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'तुम एक महिला हो, घर जाओ...', चंद घंटों में तालिबान के दावों की निकल गई हवा, पत्रकार ने खोली पोल

तालिबान ने दावा किया है कि वह अब पिछले शासन जैसा नहीं रहा है और नागरिकों को ज्यादा छूट दी जाएगी. महिलाओं को स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में तालिबान ने काम करने से न रोकने की बात कही है, लेकिन वास्तविकता इससे परे है.

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महिला पत्रकार शबनम
महिला पत्रकार शबनम
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महिलाओं को लेकर तालिबान के दावे निकले गलत
  • सरकारी न्यूज चैनल से पत्रकार को हटाया
  • एंकर शबनम को घर जाने को कहा

अमेरिकी सैनिकों की वतन वापसी के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मौजूद सत्ता प्रतिष्ठानों पर कब्जा कर लिया है. दुनिया भर में इसकी तस्वीरें सामने आते ही अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर चिंताएं जाहिर की जाने लगीं. खासतौर पर महिलाओं की होनेवाली स्थिति को लेकर. हालांकि, तालिबान ने अपने संदेश में दोहराया कि महिलाओं समेत नागरिकों को ज्यादा आजादी दी जाएगी.  

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तालिबान ने एक से ज्यादा बार कहा कि महिलाओं को स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में तालिबान ने काम करने से नहीं रोका जाएगा, लेकिन वास्तविकता इससे परे है. दरअसल, तालिबान जैसा दावा कर रहा है और जिस तरह से जमीन पर काम कर रहा है, वह आपस में एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न है. तालिबान ने कब्जा करने के कुछ घंटों बाद ही अफगानिस्तान की महिला पत्रकार से काम पर नहीं आने के लिए कहा है. इससे तालिबान के महिलाओं को अपने शासन में बराबरी का मौका देने के दावे की हवा निकल गई.

अफगानिस्तान की टीवी पत्रकार शबनम दावरान ने हमारे सहयोगी चैनल 'इंडिया टुडे' की प्रीति चौधरी से बात करते हुए तालिबान के काले कारनामों की पोल खोल दी. उन्होंने बताया कि तालिबान ने अपने कब्जे के अगले दिन ही अपने इरादे जाहिर करने शुरू कर दिए हैं. तालिबान ने शबनम से कहा कि तुम एक महिला हो, अपने घर जाओ. तुम यहां काम नहीं कर सकती. शबनम की जुबानी जानिए, अफगानिस्तान में कैसी है महिलाओं की स्थिति...

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सवाल: तालिबान ने कहा है कि महिलाओं को पूरे अधिकार दिए जाएंगे. बताइए आपके साथ क्या हुआ?
जवाब: मैं सरकारी न्यूज संस्थान आरटीए पाश्तो में काम करती थी. जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया तो उसके अगले दिन मैं अपने दफ्तर गई, जहां पर मुझसे कहा गया कि मैं काम पर न आऊं. जब मैंने इसके पीछे वजह पूछी तो बताया गया कि अब नियम बदल गए हैं और महिलाओं को आरटीए में काम करने की इजाजत नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ''जब तालिबान ने बताया कि महिलाएं और बच्चे स्कूल जा सकेंगे और काम कर सकेंगे तो मैं काफी खुश थी. लेकिन मैंने अपने दफ्तर में वास्तविकता देखी, जहां पर मुझसे काम नहीं करने के लिए कहा गया. मैंने उनको अपना आई-कार्ड भी दिखाया, लेकिन फिर भी उन्होंने घर जाने के लिए कहा.''

सवाल: क्या टोलो न्यूज या उसके जैसे अन्य चैनलों की महिलाओं को लेकर इसी तरह के आदेश दिए गए हैं?
जवाब: नहीं, उन्होंने सरकारी संस्थानों में महिलाओं को काम नहीं करने के लिए कहा है. टोलो न्यूज एक प्राइवेट चैनल है. वहां पर अब तक उन्होंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है.

सवाल: क्या आपको महिला होने की वजह से कोई धमकी मिली है?
जवाब: उन्होंने कहा, "तुम लड़की हो, जाओ अपने घर जाओ." मेरे पुरुष सहकर्मी को काम पर जाने दिया गया, लेकिन मुझे नहीं जाने दिया गया. उन्होंने साफ कहा कि अब महिलाओं को आरटीए में काम नहीं करने दिया जाएगा.

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सवाल: जब तालिबान का प्रवक्ता का महिला पत्रकार ने इंटरव्यू किया तो हर कोई उत्साहित था. लेकिन आपकी कहानी सुनकर लगता है कि यह सब सिर्फ एक बहाना ही था.
जवाब: हां, वह टोलो न्यूज पर इंटरव्यू लिया गया था, जोकि मेरी ही एक दोस्त है. हम सभी को इस बात का अंदाजा था कि अगर तालिबान फिर से सत्ता में आया तो महिलाओं का क्या हो सकता है, लेकिन उस साक्षात्कार के बाद, हमने सोचा कि चीजें अलग हो सकती हैं. हालांकि तालिबान सरकारी मीडिया के साथ जो कर रहा है, वह अच्छा नहीं है.

सवाल: जब भी आप अन्य महिला पत्रकारों से बात करती हैं तो क्या चर्चा करती हैं? आपको क्या लगता है कि आप जैसी कामकाजी महिलाओं के लिए आगे का रास्ता कैसा है?
जवाब: अभी तो मैं कुछ नहीं समझ पा रही हूं. मुझे कोई आइडिया नहीं है कि भविष्य में आगे क्या होने वाला है.

सवाल: क्या आप अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहती हैं?
जवाब: मैं यहां काम नहीं कर सकती हूं. इस समय अफगानिस्तान में काम करना काफी मुश्किल है. अगर मुझे कोई सपोर्ट मिलता है तो फिर जरूर मैं अफगानिस्तान छोड़ दूंगी.

 

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