैगनर आर्मी की बगावत पर पुतिन की हुंकार- येवगेनी ने पीठ में छुरा घोंपा, सैन्य विद्रोह को कुचल देंगे 

बनाई पुतिन की शैडो आर्मी

अपेक्षाकृत लो प्रोफाइल रहने वाले प्रिगोझिन को विदेश में पुतिन का राइट हैंड कहा जाने लगा. इस दौरान येवगेनी ने खूब पैसा कमाया. रूसी सेना के साथ मिलकर येवगेनी ने प्राइवेट आर्मी की अगुवाई की. पुतिन ने इसका पर्दे के पीछे से इस्तेमाल भी किया, चाहे वह अमेरिकी चुनाव में अविश्वास पैदा करने वाले वाली छवि के माध्यम से हो, या फिर अफ्रीका और मध्य पूर्व में युद्ध लड़ रहे भाड़े के सैनिकों के क्रूर गिरोह के रूप में. प्रिगोझिन पिछले साल सार्वजनिक रूप से वैगनर के प्रमुख के रूप में सामने आए. ये भाड़े के समूह के लड़ाके वो लड़ाके हैं जिन्हें अक्सर पुतिन की शैडो आर्मी कहा जाता है और इसने अफ्रीका में रूस के प्रभाव को बढ़ाने में काफी मदद की.

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2017 के बाद से, येवगेनी के वैगनर समूह ने माली, सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, लीबिया और मोज़ाम्बिक में सैन्य दखल के लिए सैनिकों को तैनात किया. इस बीच,येवगेनी के वैगनर समहू ने पूरे महाद्वीप में वाणिज्यिक और राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाया है, संसाधन संपन्न देशों में खदानें और भूमि के पट्टे खरीदे. पिछले साल रिलीज हुई ग्लोबल इनिशिएटिव अगेंस्ट ट्रांसनेशनल ऑर्गनाइज्ड क्राइम की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैगनर अब अफ्रीका में सबसे प्रभावशाली रूसी समूह है. 

वफादार निकला गद्दार?

येवगेनी को "मीटग्राइंडर" भी कहा गया. उन्होंने इस साल की शुरुआत में कहा था कि उन्हें इसके बजाय मुझे 'पुतिन का कसाई' कहना चाहिए था. लेकिन जैसे-जैसे वैगनर को उसकी सफलताओं का श्रेय मिलना शुरू हुआ तो येवगेनी ने रूसी सेना की आलोचना करना शुरू कर दिया और युद्ध प्रयासों में उनके योगदान को अधिक मान्यता देने की मांग की.  हालाँकि, पुतिन ऐसे शख्स हैं जो कामयाबी को साझा करना पसंद नहीं करते हैं. हालांकि वह और येवगेनी अब तक एक-दूसरे के खिलाफ सीधे हमलों से बचते रहे हैं, लेकिन पुतिन ने वैगनर समूह को रूसी सेना के नियंत्रण में लाने के कदम का समर्थन किया है.

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प्रिगोझिन आदेश का पालन करने से इनकार कर रहे हैं. उन्होंने देश के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ वाकयुद्ध छेड़ दिया और यहां तक ​​कि अपने लोगों को एक रूसी अधिकारी का अपहरण करने का आदेश दे दिया. अब एकमात्र सवाल यह है कि पुतिन का यह वफादार सहयोगी ऐसा क्यों कर रहा है. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि येवगेनी समानांतर ताकत बनना चाह रहे हैं जिनकी महत्वाकांक्षा शायद अपने पुराने दोस्त को सत्ता से उखाड़ फेंकने की है.


 

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